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भ्रष्टाचार के खिलाफ EOW का एक्शन: छिंदवाड़ा में वन विभाग के अधिकारियों पर FIR, मंडला में सरपंच–सचिव पर केस, जानें मामला

जबलपुर EOW ने छिंदवाड़ा और मंडला में संयुक्त कार्रवाई करते हुए वन विभाग के अधिकारियों, वनपाल के पुत्र और ग्राम पंचायत बेलखेड़ी के सरपंच–सचिव के खिलाफ FIR दर्ज की है। मामला लाखों के गबन, फर्जी भुगतान से जुड़ा है।

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Vikram Jain
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Jabalpur EOW Action Forest Department Scam: मध्यप्रदेश में एक बार फिर भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। मामले में जबलपुर आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने छिंदवाड़ा और मंडला जिलों में बड़ी कार्रवाई करते हुए कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर शिकंजा कसा है। जांच एजेंसी ने वन विभाग के अधिकारियों और मंडला जिले के सरपंच–सचिव के खिलाफ गबन और फर्जी भुगतान के गंभीर मामलों में FIR दर्ज की है।

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जांच के दौरान खुलासा हुआ कि वन विभाग में 30 लाख रुपए से ज्यादा की राशि फर्जी मजदूरों और फर्जी फर्मों के नाम पर निकाल ली गई थी। वहीं, मंडला में भी जमकर हेराफेरी की गई। यहां ग्राम पंचायत बेलखेड़ी में बगैर कोई काम करवाए 22.87 लाख रुपए का गबन किया गया। दोनों मामलों में कागजी हेराफेरी कर सरकारी राशि का बड़ा दुरुपयोग किया गया था।

EOW की दो जिलों में बड़ी कार्रवाई

जबलपुर आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो ने छिंदवाड़ा और मंडला में एक साथ कार्रवाई करते हुए वन विभाग के उप वन मंडलाधिकारी, दो रेंज अधिकारी, वनपाल के बेटे और मंडला के सरपंच–सचिव के खिलाफ गंभीर गबन और फर्जी भुगतान मामलों में FIR दर्ज की।

वन विभाग में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर

दरअसल, जबलपुर EOW को शिकायत मिली थी कि कैम्पा योजना की निधि का दुरुपयोग हो रहा है और राशि को वास्तविक कार्यों में खर्च करने के बजाय गलत तरीके से निकाला जा रहा है। शिकायत की जांच आगे बढ़ने पर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया।

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जांच में खुलासा हुआ कि उप वन मंडलाधिकारी अनादि बुधोलिया (परासिया, छिंदवाड़ा), परिक्षेत्र अधिकारी कीर्ति बाला गुप्ता (सांवरी रेंज), परिक्षेत्र अधिकारी हीरालाल सनोड़िया (सांवरी रेंज) और वनपाल चेतराम चौबे के बेटे सुशील चौबे ने मिलकर कई मदों में फर्जी भुगतान किए। इन सभी पर कैम्पा योजना की राशि को ग़लत तरीके से निकालने और कागजी हेराफेरी कर सरकारी धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगा है।

फर्जी मजदूरों और फर्जी फर्म के नाम पर निकाली राशि

जांच में खुलासा हुआ कि वनपाल चेतराम चौबे के बेटे सुशील चौबे को फर्जी मजदूर दिखाकर 2 लाख 71 हजार 379 रुपए का भुगतान किया गया था। इसके अलावा सुशील चौबे की फर्म अवनी कंस्ट्रक्शन के खाते में 23,21,199 रुपए स्थानांतरित किए गए। 

ये सभी भुगतान कैम्पा योजना, बाउंड्रीवाल और निर्माण कार्यों के नाम पर दिखाए गए थे, जबकि धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ। EOW ने पाया कि एक ही दिन में एक मजदूर को एक ही काम के लिए दो बार भुगतान किया गया। यह भ्रष्टाचार का स्पष्ट मामला है।

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स्वीकृति से पहले कर दिया गया भुगतान 

सांवरी परिक्षेत्र की बात करें तो यहां बाउंड्रीवाल बनाने के लिए 15 लाख रुपए की मंजूरी दी गई थी, लेकिन जांच में पता चला कि सिर्फ 6 हजार 97 हजार 643 रुपए के ही असली बिल मिले। बाकी राशि गबन कर ली गई। इसके अलावा, काम की स्वीकृति मिलने से पहले ही 2 लाख 22 हजार 176 रुपए का भुगतान कर दिया गया था, जो नियमों के खिलाफ है।

इसी तरह, परासिया वन मंडल में CCTV और DVR खरीदने के नाम पर तय राशि से 52,534 रुपए ज्यादा चुका दिए गए और यह भुगतान भी स्वीकृति से पहले ही कर दिया गया।

जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी अधिकारी अनादि बुधोलिया अपने 19 साल के सेवा काल में से 17 साल एक ही वन मंडल में तैनात रहे, जिससे अनियमितताओं की आशंका और बढ़ जाती है।

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ग्राम पंचायत में 22 लाख से ज्यादा का गबन

इधर, मंडला जिले के ग्राम पंचायत बेलखेड़ी और बीरमपुर में जमकार पैसों का गोलमाल किया गया। दरअसल EOW को ग्राम पंचायत में 22 लाख से ज्यादा के गबन की शिकायतें मिली थीं। जांच में सामने आया कि सरपंच बीरन सिंह काकोडिया और सचिव मिथलेश उददे ने 2014 से 2022 के बीच सीसी रोड, चौपाल, नाली, पुलिया और भवन मरम्मत जैसे 9 कार्यों के नाम पर 22,87,370 रुपए निकाल लिए। ये सभी भुगतान बिना कोई काम करवाए, फर्जी दस्तावेज बनाकर किए गए थे।

दोनों मामलों में EOW ने दर्ज की FIR

दोनों मामलों की जांच में फर्जी मजदूर, फर्जी फर्म, एक दिन में दो बार भुगतान और कार्य स्वीकृति से पहले राशि निकालने जैसी गंभीर अनियमितताएं उजागर हुईं। अब दोनों मामलों में EOW ने संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लिया है। इन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार, गबन और फर्जीवाड़े के तहत केस दर्ज किया है। अब आगे वित्तीय लेनदेन की विस्तृत जांच और अधिकारियों की भूमिका की गहराई से पड़ताल की जाएगी।

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