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MP 5 Day Working System।
Madhya Pradesh Govt Employees 5-Day Working System: मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए नए साल से पहले एक बेहद सुकून भरी खबर सामने आ रही है। प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में वर्तमान 5-डे वर्किंग (सोमवार से शुक्रवार) व्यवस्था जारी रहेगी। अभी 6-डे वर्किंग सिस्टम नहीं लागू होगा। पिछले कुछ समय से सचिवालय और सरकारी गलियारों में यह चर्चा गर्म थी कि जनवरी 2026 से 5-डे वर्किंग सिस्टम को खत्म कर पुराने 6-डे वर्किंग सिस्टम को फिर से बहाल किया जा सकता है। सरकार अब ने 5-डे वर्किंग व्यवस्था को फिलहाल जारी रखने के संकेत दिए हैं।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, मोहन सरकार फिलहाल इस व्यवस्था में बदलाव करने के मूड में नहीं है। शनिवार और रविवार के अवकाश की यह व्यवस्था कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ सरकारी खजाने के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है।
छुट्टियों की समीक्षा होगी, नहीं बदलेंगे वर्किंग डेज
कोरोना काल के दौरान बिजली की बचत और संक्रमण रोकने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश में सरकारी दफ्तरों के लिए 5-डे वर्किंग सिस्टम लागू किया गया था। इस व्यवस्था की सफलता को देखते हुए सरकार ने इसे समय-समय पर आगे बढ़ाया। अब जब जनवरी 2026 की समय सीमा करीब आ रही है, तो सरकार ने इसकी समीक्षा के लिए कदम उठाए हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने संकेत दिए हैं कि प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में वर्तमान 5-डे वर्किंग (सोमवार से शुक्रवार) व्यवस्था जारी रहेगी। जनवरी 2026 से 6-डे वर्किंग लागू करने की अटकलों पर सरकार ने स्पष्ट किया है कि गठित समिति केवल अन्य अवकाशों की समीक्षा करेगी।
अवकाश पर पुनर्विचार के लिए बनी समिति
सूत्रों के अनुसार, सामान्य प्रशासन, वित्त, गृह और राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। इस समिति का मुख्य कार्य 5-डे वर्किंग को समाप्त करना नहीं, बल्कि कर्मचारियों को मिलने वाले स्वैच्छिक अवकाश (Optional Leaves) और अन्य सार्वजनिक अवकाशों के कैलेंडर की समीक्षा करना है। सरकार चाहती है कि साल भर में कुल कार्य दिवसों और उत्पादकता के बीच सही संतुलन बना रहे।
₹400 करोड़ की भारी बचत
मध्यप्रदेश कर्मचारी संघ ने इस व्यवस्था का पुरजोर समर्थन किया है। संघ के अनुसार, शनिवार को दफ्तर बंद रहने से बिजली, पानी, स्टेशनरी और पेट्रोल-डीजल के खर्च में सरकार को सालाना लगभग 400 करोड़ रुपए की बड़ी बचत हो रही है। कर्मचारी भी इस व्यवस्था से खुश हैं क्योंकि उन्हें परिवार के साथ समय बिताने और मानसिक रूप से रिचार्ज होने के लिए दो दिन का समय मिल रहा है।
महापुरुषों की जयंती की छुट्टियों पर विचार
कर्मचारी संगठनों ने एक रचनात्मक सुझाव भी दिया है। उनका कहना है कि यदि सरकार को कार्य दिवस बढ़ाने की आवश्यकता महसूस होती है, तो महापुरुषों की जयंती पर मिलने वाले कुछ सार्वजनिक अवकाशों में कटौती की जा सकती है, लेकिन शनिवार का अवकाश किसी भी कीमत पर बना रहना चाहिए।
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