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MP Bijli Bill Hike: मध्यप्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को फिर लगेगा महंगाई का झटका, पॉवर जेनरेशन कंपनी ने MPERC से की ये मांग

मध्यप्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर महंगाई का बड़ा झटका लगने वाला है, क्योंकि पावर कंपनी ने ₹42,000 करोड़ का घाटा दिखाकर बिजली की दरों में सीधे 10% की बढ़ोतरी का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को भेजा है।

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Vikram Jain
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मध्यप्रदेश में और महंगी हो सकती है बिजली।

MP Power Generation Company 10% Electricity Rate Hike Proposal: मध्यप्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर महंगी बिजली का सामना करना पड़ सकता है। राज्य की बिजली कंपनियों ने नए साल में बिजली के टैरिफ में 10% तक की बढ़ोतरी करने की तैयारी कर ली है। एमपी पावर जेनरेशन कंपनी ने इस संबंध में मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (MPERC) के सामने एक टैरिफ याचिका दायर की है।  कंपनी ने अपने प्रस्ताव में लगभग ₹42,000 करोड़ का भारी-भरकम घाटा दर्शाया है और इसी घाटे की भरपाई के लिए दरों में बढ़ोतरी की मांग की है। हालांकि, कोयले पर जीएसटी में कटौती और राज्य में सोलर ऊर्जा के बढ़ते उत्पादन के बावजूद यह मांग की गई है, जिस पर प्रदेश भर में विरोध शुरू हो गया है।

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घाटे की भरपाई के लिए 10% बढ़ोतरी की मांग

मध्यप्रदेश पावर जेनरेशन कंपनी (MP Power Generating Company) ने विद्युत नियामक आयोग में जो टैरिफ याचिका दायर की है, उसमें मुख्य रूप से घाटे का हवाला दिया गया है। कंपनी का दावा है कि उसे लगभग 42,000 करोड़ रूपए का वित्तीय घाटा हुआ है। इस बड़े घाटे की भरपाई करने के लिए, कंपनी ने बिजली की दरों में सीधी 10% की बढ़ोतरी की मांग की है।

नियामक आयोग में प्रारंभिक सुनवाई पूरी

बिजली दरों में बढ़ोतरी से संबंधित इस टैरिफ याचिका पर विद्युत नियामक आयोग (MPERC) में प्रारंभिक सुनवाई पूरी हो चुकी है। अब नियामक आयोग इस प्रस्ताव पर राज्य के आम उपभोक्ताओं से आपत्तियां और सुझाव मांगेगा। इसके लिए जल्द ही जनसुनवाई की तारीख तय की जाएगी। जनसुनवाई के बाद ही आयोग अंतिम फैसला लेगा कि बिजली की दरें कितनी बढ़ाई जाएंगी या बढ़ाई जाएंगी भी या नहीं।

विशेषज्ञ बोले- बढ़ोतरी जनता विरोधी

कंपनी द्वारा बिजली दरें बढ़ाने की मांग पर प्रदेश में विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि बिजली कंपनी की यह मांग पूरी तरह से जनता विरोधी है, जिसके कई कारण हैं...

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  • उत्पादन लागत में कमी: केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में कोयले पर लगने वाले जीएसटी में कटौती की गई है, जिससे बिजली उत्पादन की लागत कम होनी चाहिए।
  • सोलर उत्पादन में वृद्धि: राज्य सरकार लगातार सोलर एनर्जी पर काम कर रही है और सरकारी इमारतों पर सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं, जिससे उत्पादन लागत कम होनी चाहिए।
  • सरप्लस बिजली का दावा: जानकार बताते हैं कि बिजली कंपनियां सरप्लस बिजली उत्पादन का दावा करती हैं और दूसरे राज्यों से भी बिजली खरीदती हैं, लेकिन फिर भी हर साल दरों में बढ़ोतरी की मांग करती हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि पड़ोसी राज्यों में पिछले कई वर्षों से बिजली की दरों में कोई वृद्धि नहीं की गई है, जबकि मध्य प्रदेश में बार-बार दाम बढ़ाए जा रहे हैं, जो सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को ठगना है। लिहाजा, इस अनुचित मांग का पुरजोर विरोध किया जाएगा।

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