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इंदौर शिक्षा विभाग में बड़ा घोटाला: BEO कार्यालय में 1.57 करोड़ का गबन, रिश्तेदारों के खातों में भेजी छात्रवृत्ति की राशि, एक्शन में कलेक्टर

इंदौर में स्कूल शिक्षा विभाग के बीईओ कार्यालय में 1.57 करोड़ रुपए का गबन उजागर हुआ है। सरकारी कर्मचारियों ने योजनाओं की राशि अपने रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर की थी।

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Vikram Jain
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सांकेतिक फोटो।

Embezzlement in Indore BEO Office: मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में स्कूल शिक्षा विभाग के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (BEO) कार्यालय में भ्रष्टाचार का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। सरकारी खजाने से लगभग 1 करोड़ 57 लाख रुपए की राशि का गबन कर उसे अपनों के बैंक खातों में पहुंचा दिया गया। इस घोटाले का पर्दाफाश भोपाल स्थित आईटी सेल की सतर्कता से हुआ है। मामले की गंभीरता को देखते हुए इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा ने दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर के निर्देश पर पूरे मामले की जांच जिला पंचायत के सीईओ को सौंपी गई है। 
साथ ही संदिग्धों के रिश्तेदारों के बैंक खाते फ्रीज किए गए हैं।

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इंदौर शिक्षा विभाग में करोड़ों का फर्जीवाड़ा

स्कूल शिक्षा विभाग के इंदौर विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) कार्यालय में करोड़ों का भ्रष्टाचार सामने आया है। जानकारी के अनुसार, विभाग के ही कुछ शातिर कर्मचारियों ने नियम-कानूनों को ताक पर रखकर सरकारी खजाने में सेंधमारी की। शुरुआती जांच में पता चला है कि साल 2018 से लेकर 2025 तक यानी पिछले 7 वर्षों में करीब 1.57 करोड़ रुपए की राशि को निजी लाभ के लिए इधर-उधर किया गया।

छात्रवृत्ति और जीपीएफ मद में हुई हेराफेरी

घोटालेबाजों ने मुख्य रूप से छात्रों के लिए आने वाले अनुदान, छात्रवृत्ति और कर्मचारियों के जीपीएफ (GPF) मद की राशि को अपना निशाना बनाया। इस सरकारी रकम को सीधे तौर पर कर्मचारियों के परिजनों और परिचितों के बैंक खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया गया। बाद में इस राशि को नकद निकालकर ठिकाने लगा दिया गया।

भोपाल आईटी सेल ने पकड़ी गड़बड़ी

इस पूरे घोटाले का राजफाश भोपाल स्थित शिक्षा विभाग की आईटी सेल ने किया है। सॉफ्टवेयर में संदिग्ध ट्रांजेक्शन और बार-बार एक ही तरह के गैर-सरकारी खातों में बड़ी राशि के ट्रांसफर ने अधिकारियों का ध्यान खींचा। जब खातों की विस्तृत जांच की गई, तो करोड़ों के गबन की बात सामने आई, जिसके बाद रिपोर्ट इंदौर कलेक्टर को भेजी गई।

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बैंक खाते फ्रीज और विस्तृत जांच

कलेक्टर शिवम वर्मा के निर्देश पर जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन ने पूरे मामले की कमान संभाल ली है। उन्होंने संदिग्ध कर्मचारियों की सूची तैयार कर उनके और उनके परिवार के बैंक खातों को तत्काल प्रभाव से फ्रीज (Freeze) कर दिया है ताकि राशि को और अधिक खुर्द-बुर्द न किया जा सके। मामले की गहन जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है, जो 2018 से अब तक हुए सभी लेन-देन का ऑडिट करेगी। फिलहाल मामले की जांच जारी है और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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