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MadyPrades Last Registered Naxalite Surrender: मध्यप्रदेश के नक्सली क्षेत्र बालाघाट जिले के रजिस्टर्ड आखिरी नक्सली ने गुरुवार 11 दिसंबर 2025 को आत्मसमर्पण कर दिया है। 36 साल बाद अब मध्यप्रदेश नक्सलवाद से मुक्त हुआ। सीएम मोहन यादव ने कहा- आज से लाल सलाम का अंत।
दो प्रमुख नक्सली ने कोरका सीआरपीएफ कैंप में सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। आत्मसमर्पण करने वाले इस नक्सली का नाम दीपक और रोहित बताया जा रहा है, जो मध्यप्रदेश के रिकॉर्ड में बचा हुआ आखिरी रजिस्टर्ड सक्रिय नक्सली था। यह महत्वपूर्ण सरेंडर बालाघाट जिले में हुआ है, जो लंबे समय से नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है। दीपक के सरेंडर को राज्य की पुलिस के नक्सल विरोधी अभियान की सबसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। देरशाम को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश में नक्सलवाद के अंत की घोषणा की।
नक्सल विरोधी ऑपरेशन में कईयों का आत्मसमर्पण
पिछले कुछ समय से मध्यप्रदेश पुलिस और सुरक्षा बलों के लगातार प्रयासों ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए मजबूर किया है। दीपक के सरेंडर से पहले प्रदेश के 21 नक्सलियों ने राज्य और पड़ोसी छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पण किया था। हाल ही में दिसंबर 2025 में बालाघाट में 77 लाख के इनामी कबीर सहित 10 नक्सलियों ने भी मुख्यमंत्री के सामने सामूहिक आत्मसमर्पण किया था।
आत्मसमर्पण के बादले पुर्नवास-सुरक्षा का वादा
इन सफल ऑपरेशनों के कारण बालाघाट और आसपास के इलाकों में सक्रिय MMC (महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़) जोन का नक्सली नेटवर्क अब पूरी तरह से टूट चुका है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार द्वारा पुनर्वास और सुरक्षा सुनिश्चित करने का वादा किया गया है।
LIVE: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बालाघाट में पुनर्वास से पुनर्जीवन के अंतर्गत आयोजित नक्सलियों के आत्मसमर्पण कार्यक्रम में संबोधन https://t.co/TFCVydSO0s
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) December 11, 2025
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मध्यप्रदेश में नक्सलवाद का अंत: उदय से पूर्ण विराम तक की कहानी
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की है कि मध्य प्रदेश में आजादी के बाद 1988-89 में शुरू हुए माओवादियों (लाल सलाम) के आतंकी अभियान का सफलतापूर्वक अंत हो गया है।
| समय अवधि | घटनाक्रम का विवरण | सांख्यिकीय प्रभाव |
| 1988-89 | मध्यप्रदेश में माओवादियों का 'लाल सलाम' यानी आतंकी अभियान शुरू हुआ। | - |
| 1994 | नक्सली हिंसा की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक, जिसमें 17 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे। | 17 सुरक्षाकर्मी शहीद |
| 1988-2003 | यह नक्सली गतिविधियों का शुरुआती दौर था, जहां हिंसा और आगजनी की घटनाएं सामने आईं। | - |
2003 तक नक्सली हिंसा का कुल लेखा-जोखा
यह आंकड़ा 1988-89 से लेकर 2003 तक की अवधि को दर्शाता है, जब नक्सलवाद अपने चरम पर था:
| वर्ग | सांख्यिकीय हानि/घटनाएं |
| शहीद/मृतक | 38 पुलिस अधिकारियों ने अभियान में शहादत दी (कुल अवधि)। |
| सुरक्षाकर्मी शहीद | 35 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। |
| आम नागरिक हत्या | 39 आम नागरिकों की हत्या हुई। |
| सुरक्षाकर्मी घायल | 17 सुरक्षाकर्मी घायल हुए। |
| कुल घटनाएं | 186 घटनाएं हुईं (95 आगजनी की घटनाएं शामिल)। |
| पुलिस मुठभेड़ | 50 मुठभेड़ हुईं। |
| नक्सली हताहत | 11 माओवादियों की मौत हुई, जबकि सिर्फ 1 नक्सली ने सरेंडर किया। |
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अभियान का सफल समापन और अंत
| बिंदु | विवरण |
| नक्सलवाद का अंत | मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि मध्यप्रदेश में नक्सली गतिविधियों पर पूर्ण विराम लग गया है। |
| लक्ष्य पूर्ति | जनवरी 2026 से पहले नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य था, जिसे निर्धारित समय से पहले ही प्राप्त कर लिया गया। |
| अंतिम अभियान (42 दिन) | अंतिम 42 दिनों के गहन अभियान में ₹7 करोड़ 75 लाख के इनामी 42 नक्सलियों ने सरेंडर किया। |
| सुरक्षा ढाँचा मजबूत | 850 गोपनीय पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई और 1,000 अतिरिक्त पुलिस जवानों की नियुक्ति कर मॉनिटरिंग को मजबूत किया गया। |
| शहीदों को याद | इस सफलता को बालाघाट के अमर शहीदों को समर्पित किया गया, जिन्होंने इस संघर्ष में अपनी जान गंवाई। |
मोहन यादव सरकार के तहत निर्णायक कार्रवाई (2023-2025)
मुख्यमंत्री मोहन यादव के कार्यकाल में दिसंबर 2023 से दिसंबर 2025 तक नक्सल विरोधी अभियान को मिशन मोड पर चलाया गया।
| अवधि | इनामी नक्सली/घटनाएं | प्रभाव और उपलब्धि |
| 2023-24 | 7 घटनाएं (मुठभेड़ सहित) हुईं, जिन पर ₹71 लाख का इनाम था। | 4 नक्सली मारे गए और 1 नक्सली को गिरफ्तार किया गया। |
| 2025 | 10 मुठभेड़ की घटनाएं हुईं। इन पर ₹1.46 करोड़ का इनाम था। | 10 नक्सली मारे गए, जिनसे AK-47, 12 बोर राइफल समेत कई आधुनिक हथियार बरामद किए गए। |
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