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Alvida 2025: साल 2025 मध्य प्रदेश के लिए केवल विकास का साल नहीं रहा, बल्कि यह उन मानवीय और प्रशासनिक भूलों का भी गवाह बना, जिन्होंने कई परिवारों को कभी न भरने वाले जख्म दिए। राजा रघुवंशी हत्याकांड से लेकर कोल्ड्रिफ सिरप कांड तक, ये चार बड़ी घटनाएं चीख-चीख कर समाज, अभिभावकों और सिस्टम को सचेत रहने की चेतावनी दे रही हैं।
1. राजा रघुवंशी हत्याकांड: हनीमून बना 'डेथ ट्रैप'
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मई 2025 में इंदौर के ट्रांसपोर्ट कारोबारी राजा रघुवंशी और उनकी पत्नी सोनम रघुवंशी के जीवन की नई शुरुआत मेघालय के खूबसूरत पहाड़ों में एक खौफनाक अंत में बदल गई। 11 मई को शादी के बंधन में बंधने के बाद यह दंपती 20 मई को हनीमून के लिए शिलॉन्ग पहुंचा। शुरुआती दिन सामान्य रहे, लेकिन 23 मई को अचानक दोनों लापता हो गए। गहन तलाशी के बाद 2 जून को राजा का शव एक गहरी खाई से बरामद हुआ। जांच में जो सच सामने आया उसने सबको झकझोर दिया।
पुलिस ने खुलासा किया कि पत्नी सोनम ने अपने प्रेमी राज कुशवाहा के साथ मिलकर राजा की हत्या की साजिश रची थी। इसके लिए तीन सुपारी किलर्स का सहारा लिया गया। जिसके बाद दोनों के शुरुआती रिश्तें की बातें सामने आई, जिसमें खुलासा हुआ कि सोनम को रिश्ता पसंद नहीं था, जिस कारण वे राजा से बात तक नहीं करती थी। उसका ये व्यवहार देखकर राजा भी शादी से इनकार कर चुका था, लेकिन दोनों के माता-पिता और लोकलाज के दबाव में शादी हुई। वर्तमान में सोनम और उसके साथियों की जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं और वे न्यायिक हिरासत में ट्रायल का सामना कर रहे हैं। यह केस रिश्तों में बेवफाई और लालच के भयावह परिणाम का उदाहरण बन गया।
सबक
अफेयर + शादी = हाई रिस्क, ये साइकोलॉजिकल कॉकटेल है। जब अवैध संबंध, दबाव में हुई शादी और लालच एक साथ आते हैं, तो व्यक्ति अपराध को भी “समाधान” मानने लगता है। यह उन माता-पिताओं के लिए एक बड़ा सबक है, जो जोर-जबरदस्ती रिश्तें तय कर रहे हैं। अब उन्हें इन मामलों में अपने बेटा और बेटियों की भी राय लेना चाहिए।
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एक्सपर्ट व्यू: डॉ सत्यकांत त्रिवेदी, साइकेट्रिस्ट
2. कोल्ड्रिफ सिरप: जहरीली दवा से गईं मासूमों की जान
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सितंबर और अक्टूबर 2025 के दौरान मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से बच्चों की किडनी फेल्योर और मौतों की खबरें आने लगीं। जांच में पता चला कि ये सभी बच्चे खांसी के लिए दी जाने वाली 'कोल्ड्रिफ' (Coldrif) सिरप का सेवन कर रहे थे। अक्टूबर की शुरुआत में तमिलनाडु ड्रग कंट्रोलर की रिपोर्ट ने खलबली मचा दी, जिसमें पाया गया कि सिरप के बैच SR-13 में 48.6% जहरीला 'डाइएथिलीन ग्लाइकॉल' मौजूद था। यह वही घातक रसायन है जो किडनी को पूरी तरह ठप कर देता है। जब ये खुलासा हुआ, तब तक छिंदवाड़ा, बैतूल और पांढुर्ना जैसे जिलों में 26 बच्चों की मौतें हो चुकी थी।
त्रासदी बढ़ते देख मध्यप्रदेश और तमिलनाडु सहित कई राज्यों ने दवा निर्माता 'श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स' (Sresan Pharmaceuticals) के उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। 9 अक्टूबर को चेन्नई से कंपनी के 73 वर्षीय मालिक जी. रंगनाथन को गिरफ्तार किया गया। इसमें सबसे बड़ी ड्रग निरीक्षक की लापरवाही और लैब की सामने आई, जहां सैंपल की जांच में ढीलाई बरती गई। हालांकि बाद में ड्रग निरीक्षकों को निलंबित कर दिया गया। अभी मामला कोर्ट में है, लेकिन इस घटना ने भारत के फार्मास्यूटिकल रेगुलेशन और बच्चों की दवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सबक
बच्चों के मामले में “चल जाएगा” सोच मानसिक अपराध के बराबर है। बच्चों की दवाओं के मामलों में जीरो टॉलरेंस को अपनाना होगा। ऐसे अपराधों में कड़े प्रावधान भी जरूरी है। हर स्तर पर कड़ी जांच और त्वरित रिकॉल सिस्टम जरूरी हो गई है, ताकि बाजार आने से पहले जहर को रोका जा सके और क्वालिटी ड्रग जरुरतमंदों तक पहुंच जाए।
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एक्सपर्ट व्यू: डॉ सत्यकांत त्रिवेदी, साइकेट्रिस्ट
3. भोपाल लव-जिहाद: ब्लैकमेलिंग और धर्म परिवर्तन
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अप्रैल 2025 में भोपाल के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज की छात्राओं द्वारा दुष्कर्म, ब्लैकमेलिंग और धर्म परिवर्तन के दबाव की शिकायत के बाद राजधानी में हड़कंप मच गया। मुख्य आरोपी फरहान, साद और साहिल पर छात्राओं को फंसाने और उनका शोषण करने के गंभीर आरोप लगे। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सख्त रुख अपनाते हुए दोषियों को कड़ी सजा देने का संकल्प लिया, जिसके बाद राज्य स्तरीय SIT का गठन किया गया।
मई में राष्ट्रीय महिला आयोग और NHRC ने 'क्लब 90' जैसे ठिकानों का निरीक्षण किया, जहां इन गतिविधियों को अंजाम दिया जाता था। प्रशासन ने सख्त संदेश देने के लिए क्लब के अवैध हिस्से को बुलडोजर से ढहा दिया। सितंबर 2025 तक जांच का दायरा बढ़ा और कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद आरोपियों के अवैध मकानों पर भी बुलडोजर चलाए गए। इस मामले ने न केवल राजनीतिक मोड़ लिया बल्कि सामाजिक सुरक्षा और शिक्षण संस्थानों में महिलाओं की सुरक्षा पर व्यापक बहस छेड़ दी। फिलहाल सभी मुख्य आरोपी जेल में हैं और SIT लव-जिहाद के अन्य संभावित नेटवर्क की तलाश कर रही है।
सबक
यंग एज में ‘अटैचमेंट हंगर’ सामान्य बात है, जिसका बड़े स्तर पर दुरुपयोग हो रहा है। खासकर उन स्कूल और कॉेलेज स्टूडेंट्स से, जो इमोशनल एक्सेप्टेंस की तलाश में हैं, उनकी ग्रूमिंग यानी हमदर्द बन भरोसा जितकर और हर बात सीक्रेट रख गलत काम कर रहे हैं। यंगेस्ट को ये सब समझना होगा, जिससे अपराधों पर रोक लगेगी। इन मामलों में मानसिक उपचार भी जरूरी है।
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एक्सपर्ट व्यू: डॉ सत्यकांत त्रिवेदी, साइकेट्रिस्ट
4. MP में PWD इंजीनियरिंग का अजीब नमूना
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मध्यप्रदेश में साल 2025 'इंजीनियरिंग विवादों' का वर्ष रहा, जहां भोपाल और इंदौर में निर्माणाधीन ब्रिजों के खतरनाक मोड़ों (Sharp Turns) ने सरकार और जनता की नींद उड़ा दी।
भोपाल का ऐशबाग 90-डिग्री ब्रिज
जून 2025 में भोपाल के ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिसमें पुल पर अचानक एक तीखा '90-डिग्री' का मोड़ देखा गया। सुरक्षा चिंताओं के बीच 20 जून को जांच कमेटी बैठी और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सख्त कदम उठाते हुए 7 PWD इंजीनियरों को निलंबित कर दिया। साथ ही, संबंधित निर्माण कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। हालांकि, मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो एंगल को 118-119 डिग्री बताया गया और अदालत ने फिलहाल तोड़-फोड़ पर रोक लगा दी। वर्तमान में विशेषज्ञ रिपोर्ट और सुधार के विकल्पों पर काम चल रहा है।
इंदौर का 'Z-शेप्ड' ब्रिज मोड़
भोपाल का मामला थमा ही था कि जुलाई 2025 में इंदौर के पोलोग्राउंड (लक्ष्मीबाई नगर) के पास निर्माणाधीन 'Z-आकार' के ब्रिज ने विवाद खड़ा कर दिया। इसमें दो बैक-टू-बैक 90-डिग्री के मोड़ दिए गए, जिससे ट्रक चालकों और उद्योगपतियों ने भारी वाहनों के पलटने का अंदेशा जताया। सांसद शंकर लालवानी और विपक्षी नेताओं के हस्तक्षेप के बाद PWD अब इसके डिजाइन के पुनर्मूल्यांकन और संशोधन में जुटा है।
सबक
नक्शे पर बनी रेखाएं सड़कों पर जानलेवा नहीं होनी चाहिए। प्रशासन को 'थर्ड पार्टी डिजाइन ऑडिट' अनिवार्य करना होगा। निर्माण से पहले 'फिजिकल सिमुलेशन' और सुरक्षा मानकों (IRC) की कड़ाई से पालना करना होगा। पुलिस को ऐसे खतरनाक पॉइंट्स पर तत्काल चेतावनी साइनबोर्ड और स्पीड ब्रेकर लगाने चाहिए।
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