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MP High Court।
MP Promotion Reservation Policy 2025 Highcourt Hearing Update: मध्यप्रदेश की नई प्रमोशन में आरक्षण नीति ((Promotion Policy Dispute) एक बार फिर कानूनी विवादों में घिर गई है। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्रमोशन में आरक्षण नियम-2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पहली बार राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और साफ कहा कि बिना सटीक आंकड़ों के कोई भी आरक्षण नीति अधूरी मानी जाएगी। अदालत ने 16 दिसंबर तक विस्तृत क्वांटिफाइएबल डेटा व जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
प्रमोशन में आरक्षण को हाई कोर्ट में चुनौती
मध्यप्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण नियम-2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को हाई कोर्ट ने सख्त रुख दिखाया। मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्पष्ट कहा कि बिना ठोस आँकड़ों के बनाई गई आरक्षण नीति कानून की कसौटी पर नहीं टिक सकती।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमोल श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि बिना क्वांटिफिएबल डेटा (Quantifiable Data) के यह नियम संवैधानिक रूप से सही नहीं ठहराए जा सकते। उनका कहना है कि बैकलॉग पदों को लगातार आगे बढ़ाने से वास्तविक प्रतिनिधित्व का संतुलन गड़बड़ा गया है। कई विभाग वर्षों तक रिक्त पद खाली छोड़कर उन्हें आरक्षित वर्ग के लिए सुरक्षित रखते हैं, जिससे संरचना असंतुलित हो गई है।
कोर्ट ने कहा: डेटा अधूरा, स्पष्ट जानकारी दें
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि प्रमोशन में आरक्षण बढ़ने से प्रतिनिधित्व 10% तक बढ़ जाएगा, लेकिन कोर्ट ने प्रस्तुत डेटा को अधूरा बताया। इंटरविनर पक्ष ने दलील दी कि असिस्टेंट फॉरेस्ट कंज़र्वेटर सहित कई उच्च पदों पर अनारक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व बेहद कम है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि 16% और 20% प्रमोशन आरक्षण लागू होने पर आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व 38% से बढ़कर 48% तक पहुँच सकता है। लेकिन कोर्ट ने यह डेटा “अपूर्ण और अस्पष्ट” बताते हुए नए प्रारूप में विस्तृत चार्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
मेरिट और पारदर्शिता पर भी उठे सवाल
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्रमोशन में आरक्षण के कारण आउटस्टैंडिंग ग्रेडिंग की पारदर्शिता प्रभावित हो सकती है। उनका आरोप है कि इससे उच्च पदों पर मेरिट कमजोर पड़ेगी और योग्य अधिकारियों के करियर पर सीधा असर पड़ेगा।
सरकार को नोटिस, अगली सुनवाई 16 दिसंबर
मामले में अब तक अदालत में मुख्य रूप से याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनी जा रही थी, लेकिन अब पहली बार राज्य सरकार को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को विस्तृत डेटा सहित नोटिस जारी किया। सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी.एस. वैद्यनाथन 16 दिसंबर को विस्तृत जवाब और डेटा प्रस्तुत करेंगे।
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