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Indore Master Plan Controversy Update: इंदौर के मास्टर प्लान में हेरफेर करने से जुड़े एक मामले में पूर्व आईएएस यूके सामल, डीपी तिवारी, इंदौर के बिल्डर मनीष कालानी और नगर निगम इंदौर में भवन अधिकारी रहे राकेश शर्मा को हाईकोर्ट से झटका लगा है। सभी ने उनके खिलाफ अधीनस्थ अदालत द्वारा भ्रष्टाचार और भादंवि की अन्य धाराओं के तहत तय आरोपों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस विवेक अग्रवाल व जस्टिस राजकुमार चौबे की खंडपीठ ने मामले में हस्पक्षेप से इनकार करते हुए याचिकाएं निरस्त कर दीं। गौरतलब है कि इंदौर की ट्रायल कोर्ट में यह मामला विचाराधीन है।
बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए मास्टर प्लान में हेरफेर
इंदौर में बिल्डर को फायदा पहुंचाने के मकसद से मास्टर प्लान में हेरफेर किया गया था। इसके तहत रिहायशी क्षेत्र को व्यावसायिक किया गया ताकि उसके अच्छे दाम मिल सकें। इस मामले में EOW में शिकायत के बाद उक्त सभी के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया। इंदौर की ट्रायल कोर्ट ने सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार और अन्य धाराओं के तहत चार्ज फ्रेम किए। सभी ने याचिका दायर कर EOW की ओर से प्रस्तुत चार्जशीट को भी चुनौती दी थी।
'हस्तक्षेप आवश्यक नहीं है'
पूर्व IAS यूके सामल और डीपी तिवारी की ओर से यह दलील दी गई कि उनके खिलाफ आरोप नहीं लगाए जा सकते क्योंकि प्रकरण दायर करने से पहले अभियोजन स्वीकृति नहीं ली गई है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रकरण के अंतिम निराकरण के दौरान यह निर्धारित करना उचित होगा कि प्रकरण में आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल करते समय अभियोजन स्वीकृति नहीं लिया जाना उचित है या नहीं। इसलिए इस मामले में हस्तक्षेप आवश्यक नहीं है।
कोर्ट ने और क्या कहा
कोर्ट ने यह भी कहा कि जहां तक ​​आरोप तय करने का सवाल है, उसमें कुछ भी अवैधानिक नहीं है। याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी और 420 के साथ धारा 120-बी के तहत लगाए गए आरोप ट्रायल कोर्ट के समक्ष रखे गए सबूतों पर आधारित हैं।
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