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पूर्व उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़
Jagdeep Dhankhar Bhopal Visit: देश के पूर्व उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भोपाल के रविंद्र भवन में कहा कि भगवान करे कोई नैरेटिव के चक्कर में न फंसे। जो समझना नहीं चाहते, हर हाल में बात को धूमिल करेंगे। जो जागकर भी सोया हो, उसे जगा नहीं सकते। पूर्व उप-राष्ट्रपति RSS के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. मनमोहन वैद्य की पुस्तक ‘हम और यह विश्व’ के विमोचन कार्यक्रम में शामिल होने भोपाल आए थे।
जगदीप धनखड़ ने कही गलत नैरेटिव की बात
उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद जगदीप धनखड़ का ये पहला बड़ा सार्वजनिक संबोधन था। उन्होंने कहा कि मैंने विचार-विमर्श के बाद तय किया कि अब अंग्रेजी में संबोधन करूंगा, क्योंकि जो लोग समझना ही नहीं चाहते, वे हर हाल में बात को गलत नैरेटिव में ढाल देंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के व्यापक कॉन्सेप्ट को सीमित कर दिया गया है। व्यक्ति अकेले नहीं लड़ सकता, लेकिन संस्था लड़ सकती है।
धनखड़ बोले-कर्तव्य नहीं छोड़ सकता
पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि बहुत पुरानी बात है और बड़ी मुश्किल है। जो सोया हुआ है, उसे जगा सकते हैं, पर जो जागकर भी सोया हुआ है, उसे नहीं जगा सकते। बल प्रयोग भले कर लो। संबोधन के दौरान उन्हें सहयोगी ने जब फ्लाइट का टाइम याद दिलाया तो धनखड़ ने कहा कि मैं फ्लाइट पकड़ने की चिंता में अपने कर्तव्य को नहीं छोड़ सकता।
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'कुछ लोगों ने बड़ा हाहाकार कर दिया है'
पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ लोगों ने बड़ा हाहाकार कर दिया है। खुद को चुनौतियों के बीच मजबूत रखो। देशभक्ति बहुत जरूरी है। देश के प्रति अपने भाव समझो और वो करो जो देशहित में हो। देश के प्रति आपके कर्तव्य हैं, उन्हें पूरा करो। यह भी देशभक्ति है। बिना किसी बात को समझे, किसी दौड़ में शामिल मत हो। बात को समझो, देखो। अपनी जड़ों को मत छोड़ो, अपनी जड़ों से हमेशा जुड़े रहो। अपने दिमाग के टॉनिक के लिए हमेशा अध्ययन करो। समझो, अच्छी चीज समझो। समाज की सुदृढता के लिए प्रयासरत रहो। आज हमारा भारत बदल रहा। अतीत के गौरव को याद दिलाता है। कोई भी सेक्टर हो, हम आगे बढ़ रहे हैं।
डॉ. मनमोहन वैद्य ने धनखड़ ये कहा
पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में डॉ. मनमोहन वैद्य ने अपने संबोधन में पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को अपना अभिभावक कहा। डॉ. वैद्य ने कहा एक घटना ने मेरे अंदर के लेखक को जाग्रत किया। डॉ. वैद्य ने कहा कि बेवजह विरोध करने से संघ का फायदा होता है। संघ के तृतीय वर्ग के प्रशिक्षण वर्ग में प्रणव मुखर्जी को बुलाया गया था। वह संघ जॉइन नहीं करने वाले थे। उन्हें सिर्फ संबोधन देना था, लेकिन उनका बहुत विरोध हुआ। बेवजह विरोध देखकर मैंने लेखन की शुरुआत की।
पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में वृंदावन के श्री आनंदम धाम आश्रम के पीठाधीश्वर ऋतेश्वर महाराज और वरिष्ठ पत्रकार विष्णु त्रिपाठी विशिष्ट अतिथि थे।
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