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(रिपोर्ट- आलोक राय)
Mahakumbh Stampede Surpeme Court: महाकुंभ में भगदड़ से हुई मौतों के मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ में भगदड़ एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और देश भर के तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षा उपाय और दिशानिर्देश लागू करने के निर्देश देने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है।
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सीजेआई बोले- महाकुंभ में हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण
सीजेआई (CJI) ने कहा कि महाकुंभ में हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह वाकई चिंता का विषय है। पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में पहले से ही इस मसले को लेकर याचिका पेंडिंग है। इसलिए याचिकाकर्ता वही जाकर अपनी बात रख सकते हैं। वहीं, यूपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन कर दिया है।.
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि घटना की न्यायिक जांच चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इसी तरह की एक याचिका उच्च न्यायालय में दायर की गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता देते हुए याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता ने बड़े धार्मिक समारोहों में ऐसी भगदड़ को रोकने के लिए नीतियां और नियम बनाने के निर्देश भी मांगे।
अधिवक्ता विशाल तिवारी ने दायर की थी याचिका
अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार महाकुंभ में भगदड़ की दुर्भाग्यपूर्ण घटना को रोकने में लापरवाह रही है। इसमें आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "प्रशासन की चूक, लापरवाही और पूर्ण विफलता" थी। याचिकाकर्ता ने महाकुंभ या कुंभ आयोजनों में एक समर्पित 'भक्त सहायता प्रकोष्ठ' स्थापित करने की भी मांग की है।
याचिका में सभी राज्यों को भीड़ प्रबंधन को बढ़ाने के लिए नीतियां बनाने के निर्देश देने और न्यायालय से उत्तर प्रदेश सरकार के समन्वय में महाकुंभ में विभिन्न राज्यों से चिकित्सा सहायता दल तैनात करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है। भगदड़ 29 जनवरी की सुबह हुई थी, जिसमें कथित तौर पर 30-39 लोग मारे गए थे। प्रभावित क्षेत्र संगम पवित्र स्नान स्थल था।
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