
Bhopal Shikara cm mohan yadav news video Photograph: (Bhopal Shikara cm mohan yadav news video)
Bhopal Shikara Service Upper Lake CM Mohan Yadav Inauguration: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल आने वाले पर्यटकों को लिए खुशखबरी है। श्रीनगर की डल झील की तरह अब भोपाल के बड़े तालाब में भी खूबसूरत शिकारा सेवा शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार, 4 दिसंबर को इस नई सेवा का उद्घाटन किया। पर्यावरण-मित्र FRP (फाइबर रीइन्फोर्स्ड पॉलीयूरिथेन) नावों से अब जल-पर्यटन का आनंद लिया जा सकता है। इस नई सुविधा के बाद पर्यटकों को एक अनोखा अनुभव मिलेगा।
अपर लेक में शिकारा सेवा का शुभारंभ
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भोपाल के बोट क्लब में डल झील जैसी शिकारा सेवा शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपर लेक बोट क्लब पर शिकारा सेवा का झंडी दिखाकर शुभारंभ किया। सैर के दौरान सीएम ने शिकारा-बोट रेस्टोरेंट से चाय, पोहा, समोसे और फलों का आनंद लिया। साथ ही फ्लोटिंग बोट मार्केट से कपड़ों और अन्य सामान की खरीदारी भी की।
इस अवसर पर मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
पर्यावरण-मित्र सामग्री से निर्मित हैं ये नौकाएं
पर्यावरण-मित्र FRP नौकाओं से सजी यह सेवा राजधानी के पर्यटन अनुभव को डल झील, कश्मीर जैसा बनाएगी। 20 नई शिकारा नावों से अब पर्यटक राजधानी में जल-पर्यटन का आनंद ले सकेंगे। इन सभी शिकारों का निर्माण आधुनिक और प्रदूषण रहित तकनीक से किया गया है। इन नौकाओं का निर्माण फाइबर रीइन्फोर्स्ड पॉलीयूरिथेन (FRP) और उच्च गुणवत्ता वाली नॉन-रिएक्टिव सामग्री से किया गया है। यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित है और जल को प्रदूषित नहीं करती। इससे पानी के साथ किसी भी प्रकार की रासायनिक प्रतिक्रिया नहीं होती। ये नौकाएं टिकाऊ, सुरक्षित और आकर्षक हैं।
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शिकारा सवारी का किराया और सुविधाएं
भोपाल में अब 20 नई शिकारा नौकाओं के जरिए पर्यटक जल-पर्यटन का आनंद ले सकते हैं। राजधानी को वाटर-टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने के इस प्रयास के तहत, हर शिकारा में चार से छह लोग आराम से बैठ सकते हैं। भोपाल में पर्यटकों को डल झील जैसा आनंद देना ही पर्यटन निगम का उद्देश्य है।
- किराया: चार लोगों के लिए 20 मिनट की सैर: 300 रुपए, छह लोगों के लिए 20 मिनट की सैर: 450 रुपए
- सवारी का समय: सुबह 9 बजे से सूर्यास्त तक
- नौकाओं का निर्माण: प्रत्येक शिकारा करीब 2.40 लाख रुपए में तैयार किया गया है।
- विशेष अनुभव: सैर के दौरान अनुभवी नाविक पर्यटकों को बड़े तालाब और भोपाल की ऐतिहासिक विरासत से जुड़ी रोचक जानकारियां भी देंगे। यह सुविधा न केवल जल-पर्यटन का आनंद बढ़ाएगी, बल्कि पर्यटकों को भोपाल की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर से करीब से जोड़ने का अवसर भी प्रदान करेगी।
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प्राकृतिक सुंदरता और धरोहर का अनुभव
भोपाल के नए शिकारे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्था द्वारा तैयार किए गए हैं, जिन्होंने पहले केरल, बंगाल और असम में पर्यटकों के लिए लोकप्रिय शिकारे बनाए हैं। इन शिकारों में सवारी का अनुभव सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं है। पर्यटक यहां हैंडीक्राफ्ट, ऑर्गेनिक फल-सब्जियां और स्थानीय व्यंजनों को खरीद सकते हैं।
सैर के दौरान पर्यटक बर्ड वॉचिंग का आनंद भी ले सकते हैं। दूरबीन की मदद से तालाब और उसके आसपास के पक्षियों को देखा जा सकता है। साथ ही, फ्लोटिंग बोट मार्केट में उपलब्ध स्थानीय व्यंजन और स्वादिष्ट नाश्ते का अनुभव भी लिया जा सकता है। इस तरह, यह सुविधा पर्यटकों को भोपाल की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक अनुभव से जोड़ती है और एक यादगार जल-पर्यटन अनुभव प्रदान करती है।
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वॉटर टूरिज्म को बढ़ावा देना हमारा उद्देश्य
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि ये शिकारा नौकाएं कश्मीर की डल झील की तर्ज पर तैयार की गई हैं। उनका उद्देश्य भोपाल में वॉटर टूरिज्म को बढ़ावा देना और स्थानीय उत्पादों व पर्यटन को बढ़ावा देना है। इन नौकाओं का संचालन मध्यप्रदेश पर्यटन निगम द्वारा किया जाएगा।
कांग्रेस से सिर्फ नेता प्रतिपक्ष पहुंचे
सरकार ने कार्यक्रम में सभी विधायकों को आमंत्रित किया था, लेकिन कांग्रेस के केवल नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ही उपस्थित हुए। सिंघार ने कहा, “अच्छा काम किया जाए तो हम सरकार की सराहना करेंगे।”
NGT ने लगाई मोटर बोट संचालन पर रोक
दरअसल, दो साल पहले, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भोपाल के बड़े तालाब (भोज वेटलैंड), नर्मदा और प्रदेश की अन्य सभी जल निकायों में क्रूज और डीजल इंजन वाली मोटर बोट के संचालन पर रोक लगा दी थी। NGT ने इसे अवैध गतिविधि बताते हुए बड़ा तालाब और अन्य जल निकायों में क्रूज संचालन बंद करने के आदेश दिए थे।
आदेश में कहा गया था कि डीजल और डीजल इंजन से निकलने वाला उत्सर्जन मानव और जलीय जीवों के लिए गंभीर खतरा है। इसमें मौजूद सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड पानी को एसिडिक बना देते हैं, जिससे पानी के जीव-जंतु और मनुष्य दोनों के लिए कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
विशेष रूप से, यह आदेश भोपाल के भोज वेटलैंड के लिए जारी किया गया था, लेकिन बाद में इसे नर्मदा नदी सहित प्रदेश की सभी वेटलैंड्स पर लागू कर दिया गया।
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