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Jabalpur CGST Bribery Case Update: जबलपुर स्थित सेंट्रल जीएसटी (CGST) रिश्वत कांड में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अपनी कार्रवाई का दायरा बढ़ा दिया है।
दरअसल, बुधवार 17 दिसंबर 2025 को सीजीएसटी के इंस्पेक्टर सचिन खरे को ₹4 लाख रुपए की रिश्वत के साथ रंगे हाथों पकड़ा था। इस मामले में सीजीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर विवेक वर्मा को भी गिरफ्तार किया गया है। दोनों अधिकारियों के खिलाफ अब तकनीकी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। CBI ने दोनों ​अधिकारियों के मोबाइल फोन को आधिकारिक तौर पर सीज कर दिया है। इन फोनों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। सीजीएसटी कार्यालय अधीक्षक की तलाश में टीम जुटी हुई है।
इन बिंदुओं पर जांच कर रही CBI
डिलीट किया गया डेटा: फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स डिलीट किए गए मैसेज और कॉल लॉग्स को रिकवर करने की कोशिश कर रहे हैं।
चैट और कॉल रिकॉर्ड: संदेह है कि रिश्वत के लेनदेन और अन्य भ्रष्टाचार से जुड़ी डील्स व्हाट्सएप चैट या अन्य सोशल मीडिया एप्स के जरिए की गई थीं।
नेटवर्क की पहचान: कॉल रिकॉर्ड के जरिए CBI उन अन्य कड़ियों को जोड़ रही है जो इस सिंडिकेट का हिस्सा हो सकते हैं।
वित्तीय संपत्तियों की पड़ताल
सिर्फ डिजिटल डेटा ही नहीं, बल्कि अब आरोपियों की आर्थिक कुंडली भी खंगाली जा रही है। CBI ने अधिकारियों के बैंक खातों और लॉकर की जांच शुरू कर दी है। जांच एजेंसी को अंदेशा है कि भ्रष्टाचार के जरिए अर्जित की गई आय का एक बड़ा हिस्सा संपत्तियों या अघोषित बैंक खातों में निवेश किया गया हो सकता है।
फरार अधीक्षक की तलाश जारी
इस मामले में एक अन्य प्रमुख आरोपी सेंट्रल जीएसटी कार्यालय अधीक्षक मुकेश बर्मन फिलहाल फरार है। CBI की कई टीमें उसकी गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही हैं। माना जा रहा है कि मुकेश बर्मन की गिरफ्तारी के बाद विभाग में चल रहे कई और बड़े खेल उजागर हो सकते हैं।
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अधिकारियों ने 58 होटलों की बनाई थी हिट लिस्ट
जांच में जो सबसे चौंकाने वाला खुलासा हुआ, वह था इन अधिकारियों का वसूली नेटवर्क। सूत्रों के अनुसार अधिकारियों ने शहर के लगभग 58 होटलों की एक सूची तैयार कर रखी थी। इन सभी होटल संचालकों से नियम-विरुद्ध तरीके से मोटी रकम ऐंठने की योजना थी।
वसूली में और भी अधिकारी होने की संभावना
सीबीआई अब इन अधिकारियों के निवास और कार्यालयीन दस्तावेजों की सघन जांच कर रही है। यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या इस वसूली में विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। केंद्रीय जीएसटी विभाग जैसे महत्वपूर्ण कार्यालय में इस स्तर के अधिकारियों की गिरफ्तारी ने सरकारी सिस्टम की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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