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'हिंदुस्तान का दिल देखो' हां, आपने बिलकुल सही पहचाना, हम बात कर रहे हैं भारत के दूसरे सबसे बड़े राज्य मध्य प्रदेश की, जो इस विशाल भारतीय उपमहाद्वीप के बिलकुल मध्य में स्थित है। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण इसे वह राज्य कहा जाता है जो भारत को पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में बाँटता है, और पांच पड़ोसी राज्यों की सीमाओं को स्पर्श करता है। तो आइए, बिना किसी देरी एवं विलम्ब के, शुरू करते हैं अपनी यात्रा इस अनोखे, बहुरंगी और विशाल राज्य को जानने की।
ग्वालियर-चंबल: शानदार किले महल और अफ्रीकी चीतों का अंचल
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ग्वालियर-चंबल: शानदार किले महल और अफ्रीकी चीतों का अंचल[/caption]
हम अपनी यात्रा की शुरुआत उत्तर दिशा से ग्वालियर से करते हैं, जो मध्य प्रदेश का एक प्रमुख और ऐतिहासिक नगर है। सिंधिया राजवंश के शासनकाल में ग्वालियर ने मध्यकालीन युग में खूब उन्नति की। आज भी ग्वालियर किला अपने भीतर अनगिनत प्राचीन, अमूल्य और दुर्लभ कला कृतियों को समेटे हुए है। यदि आप ग्वालियर में हैं, तो अपने व्यस्त कार्यक्रम से थोड़ा समय निकालकर ग्वालियर किले की सैर अवश्य करें-यह अनुभव अमूल्य रहेगा। खानपान की दृष्टि से भी यह शहर अद्वितीय है। यहाँ की दो प्रसिद्ध मिठाइयाँ गजक और रेवड़ी हैं - विशेष कर सर्दियों में इनका स्वाद ही कुछ और होता है। न केवल आप इन्हें स्वयं चख सकते हैं, बल्कि मित्रों और परिजनों को उपहार स्वरूप भी दे सकते हैं।
दतियाः मां पीतांबरा शक्तिपीठ
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दतियाः मां पीतांबरा शक्तिपीठ[/caption]
ग्वालियर के आसपास के क्षेत्र भी धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। समीप स्थित दतिया नगर में माँ पीताम्बरा देवी मंदिर प्रसिद्ध है, जहाँ देशभर से श्रद्धालु आते हैं। ग्वालियर और इसके आसपास के ज़िलों को यह विशेषता भी प्राप्त है कि यहाँ हथियार लाइसेंस की घनत्व दर (Gun License Density) देश में सबसे अधिक में से एक है। इसका प्रमुख कारण है इसका चंबल क्षेत्र से भौगोलिक निकटता, जो कभी अपने कुख्यात डाकुओं के लिए जाना जाता था। हालांकि अब इस डाकू समस्या पर पूरी तरह से रोक लगाई जा चुकी है। इसी चंबल क्षेत्र से प्रसिद्ध फूलन देवी का भी संबंध रहा है, जिन पर बाद में एक प्रसिद्ध फिल्म भी बनी।
शिवपुरी-श्योपुर: टाइगर और चीतों का अंचल
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शिवपुरी-श्योपुर: टाइगर और चीतों का अंचल[/caption]
ग्वालियर के ठीक दक्षिण में स्थित है शिवपुरी। यह शहर अपने सिंधिया छत्रियों के लिए जाना जाता है और सिंधिया परिवार की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी रहा है। यहां स्थित माधव राष्ट्रीय उद्यान (Madhav National Park) में अनेक प्रकार के वन्य जीव पाए जाते हैं। “शिवपुरी” नाम की उत्पत्ति यहाँ स्थित भगवान शिव के प्राचीन मंदिर से हुई है। शिवपुरी के आसपास स्थित एक कम ज्ञात किंतु अत्यंत सुंदर स्थल है किंग जॉर्ज कैसलपंचम (King George Castle) यह ज़िले की सबसे ऊँची पहाड़ी पर स्थित एक भव्य महल है, जिसे किंग जॉर्ज पंचम के लिए बनवाया गया था। हालाँकि उन्होंने वहां कभी निवास नहीं किया, क्योंकि महल तक पहुँचने के रास्ते में ही उन्होंने शिकार कर लिया था। इस किले से नीचे साख्या सागर झील का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। यह झील घड़ियालों और मगरमच्छों का निवास स्थान है और वर्तमान में इसमें घड़ियाल अभयारण्यभी स्थापित है ताकि इस दुर्लभ प्रजाति की संख्या बढ़ाई जा सके। हाल ही में अफ्रीकी चीते को भारत में पुनः बसाने की योजना के तहत, इन्हें शियोपुर ज़िले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाया गया है, जो शिवपुरी ज़िले के बिलकुल समीप स्थित है। यह क्षेत्र अब भारत के वन्यजीव संरक्षण का नया केंद्रबन गया है।
उज्जैन: महाकाल और धर्म - अध्यात्म की नगरी
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उज्जैन: महाकाल और धर्म - अध्यात्म की नगरी[/caption]
शिवपुरी के दक्षिण-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए पर्यटक पहुंचते हैं उज्जैन, जिसे प्राचीन काल में “उज्जयिनी” के नाम से जाना जाता था। यह नगरराजा विक्रमादित्यकी नगरी रहा है, जिन्होंने यहाँ अनेक ऐतिहासिक और प्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण कराया। आज भी उज्जैन भारत के आध्यात्मिक मानचित्र पर एक अत्यंत प्रमुख स्थान रखता है यहाँ स्थित हैं महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और काल भैरव मंदिर। हर सुबह महाकाल मंदिर में एक विशेष भस्म आरती होती है, जिसमें नगर में ताज़ा जली चिताओं की राख का प्रयोग किया जाता है। इस अद्भुत परंपरा को देखने और आशीर्वाद पाने के लिएदेश-विदेश से श्रद्धालुयहाँ आते हैं।
इंदौर: पोहा-जलेबी और चटोरों का शहर
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इंदौर: पोहा-जलेबी और चटोरों का शहर[/caption]
उज्जैन से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इंदौर, जिसे मध्य प्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी कहा जाता है। यह एक जीवंत और चहल-पहल वाला शहर है, जो देर रात तक जागता है। कभी यह होलकर राजवंश की राजधानी हुआ करता था। इंदौर अपने लाजवाब स्ट्रीट फूड के लिए प्रसिद्ध है। यहां के पोहे, जलेबी, साबूदाना खिचड़ी और गराडू का स्वाद पूरे मध्य प्रदेश में कहीं और नहीं मिलता।
मांडू : रानी रूपमती और बाज बहादुर की प्रेम कहानी
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मांडू : रानी रूपमती और बाज बहादुर की प्रेम कहानी[/caption]
इंदौर के समीप स्थित एक छोटा सा कस्बा है मांडू (मांडवगढ़)। यह कभी परमार वंश की किला नगरी रहा है। मांडू सबसे अधिक प्रसिद्ध है रानी रूपमती और बाज बहादुरकीप्रेम कहानी के लिए एक ऐसी दुखांत कथा, जिसे स्थानीय लोग भारत की “रोमियो और जूलियट” की कहानी कहते हैं।
ओंकारेश्वर-महेश्वर
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ओंकारेश्वर-महेश्वर[/caption]
इंदौर से लगभग 80–90 किलोमीटरकी दूरी पर दो अत्यंत प्रसिद्ध तीर्थ स्थल स्थित हैं ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, और महेश्वर, जो पवित्र नर्मदा नदी के तट पर बसा है। महेश्वर भले ही एक छोटा नगर हो, लेकिन यहां की महेश्वरी साड़ियाँ पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं। इनकी बुनाई और डिज़ाइन भारत की हैंडलूम कला की पहचानबन चुकी है। इंदौर के पास ही स्थित है सेलानी टापू, जो नर्मदा नदी के बीचों बीच एक प्राकृतिक द्वीप (island) है। यहां क्रीड़ा (water sports) की गतिविधियाँ होती हैं, जिनका आयोजन मध्य प्रदेश सरकार मसाल में एक बार करती है। अगर आप शांत, भीड़-भाड़ से दूर किसी सुकून भरे स्थान की तलाश में हैं, तो सेलानी टापू आपके लिए आदर्श जगह है।
भोपाल: हरियाली और झीलों का शहर
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भोपाल: हरियाली और झीलों का शहर[/caption]
धार से जब कोई यात्रा करते हुए राज्य के मध्य-पूर्वी भाग की ओर बढ़ता है, तो पहुंचता है राजधानी भोपाल। कभी यह राजा भोजपाल के शासनकाल में बसा था, और तभी से इसे कहा जाता है “झीलों का शहर” (City of Lakes) जो लोग भोपाल की झील की तुलना सुखना झील या हुसैन सागर से करते हैं, वे गलत हैं क्योंकि यह झील वास्तव में एक सागर जैसी विशाल है। इसका दूसरा किनारा आँखों से दिखाई नहीं देता। भोपाल में स्थित है एशिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक ताज-उल-मसाजिद, और यह भारत की सबसे हरी-भरी राजधानियों में से भी एक है। यह शायदभारत की एकमात्र राज्य राजधानी है, जहाँ जंगली बाघ शहर की बाहरी परिधि तक में स्वतंत्र रूप से विचरण करते हैं। यहां कई बाँध (dams) हैं और प्रसिद्ध वन विहार राष्ट्रीय उद्यान (Van Vihar National Park) भी स्थित है। साथ ही भोपाल अपनी जरी-ज़रदोज़ी की बारीक कारीगरी के लिए भी प्रसिद्ध है, जो इस शहर की विशेष पहचान बन चुकी है।
सांची-भीमबेटका : विश्व धरोहर
[caption id="" align="alignnone" width="1280"] सांची-भीमबेटका : विश्व धरोहर[/caption]
भोपाल के आसपास कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जो इतिहास, पुरातत्व और अध्यात्म तीनों का संगम हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं भीमबेटका, जो अपने प्रागैति हासिक गुफा चित्रों के लिए विश्वप्रसिद्ध है। रायसेन, जो अपने भव्य किले के लिए जाना जाता है। और सांची, जो बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है। यहां स्थित महान सांची स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में करवाया था। एक रोचक तथ्य यह है कि कर्क रेखा (Tropic of Cancer) भी भोपाल और सांची के बीच से होकर गुजरती है। ये दोनों स्थल एक-दूसरे से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
पचमढ़ी कुदरती सौंदर्य से भरपूर हिल स्टेशन
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पचमढ़ी कुदरती सौंदर्य से भरपूर हिल स्टेशन[/caption]
भोपाल से आगे बढ़ते हुए आता है पचमढ़ी, जिसे मध्य प्रदेश की “ग्रीष्मकालीन राजधानी” कहा जाता है। यह एक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हिल स्टेशन है, जहां पूरे वर्ष विभिन्न राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान से पर्यटक आते रहते हैं। कहा जाता है किधूपगढ़ (Dhoopgarh) से सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा जीवनभर की अविस्मरणीय स्मृति बन जाता है। पचमढ़ी के अन्य प्रसिद्ध स्थल हैं बी फॉल्स (Bee Falls), डचेस फॉल्स (Duchess Falls), और ब्रिटिश काल का पुराना चर्च, जो इस छोटे से कैंटोनमेंट टाउन की विरासत का प्रतीक है।
भेड़ाघाट (जबलपुर): का धुआंधार जलप्रपात
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भेड़ाघाट (जबलपुर): का धुआंधार जलप्रपात[/caption]
पचमढ़ी के पूर्व में स्थित है जबलपुर, एक ऐतिहासिक नगर जो संगमरमर की चट्टानों (Marble Rocks) के लिए प्रसिद्ध है। इन्हीं चट्टानों के बीच से नर्मदा नदी अपने प्रचंड प्रवाह के साथ बहती हुई निकलती है और यहीं पर बनता है भेड़ाघाट (Bhedaghat) मध्य प्रदेश का एक शानदार जलप्रपात। भेड़ाघाट के रास्ते में लगी दुकानों पर आपसंगमरमर से बनी छोटी-छोटी कलाकृतियाँ भी खरीद सकते हैं। जबलपुर का अपना एक अनोखा स्वाद भी है - यहाँ की प्रसिद्ध मिठाई खोवा जलेबी,जो माना जाता है कि यहीं से उत्पन्न हुई।
कान्हा टाइगर रिजर्व: मप्र की शान
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कान्हा टाइगर रिजर्व: मप्र की शान[/caption]
जबलपुर से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है विश्वप्रसिद्ध कान्हा टाइगर रिज़र्व। यहाँ रॉयल बंगाल टाइगर्स का निवास है और यह अपने विस्तृत जंगलों, विविध वनस्पति और जीव-जंतुओं के लिए जाना जाता है। यहीं पाया जाता है बार हसिंगा हिरण (Swamp Deer), जो दलदली और नम क्षेत्रों में रहना पसंद करता है यह कान्हा का प्रतीक पशु भी माना जाता है। और यही प्रदेश का प्रतीक पशु भी है।
मैहर: मां शारदा का पवित्र स्थान
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मैहर: मां शारदा का पवित्र स्थान[/caption]
इसी क्षेत्र में एक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है मैहर माता का मंदिर। जो माँ शारदा देवी को समर्पित है। स्थानीय लोग माँ शारदा की पूजा गहरी श्रद्धा और भक्ति भाव से करते हैं। मैहर के पास ही उमरिया जिले में स्थित है प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व। यहां की वनस्पति और जीव-जंतुओं की विविधता अद्भुत है। यही वह स्थान है जहाँ कभी भारत का सबसे प्रसिद्ध बाघ “चार्जर (Charger)” रहता था। वह बाघ अक्सर जीपों और हाथियों पर झपट्टा मारने जैसा अभिनय करता था, लेकिन वह आक्रामकता नहीं, बल्कि अपनी क्षेत्रीय शक्ति (territorial display) का प्रदर्शन था। “चार्जर” को भारत के सबसे अधिक फोटो खींचे गए बाघों में से एक माना जाता है।
पेंच : “मोगली” (Mowgli) द जंगल बुक की धरती
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पेंच : “मोगली” (Mowgli) द जंगल बुक की धरती[/caption]
मध्य प्रदेश में भारत के सबसे अधिक टाइगर रिज़र्व / बाघ अभ्यारण्य हैं। इन्हीं में से एक है पेंच राष्ट्रीय उद्यान (Pench National Park)। जो तीन ज़िलों सिवनी और छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) तथा नागपुर (महाराष्ट्र) में फैला हुआ है। लोक कथाओं के अनुसार, “मोगली” (Mowgli) -द जंगल बुक का प्रसिद्ध पात्र -यहीं की धरती से प्रेरित है। इसीलिए बीबीसी और डिस्कवरी चैनल ने यहाँ पर अनेक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में बनाई हैं, जो इस जंगल की समृद्ध जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य को विश्व भर में प्रसिद्ध करती हैं। बीबीसी और डिस्कवरी चैनल द्वारा निर्मित प्रसिद्ध डॉक्यूमेंट्री श्रृंखला “टाइगर: स्पाय इन द जंगल” (Tiger: Spy in the Jungle)। जिसका वाचन स्वयं महान डेविड एटनबरो (David Attenborough) ने किया था,पेंच राष्ट्रीय उद्यान में ही फिल्माई गई थी। यह श्रृंखला पेंच के उस अनूठे संसार को श्रद्धांजलि देती है, जिसने रुडयार्ड किपलिंग की कालजयी रचना “द जंगल बुक” और उसके प्रिय पात्र मोगली को जन्म देने की प्रेरणा दी थी।
मध्य प्रदेश : सच में अलग है!
भारत के प्रत्येक राज्य की अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं, परंतु मध्य प्रदेश अपनी विविधता और संतुलन के कारण सच में अद्वितीय है। यह राज्य न केवल: प्राकृतिक पर्यटन (Natural Tourism), आध्यात्मिक पर्यटन (Spiritual Tourism), और खाद्य पर्यटन (Culinary Tourism) का अनुभव कराता है, बल्कि वन्यजीव पर्यटन (Wildlife Tourism) में भी भारत के सर्वश्रेष्ठ राज्यों में से एक है। और इस शृंखला में, राज्य में पर्यटन के प्रबल विकास का श्रेय जाता है मध्य प्रदेश पर्यटन निगम (Madhya Pradesh Tourism Corporation) को।
उनकी संपत्तियाँ पूरे प्रदेश में अपनी स्वच्छता, प्राकृतिक परिवेश,और उत्कृष्ट अतिथि सेवा के लिए जानी जाती हैं। यहाँ का स्टाफ अत्यंत विनम्र, सहायक और समर्पित है जो अतिथि की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास करता है। उनकी संपत्तियों में भोजन की गुणवत्ता असाधारण है, साथ ही यहाँ आपको ज़ीरो से लेकर फुल मील पैकेज तक की सुविधा मिलती है। जिससे आपका अनुभव और भी सुखद बन जाता है। तो यदि आप ऐसे स्थान की खोज में हैं जहां आपको प्रकृति, अध्यात्म, स्वाद और रोमांच ये सभी एक ही छत के नीचे मिलें, और जहाँ काजलवायु व वातावरण मन को सुकून देने वाला हो, तो फिर मध्य प्रदेश से बेहतर कोई स्थान नहीं हो सकता। हम आपको आमंत्रित करते हैं आइए, इस अद्भुत राज्य की यात्रा कीजिए, इसके विविध रंगों को अनुभव कीजिए,और अपनीसुहानी यादेंयहाँ छोड़ जाइए.
(लेखक: सिद्धार्थ शर्मा, ब्लॉगर एवं आरटीआई एक्टिविस्ट.)
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