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Madras Highcourt: गैर-हिन्दुओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक, मद्रास हाईकोर्ट का प्रदेश सरकार को आदेश

Madras Highcourt: हाई कोर्ट की मदुरै बेंच की जस्टिस एस श्रीमथी ने डी सेंथिलकुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।

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Manya Jain
Madras Highcourt: गैर-हिन्दुओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक, मद्रास हाईकोर्ट का प्रदेश सरकार को आदेश

हाइलाइट 

  • गैर-हिन्दुओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक
  • मद्रास हाईकोर्ट का प्रदेश सरकार को आदेश
  • मंदिरों के गेट पर नो इंट्री का बोर्ड लगावाएं
  • सेंथिलकुमार की याचिका पर सुनाया फैसला
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Madras Highcourt:हाई कोर्ट की मदुरै बेंच की जस्टिस एस श्रीमथी ने डी सेंथिलकुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार को आदेश दिया कि मंदिरों में ऐसे बोर्ड लगाने चाहिए. जिसमें लिखा हो कि गैर हिंदुओं को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने कहा- मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट नहीं है कि कोई भी घूमने चला आए और हिंदुओं के अपने धर्म को मानने और उसका पालन करने का मौलिक अधिकार हैं।

https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1752541692643717245?s=20

   मंदिर गेट पर डिस्प्ले बोर्ड लगाएं

याचिकाकर्ता सेंथिलकुमार की मांग थी कि, अरुलमिगु पलानी धनदायुथापानी स्वामी मंदिर और अन्य मंदिरों में सिर्फ हिंदुओं को जाने की अनुमति दी जाए। वह यह भी चाहते थे कि सभी इंट्री गेट पर इस संबंध में डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएं। हिल टेंपल डिवोटीज ऑर्गनाइजेशन के संयोजक  सेंथिलकुमार पलानी की याचिका को स्वीकार करते हुए, अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे मंदिरों के इंट्री गेट, ध्वजस्तंभ के पास और मंदिर के प्रमुख स्थानों पर 'गैर-हिंदुओं को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है' वाले बोर्ड लगाएं।

   कोर्ट का कहना मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट नहीं

कोर्ट ने कहा- सरकार मंदिरों में उन गैर-हिंदुओं को अनुमति न दें जो हिंदू धर्म में विश्वास नहीं करते हैं। यदि कोई गैर-हिंदू मंदिर में दर्शन करना चाहता है तो उससे वचन लेना होगा कि उसे मंदिर के देवता में विश्वास है और वह हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और प्रथाओं का पालन करेगा।

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कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए टिप्पणी कि, मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट या पर्यटक स्थल नहीं है। भले ही वह ऐतिहासिक हो। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि मंदिर संविधान के अनुच्छेद 15 के अंतर्गत नहीं आते। इसलिए किसी मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश को रोकने को गलत नहीं कहा जा सकता।

   क्या है मुद्दा 

हाईकोर्ट ने मंदिरों में गैर-हिंदुओं के घुसने की हालिया घटनाओं का भी जिक्र किया। जिसमें कोर्ट ने कहा- हाल ही में अरुलमिघु ब्रहदेश्वर मंदिर में दूसरे धर्म से संबंधित व्यक्तियों के एक समूह ने मंदिर परिसर को पिकनिक स्थल के रूप में माना था और मंदिर परिसर के अंदर मांसाहारी भोजन किया था। इसी तरह, 11 जनवरी को एक अखबार ने खबर दी थी कि मुस्लिम धर्म से जुड़े कुछ लोग मदुरै के अरुलमिघु मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर में गर्भगृह के पास कुरान लेकर चले गए थे और वहां नमाज पढ़ने का प्रयास कर रहे थे।

   मंदिरों की रक्षा करना मेरा कर्तव्य

जस्टिस श्रीमथी ने इस मुद्दे पर कहा कि ये घटनाएं पूरी तरह से संविधान के तहत हिंदुओं को दिए गए मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप हैं। हिंदुओं को भी अपने धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने और अपने धर्म का प्रचार करने का मौलिक अधिकार है। इसलिए, हिंदुओं के रीति-रिवाजों, प्रथाओं के अनुसार उनके मंदिरों की पवित्रता को बनाए रखना और किसी भी तरह की अनैतिक घटनाओं से मंदिरों की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है।

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