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भोपाल में STP 100 दिन से बंद: खुले में गंदा पानी बहने पर NGT का एक्शन, क्रिस्टल एच बिल्डर पर ₹5.35 लाख का जुर्माना

एनजीटी ने यह कार्रवाई 100 से अधिक दिनों से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बंद होने और खुले में मल-जल बहने के कारण की गई है। जांच में पाया गया कि कॉलोनी का एसटीपी 107 दिनों से बंद पड़ा था, जिससे निकलने वाला सीवेज खुले क्षेत्रों में बह रहा था।

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sanjay warude
National Green Tribunal Action

National Green Tribunal Action: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पर्यावरण नियमों की अनदेखी करने पर कोलार रोड स्थित सिंगापुर सिटी के बिल्डर 'क्रिस्टल एच बिल्डर' पर ₹5 लाख 35 हजार का प्रारंभिक जुर्माना लगाया है। 

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एनजीटी ने यह कार्रवाई कॉलोनी में पिछले 100 से अधिक दिनों से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) बंद होने और खुले में मल-जल बहने के कारण की गई है। जांच में पाया गया कि कॉलोनी का एसटीपी 107 दिनों से बंद पड़ा था, जिससे निकलने वाला सीवेज खुले क्षेत्रों में बह रहा था। एनजीटी ने इसे पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा माना है।

क्रिस्टल एच बिल्डर की दलील खारिज

सिंगापुर सिटी के क्रिस्टल एच बिल्डर ने कोर्ट में तर्क दिया था कि उन्होंने कॉलोनी की जिम्मेदारी आवासीय समिति को सौंप दी है। हालांकि, एनजीटी ने इस दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ट्रांसफर की प्रोसेस अभी पूरी नहीं हुई है, इसलिए जिम्मेदारी बिल्डर की ही मानी जाएगी।

बिल्डर को सुधार काम के लिए दिया समय

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ₹5 लाख 35,000 की राशि सिर्फ प्रारंभिक जुर्माना है। यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो यह राशि और बढ़ाई जा सकती है। एनजीटी ने एसटीपी को पूरी तरह ठीक करने और सीवेज बहाव रोकने के लिए बिल्डर को दो सप्ताह का समय दिया है।

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बीएमसी- बिल्डर ने सुधार राशि जमा की

नगर निगम की भूमिका: भोपाल नगर निगम ने कोर्ट को सूचित किया कि बिल्डर की ओर से सुधार काम के लिए राशि जमा कर दी गई है और मरम्मत का काम प्रोसेस में है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए एनजीटी ने इस पर्यावरणीय उल्लंघन की पुष्टि की है।

गंदगी के लिए सीधे बिल्डर को जिम्मेदार 

यह मामला भोपाल के कोलार निवासी डॉ. अभिषेक परसाई द्वारा दायर याचिका के बाद सामने आया। उनकी शिकायत पर ही एनजीटी ने संज्ञान लिया और कॉलोनी में व्याप्त गंदगी के लिए सीधे तौर पर बिल्डर को जिम्मेदार ठहराया।

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट कैसे काम करता है ?

बड़े रिहायशी इलाकों में एसटीपी का होना मेंडेटरी है, ताकि गंदे पानी को शुद्ध कर उसे दोबारा उपयोग बागवानी या फ्लशिंग में लाया जा सके और पर्यावरण को नुकसान न हो।

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