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MP E-Attendance: सरकारी स्कूलों में ई-अटेंडेंस की परेशानियों को लेकर हाईकोर्ट में लगाई याचिका टीचर्स ने ली वापस, जानें वजह

मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों E-अटेंडेंस की अनिवार्यता को लेकर हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका शिक्षकों ने वापस ले ली है। आखिर इसके पीछे क्या वजह है।

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Rahul Garhwal
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MP E-Attendance: मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में E-अटेंडेंस की अनिवार्यता को लेकर दायर की गई याचिका बुधवार को वापस ले ली गई। याचिकाकर्ता शिक्षकों की ओर से कोर्ट में निवेदन किया गया कि वे नए तथ्यों के साथ फ्रेश याचिका दाखिल करना चाहते हैं। जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने याचिका वापस लेने की अनुमति प्रदान करते हुए मामले का पटाक्षेप कर दिया।

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हाईकोर्ट ने क्या कहा ? 

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका में जिस नियम को हवाला दिया जा रहा है, वह फ्रेश पिटीशन में ही दिया जा सकता है। पुरानी याचिका में जो आधार दिए गए थे, उन आधारों पर दूसरे मुकदमों के फैसले हो चुके हैं।

हमारे शिक्षक E-एप को चुनौती

MP E Attendance
हमारे शिक्षक एप से लगती है E-अटेंडेंस

मध्यप्रदेश सरकार के 'हमारे शिक्षक E-एप' को चुनौती देते हुए प्रदेश के 27 शिक्षकों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया था कि 'हमारे शिक्षक E-एप' सुरक्षित नहीं है। इससे डेटा लीक होने और साइबर फ्रॉड की घटनाएं सामने आई हैं।

एप में तकनीकी समस्याएं

जबलपुर के शिक्षक मुकेश सिंह बरकड़े सहित विभिन्न जिलों के 27 शिक्षकों ने ई-अटेंडेंस के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ‘हमारे शिक्षक’ एप से प्रतिदिन उपस्थिति दर्ज कराने में गंभीर तकनीकी और व्यावहारिक कठिनाइयां आ रही हैं।

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हमारे शिक्षक एप में पर्याप्त सिक्योरिटी नहीं

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने कोर्ट को बताया था कि सरकार यह एप एक निजी संस्था से चलवा रही है और वही संस्था शिक्षकों का डेटा कलेक्ट कर रही है। केंद्र सरकार के निजी डेटा कलेक्शन नियम इस पर लागू होते हैं, पर ऐप में सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त नहीं है।

शिक्षकों के खातों से पैसे निकाले जाने की शिकायत

शिक्षकों ने हाईकोर्ट को ये भी बताया था कि प्रदेश में 5-6 शिक्षकों के खातों से रुपये निकाल लिए गए और उनकी निजी जानकारी लीक हुई। कई जिलों के शिक्षा अधिकारियों ने इसकी शिकायत करते हुए पत्र भी लिखे।

DPI ने क्या कहा ?

DPI ने इन शिकायतों को स्वीकार करते हुए माना कि कुछ शिक्षकों के साथ फ्रॉड की घटनाएं हुई हैं और अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। वहीं राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा था कि ई-अटेंडेंस सिस्टम पहले भी सही साबित किया गया है। सरकार का कहना है कि एप के लिए डेटा सेफ्टी सर्टिफिकेट लिया गया है और न तो सर्वर की समस्या है, न नेटवर्क की।

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