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उज्जैन: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) के क्षरण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। अब महाकाल मंदिर में श्रद्धालु पंचामृत अभिषेक नहीं करवा पाएंगे। सिर्फ मंदिर के पुजारी ही पंचामृत का अभिषक कर सकते है। श्रद्धालुओं को सिर्फ दूध और जल चढ़ाने की अनुमति है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि सिर्फ शुद्ध दूध ही ज्योतिर्लिंग के ऊपर चढ़ाया जाए। जस्टिस अरुण मिश्रा ने मंदिर प्रबंध समिति को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में शिवलिंग को संरक्षण देने के भी निर्देश दिए हैं। जस्टिस अरुण मिश्रा ने फैसले में कहा कि शिव की कृपा से भी फैसला हो गया। दरअसल, जस्टिस मिश्रा बुधवार को ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मिश्रा ने फैसले में कहा कि यह आखिरी फैसला था। जस्टिस अरुण मिश्रा ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए शिवलिंग के संरक्षण को लेकर कई निर्देश दिए।
जस्टिस अरुण मिश्रा ने दिए निर्देश
- शिवलिंग को किसी भी तरह से रगड़ा नहीं जाना चाहिए।
- किसी भी भक्त को शिवलिंग को रगड़ने की अनुमति नहीं हो।
- दही, घी और शहद को शिवलिंग पर घीसना भी बंद कर देना चाहिए।
- केवल शुद्ध दूध ही शिवलिंग पर डाला जाना चाहिए।
- यदि पुजारी या पुरोहित द्वारा कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो मंदिर समिति उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।
- मंदिर समिति अपने संसाधनों और शुद्ध पानी से शुद्ध दूध उपलब्ध कराएगी।
इन बातों पर भी एक नजर
- ज्योतिर्लिग क्षरण का मामला अप्रैल 2017 से कोर्ट में चल रहा है।
- याचिकाकर्ता सारिका गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।
- सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर मंदिर का निरीक्षण करवाया था।
- कमेटी ने ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए मंदिर समिति को सुझाव दिए थे।
- शिवलिंग का अभिषेक आरओ जल से कराने, पूजन सामग्री सीमित मात्रा में उपयोग करने जैसे कई सुझाव दिए गए थे।
- मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर समिति को सुझावों का पालन करने का आदेश दिया था।
- 25 अगस्त को महाकाल मंदिर समिति की ओर से रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई थी।
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