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Medical College Scam: इंदौर में इंडेक्स मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल पर ईडी ने गुरुवार, 27 नवंबर को छापेमार कार्रवाई की है। टीम ने (Medical College Scam) मेडिकल कॉलेज के अकाउंट सेक्शन को सील कर दिया है। ईडी ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के साथ देशभर के 15 ठिकानों पर एक साथ छापामार कार्रवाई की।
सीबीआई देशभर में कर चुकी छापेमारी
CBI ने 5 महीने पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक में 40 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की थी। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए। CBI अफसरों का कहना है कि शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी निरीक्षण प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए कई पैतरें आजमा रहे थे।
सीबीआई देशभर में कर चुकी छापेमारी
CBI ने 5 महीने पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक में 40 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की थी। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए। CBI अफसरों का कहना है कि शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी निरीक्षण प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए कई पैतरें आजमा रहे थे।
स्कैम में रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट रायपुर भी शामिल
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने मेडिकल कॉलेज की मान्यता रिपोर्ट को अनुकूल बनाने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में 3 डॉक्टरों समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। इस स्कैम में छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च का नाम भी जुड़ा है।
CBI की जांच के मुताबिक, नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज (SRIMSR) के पक्ष में रिपोर्ट बनाने के मामले में नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की टीम ने हवाला के जरिए 55 लाख रुपए की घूस ली है। गिरफ्तार आरोपियों में डॉ. मंजप्पा सीएन, डॉ. चैत्रा एमएस, डॉ. अशोक शेलके, अतुल कुमार तिवारी, सथीशा ए और रविचंद्र के. शामिल हैं।
मान्यता के लिए 2 से 3 करोड़ में हुई डील
इस घोटाले में रावतपुरा सरकार यानी रविशंकर महाराज मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हैं। यह भिंड (लहार) के हैं। मेडिकल कॉलेज का रावतपुरा सरकार से सालों से संबंध हैं। कॉलेज मैनेजमेंट ने रावतपुरा के साथ संपर्कों का लाभ उठाया और फिर सरकारी सिस्टम में घुसपैठ बनाई। दोनों की जुगलबंदी ने कॉलेज को मान्यता दिलाने में एक्सपर्ट बना दिया। इसमें जमकर कमीशनखोरी हुई। एक-एक कॉलेज की मान्यता के लिए दो से तीन करोड़ रुपए तक की डील हुई है। इसमें कमीशन खाया गया। राशि संबंधित को हवाला के जरिए पहुंचाई जाती थी।
रावतपुरा रिश्वतकांड के आरोपी और उनका किरदार
डॉ. मंजप्पा सीएन (इंस्पेक्शन टीम प्रमुख)
भूमिका- अतुल कुमार तिवारी के साथ मिलकर कॉलेज के फेवर में रिपोर्ट बनाने 55 लाख की डील की। पैसे 3 लोगों में बंटे।
डॉ. चैत्रा एमएस (इंस्पेक्शन टीम की सदस्य)
भूमिका- डॉ. मंजप्पा सीएन के साथ रिश्वतकांड में बराबर के हिस्सेदार रहे। कॉलेज के पक्ष में रिपोर्ट बनाने और पैसे लेने पर सहमति जताई।
डॉ. अशोक शेलके (इंस्पेक्शन टीम के सदस्य)
भूमिका- डॉ. मंजप्पा सीएन के साथ रिश्वतकांड में बराबर के हिस्सेदार रहे। कॉलेज के पक्ष में रिपोर्ट बनाने में सहमति।
अतुल कुमार तिवारी (SRIMSR, रायपुर के निदेशक)
भूमिका- संस्थान के पक्ष में रिपोर्ट बनाने डॉ. मंजप्पा सीएन को 55 लाख की रिश्वत ऑफर की। पैसों को हवाला से देने की जानकारी दी।
सथीश ए (डॉ. मंजप्पा सीएन का सहयोगी)
भूमिका- हवाला कनेक्शन से पैसा लेने वाला। हवाला ऑपरेटर से 55 लाख रुपए इकट्ठा किया। इसके बाद बताए ठिकानों तक पहुंचाया।
रविचंद्र के (आरोपी डॉ. चैत्रा का पति)
भूमिका-सथीश से 16.62 लाख रुपए लिए। CBI की टीम ने रविचंद्र को रंगेहाथों पकड़ा है।
(यह जानकारी CBI के आरोप पत्र के अनुसार दी गई)
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