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Mahakal Lok : बिन कालभैरव के क्यों मानी जाती है महाकाल की अधूरी पूजा

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deepak
Mahakal Lok : बिन कालभैरव के क्यों मानी जाती है महाकाल की अधूरी पूजा

Mahakal Lok : मध्यप्रदेश के इतिहास में 11 अक्टूबर 2022 की तारीख स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी, क्योंकि 11 अक्टूबर 2022 को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मध्यप्रदेश में बाबा महाकाली की नगरी उज्जैन में बने महाकाल लोक का लोकार्पण करने वाले है। प्राचीन परंपराओं से ओतप्रोत, अकल्पनीय, अविश्वनिय, आलौकिक महाकाल लोक धाम कुछ अलग ही नजर आएगा। आप जब कभी उज्जैन महाकाल के दर्शन के लिए जाते हैं तो आपने सुना होगा कि महाकाल का दर्शन कालभैरव के दर्शन के बगैर अधूरी है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जो खुद सर्वशक्तिमान है, जो सर्वव्यापी है, उसके दर्शन के बाद कालभैरव के दर्शन की जरूरत क्यों? क्या है इसके पीछे का कारण? आइए जानते है...

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महादेव के क्रोध से जन्मे काल भैरव

शास्त्रों के अनुसार काल भैरव भगवान शिव के रूद्र रूप माने गये हैं। जिन्हे महादेव ने क्रोध में आकर जन्म दिया था। इसलिये भैरव को भगवान शिव का गण कहा गया है। शिवपुराण के अनुसार अंधकासुर नामक दैत्य द्वारा अपनी शक्तियों का भगवान शिव के ऊपर गलत प्रयोग करने के कारण भगवान शिव उसके संहार के लिए अपने रक्त से भैरव को जन्म दिया। काल भैरव ने महादेव को अपमानित देख ब्रह्मदेव जी का पांच मुखों में से एक मुख काट दिया। जिसके चलते काल भैरव पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा।

महाकाल दर्शन से पूर्व काल भैरव के दर्शन क्यों?

ऐसी मान्यता है कि काल भैरव को दो वरदान मिले थे कि भगवान शिव की पूजा से पूर्व भैरव की पूजा होगी, और जो भक्त काल भैरव दर्शन से पूर्व महाकाल का दर्शन करता है, उसका दर्शन अधूरा माना जाता है। इन्ही मन्यताओं को ध्यान में रखकर काल भैरव का दर्शन पहले किया जाता है। वामन पुराण के अनुसार भैरव भगवान शिव के रक्त से आठ दिशाओं में प्रकट हुए। शिवपुराण के अनुसार काल भैरव शिव का उग्र रूप है। स्कन्द पुराण के अवन्ति खंड के अनुसार भगवान भैरव के आठ रूप हैं। उनमे काल भैरव तीसरा रूप है। भैरव को जहां शिव के गण के रूप में जाना जाता है वहीं उन्हें दुर्गा का अनुयायी माना जाता है।

रात्रि का देवता भैरव 

भैरव की सवारी कुत्ता है। चमेली का फूल उन्हें बहुत पसंद है। भैरव को रात्रि का देवता माना जाता है और उनकी पूजा मध्य रात्रि में की जाती है। काल भैरव के दर्शन मात्र से भक्त के सारे पाप नष्ट हो जाते है और उनकी सारी मनोकामनायें पूर्ण हो जाती हैं। काल भैरव को उज्जैन नगरी का सेनापति माना जाता है। बाबा काल भैरव महाकाल की नगरी का देख रेख करते हैं। काल भैरव शत्रुओं का नाश एवं भक्तो की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। जो भक्त उज्जैन महाकाल का दर्शन करने जाता है उसे काल भैरव का दर्शन अवश्य करना चाहिए। उससे उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

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