इसे करने से आपको जीवन के सारे कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। चलिए जानते हैं कौन सा है ये पाठ।
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार मां दुर्गा की पूजा के लिए सबसे शक्तिशाली यदि कोई पाठ है तो वह दुर्गा सप्तशति का पाठ है।
वैसे तो इस पाठ को नौरात्रि के नौ दिनों में किया जाए तो बहुत अच्छा माना जाता है। लेकिन अगर आप ऐसा नहीं कर पाए हैं तो इसके लिए आप अष्टमी और नवमीं को भी इसे कर सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री से जानते हैं दुर्गा सप्तशति पाठ के नियम क्या (Durga Saptashati Path ke Niyam Kya hain) हैं, इसे कब और कैसे करना चाहिए।
राक्षस के वध के समय अधूरा न छोड़े पाठ
इस पाठ को करते समय इसे कभी भी अधूरा नहीं छोड़ा जाता है। पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार आप जब भी पाठ करें उसका क्रम सही होना चाहिए।
पाठ में माता जब किसी राक्षस का वध करती हैं उस समय उसे बीच में अधूरा न छोड़े। बल्कि उसकी समाप्ति के बाद ही पाठ का विराम दें। ऐसा न करने पर आपको पाठ के शुभ फल न मिलकर प्रतिकूल प्रभाव झेलना पड़ सकते हैं।
दुर्गा सप्तशती में पहले कौन सा पाठ करना चाहिए?
पंडितों के अनुसार दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के दो नियम (Durga Saptashati Path In Hindi) या कहीं क्रम होते हैं।
पहला क्रम षडंग क्रम (Shadang Kram) कहलाता है। दूसरा क्रम सामान्य क्रम कहलाता है।
दुर्गा सप्तशी पाठ किस दिन करना चाहिए
वैसे तो दुर्गा अष्टमी का पाठ नौरात्रि के नौ दिनों तक करना चाहिए। पर अगर आप प्रतिदिन इस पाठ को नहीं कर पा रहे हैं तो दुर्गा सप्तशति का पाठ अष्टमी (Ashtami Tithi), नवमीं (Navmi Tithi), चतुर्दशी (Chaturdashi Tithi) को किया जा सकता है।
वो इसलिए क्योंकि मां दुर्गा (Maa Durga) को ये तीन दिन बेहद पसंद हैं।
ये हैं दुर्गा सप्तशति पाठ का षडंग क्रम
पाठ के सबसे पहले दुर्गा कवच (Durga Covach) करना चाहिए।
इसके बाद अर्गला स्त्रोत (Argal Strotram) किया जाता है।
तीसरे क्रम में कीलक स्त्रोतम् (Keelas Strotram) करना चाहिए।
इसके बाद 108 बार नर्वाण मंत्र (Navarna Mantra) का जाप करना चाहिए।
इसके बाद मां दुर्गा सप्तशति पाठ (Durga Saptashati Path ke Niyam) के पूरे 13 अध्याय पढ़ना चाहिए।
इसके बाद फिर 108 बार नर्वाण मंत्र का जाप करना चाहिए।
इसके बाद देवी जी के तीन रहस्य मूर्ति, प्राधनिक और वैकृतिक रहस्य किया जाना चाहिए।
दुर्गा सप्तशति पाठ का सामान्य क्रम
दूसरा क्रम भी आम भक्तों द्वारा किया जा सकता है। इसमें पहले कवच, अर्गला और कीलक का पाठ किया जाता है।
सामान्य रूप से क्या हैं दुर्गा सप्तशति के नियम
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार पाठ करने से पहले इसके बाद 108 बाद नवार्ण मंत्र (Navarna Mantra) का जाप करना चाहिए।
इसके बाद फिर 13 अध्याय, फिर 108 नवार्ण मंत्र का पात, इसके बाद रात्रि सूक्त, देवी सूक्त का पाठ किया जाता है।
करना न भूलें सिद्ध मंत्र का जाप
जब दुर्गा सप्तशति का पाठ किया जाता है। तो इसके पीछे कुछ माँ दुर्गा के सिद्ध मंत्र (Maa Durga ke Sidhha Mantra) दिए गए हैं। जिसमें रोग नाश के लिए, भय मुक्ति के लिए , सौभाग्य प्राप्ति के लिए मंत्र आदि शामिल हैं। व्यक्ति को अपनी कामना अनुसार जरूर करना चहिए।
दुर्गा सप्तशति पाठ के तीन क्रम कौन से हैं
1 . पहला षडंग क्रम
2. दूसरा सामान्य क्रम
3. तीसरा संपुटित सप्तशति पाठ
क्या होता है संपुटित पाठ
संपुटित पाठ, पाठ और जप का एक तरीका होता है। जिसमें जाप किए जाने वाले मंत्र को बीच-बीच में तीन बार किया जाता है। इसका भी एक क्रम होता है।
मान लीजिए किसी मंत्र को पाठ के बीच में किया जा रहा है तो उसके पहले ॐ (Om) बोला जाता है फिर उस मंत्र के बीच में और बाद में दो बार ॐ, ॐ बोला जाएगा।
संपुटित पाठ (Samputit Path) बेहद कठिन प्रक्रिया होती हैं इसी कारण इसे करने के लिए पंडित ज्यादा दक्षिणा भी लेते हैं। इसे करने में बड़ी सावधानी भी रखनी होती है। पाठ का तीसरा क्रम सबसे कठिन का क्रम होता है।
इस क्रम में समय काफी लगता है। साथ ही आम व्यक्ति को करने की बजाय इसे किसी विद्वान पंडित से कराना चाहिए।
नवरात्रि में हवन
नवरात्रि में (Maha Ashtami 2024 Upay) मां दुर्गा सप्तशति का पाठ करने के बाद हवन करना बेहद जरूरी होता है। हवन के साथ ही पूजा की पूर्णाहूति होती हैं। हवन करने का सही तरीका अपनाकर आप मां दुर्गा को प्रसन्न कर सकते हैं।
नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।