MahaKumbh 2025: महाकुंभ के पावन मेले में इस बार इतिहास रचा गया है। रिपोर्ट के अनुसार 13 जनवरी से आयोजित हो रहे दिव्य-भव्य और सांस्कृतिक समागम महाकुंभ ने बुधवार को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व पर 65 करोड़ का आंकड़ा पार कर इतिहास रच दिया।
65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में सनातन आस्था की पावन डुबकी लगाकर धार्मिक और सांस्कृतिक एकता की अद्वितीय मिसाल कायम की है। सुरक्षा और व्यवस्था के लिए प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए थे। हज़ारों पुलिसकर्मी और स्वयंसेवकों ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित की। इसके अलावा, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी विशेष ध्यान दिया गया। महाकुंभ का यह आयोजन हर 12 साल में होता है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम माना जाता है। इस बार का महाकुंभ और भी खास रहा, क्योंकि इसमें शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए।
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काशी में 10 हजार नागा साधुओं का शानदार जुलूस, गदा-तलवार लहराते दिखे
काशी की पावन धरती पर इस बार एक अद्भुत नज़ारा देखने को मिला, जब 10 हजार से अधिक नागा साधुओं ने गदा और तलवार लहराते हुए भव्य जुलूस निकाला। यह जुलूस शहर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ दशाश्वमेध घाट पर पहुंचा, जहां साधुओं ने पवित्र गंगा में डुबकी लगाई और धार्मिक अनुष्ठान किए।
साधुओं का यह जुलूस आस्था का प्रतीक
नागा साधु, जो हिंदू धर्म के अखाड़ों से जुड़े हैं, अपनी परंपरागत वेशभूषा और शस्त्रों के साथ जुलूस में शामिल हुए। यह आयोजन महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर किया गया था, जो काशी में विशेष रूप से मनाया जाता है। नागा साधुओं का यह जुलूस न केवल आस्था का प्रतीक था, बल्कि उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को भी दर्शाता था।
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सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए
इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने जुलूस के दौरान शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष सतर्कता बरती। साधुओं के जुलूस को देखने के लिए हजारों श्रद्धालु और पर्यटक भी मौजूद थे, जिन्होंने इस अद्भुत दृश्य को कैमरे में कैद किया।