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चोइथराम ट्रस्ट की बढ़ीं मुश्किलें: 21 हजार करोड़ की संपत्तियों की जांच का रास्ता साफ, HC ने पूर्व ट्रस्टियों की आपत्तियां कीं खारिज

चोइथराम चेरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ी करीब 21 हजार करोड़ की संपत्तियों की जांच का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने पूर्व ट्रस्टियों की सभी आपत्तियां खारिज कर दीं।

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Wasif Khan
mp news

Choithram Trust: चोइथराम चेरिटेबल ट्रस्ट (Choithram Charitable Trust) से जुड़ी हजारों करोड़ रुपए की संपत्तियों की जांच अब जल्द शुरू होने जा रही है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (High Court) ने रजिस्ट्रार लोक न्यास (Registrar Public Trust) की जांच के खिलाफ दायर की गई पूर्व ट्रस्टियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद करीब 21 हजार करोड़ रुपए मूल्य की संपत्तियों से जुड़े मामले में जांच का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।

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रजिस्ट्रार की जांच पर रोक हटने से आगे बढ़ी कार्रवाई

हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद अब रजिस्ट्रार लोक न्यास द्वारा चोइथराम चेरिटेबल ट्रस्ट से संबंधित संपत्तियों की जांच शुरू की जा सकेगी। हालांकि, यह प्रक्रिया आसान नहीं मानी जा रही है क्योंकि ट्रस्ट का संबंध चोइथराम इंटरनेशनल फाउंडेशन (Choithram International Foundation- CIF) से है, जो विदेश में पंजीकृत संस्था है। ऐसे में दस्तावेजी जटिलताएं और कानूनी पहलुओं के चलते जांच में लंबा समय लग सकता है, लेकिन इसके पूरा होने के बाद संपत्तियों की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

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हाईकोर्ट ने सभी आपत्तियों को किया खारिज

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूर्व ट्रस्टियों की ओर से उठाई गई सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को आवेदन देने से रोका नहीं गया है, चाहे वह वर्तमान ट्रस्टी हो या पूर्व ट्रस्टी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आवेदन में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया कार्रवाई और सुनवाई योग्य हैं। इसलिए रजिस्ट्रार द्वारा जांच शुरू किया जाना कानून के दायरे में है।

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CIF की ट्रस्ट डीड पर फैसला बाद में होगा

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि चोइथराम इंटरनेशनल फाउंडेशन की ट्रस्ट डीड (Trust Deed) की व्याख्या इस स्तर पर विचारणीय नहीं है। यह मुद्दा अंतिम सुनवाई के दौरान देखा जाएगा। पूर्व ट्रस्टियों की ओर से पगारानी का नाम शिकायत से हटाने की मांग भी कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि चूंकि वे CCT के ट्रस्टी रहे हैं, इसलिए उन्हें पक्षकार बनाए जाने में कोई कानूनी बाधा नहीं है। अब जांच के दौरान सामने आने वाले तथ्य और सच्चाई आगे की कार्रवाई का आधार होंगे।

1972 से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा है ट्रस्ट

चोइथराम चेरिटेबल ट्रस्ट वर्ष 1972 से इंदौर में स्कूल, कॉलेज और अस्पताल का संचालन कर रहा है। यह ट्रस्ट लंबे समय से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सक्रिय रहा है। साथ ही ट्रस्ट अपनी वैधानिक फंडिंग (Legal Funding) को लेकर भी वर्षों से संघर्ष करता रहा है। ट्रस्ट के संस्थापक ठाकुरदास चोइथराम पगारानी ने विदेश में CIF की स्थापना इस उद्देश्य से की थी कि भारत में संचालित ट्रस्टों को वित्तीय सहायता मिल सके।

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CIF के फंड में CCT का बड़ा हिस्सा होने का दावा

शिकायत के अनुसार CIF के पास अरबों रुपये के फंड और निवेश (Funds and Investments) हैं। इनमें से लगभग एक चौथाई हिस्सा, जिसकी अनुमानित कीमत करीब 21 हजार करोड़ रुपए बताई जा रही है, चोइथराम चेरिटेबल ट्रस्ट का बताया गया है। CCT के चेयरमैन और मैनेजिंग ट्रस्टी सतीश मोतीयानी ने आरोप लगाया है कि CIF में मौजूद यह राशि कभी भी CCT तक नहीं पहुंचाई गई।

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पूर्व ट्रस्टियों पर गंभीर आरोप

मामले में चार लोगों लेखराज पगारानी, किशोर पगारानी, रमेश थानवानी और दयाल दतवानी पर आरोप हैं कि उन्होंने CCT के ट्रस्टी या पूर्व ट्रस्टी रहते हुए CIF से जुड़ी अहम जानकारियां और महत्वपूर्ण ट्रेडमार्क (Trademark) विदेशी कंपनियों में दर्ज करा दिए। इन चारों ने इंदौर के रजिस्ट्रार लोक न्यास द्वारा की जा रही कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

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विदेशी संपत्तियों का हवाला देकर दी गई थी चुनौती

पूर्व ट्रस्टियों की ओर से दलील दी गई थी कि मामला विदेशी संपत्तियों से जुड़ा है, इसलिए रजिस्ट्रार लोक न्यास को इसकी जांच का अधिकार नहीं है और पूरी कार्रवाई अमान्य है। लेकिन हाईकोर्ट ने 5 दिसंबर को दिए गए विस्तृत आदेश में इन सभी तर्कों को खारिज कर दिया और जांच को वैध ठहराया।

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