Madhya Pradesh : अब कॉलेजों में होगी वेदों की पढ़ाई

नई दिल्ली। अब कॉलेजों में हिन्दी, Madhya Pradesh अंग्रेजी के साथ—साथ आप वेदों का ज्ञान भी हासिल कर पाएंगे। सरकार जल्द ही अब MP के कॉलेजों में यह नियम लागू करने जा रही है। जिसमें भगवान राम, हनुमान और तुलसीदास की जीवनी बच्चों को पढ़ाई जाएगी। नई शिक्षा नीति के तहत इस नए पाठ्यक्रम में लागू किया जाएगा। जिसमें वेद उपनिषद और पुराणों की भी शिक्षा दी जाएगी। उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने अपने जारी बयान में ये जानकारी दी। उनके अनुसार भविष्य में बुरी शक्तियां धर्म को नुकसान न पहुंचा पाए इसलिए नैतिक और धार्मिक शिक्षा की भी जरूरी है।
ये होगा नया नियम —
इस नियम के तहत B.A. 1st year में दर्शनशास्त्र में इसे नए नियम के तहत जोड़ा गया है। नई शिक्षा नीति, 2020 (New Education Policy) के अनुसार मध्य प्रदेश के कॉलेजों (MP colleges) में ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर के छात्रों के पास योग और ध्यान (Yoga and Meditation), महाभारत (Mahabharata), रामचरितमानस (Ramcharitmanas) जैसे महाकाव्य भी उनके नए पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे। नए पाठ्यक्रम के अनुसार इस शैक्षणिक सत्र से प्रभावी होने के लिए एप्लाइड फिलॉसफी ऑफ श्री रामचरितमानस को वैकल्पिक विषय के रूप में पेश किया गया है।
इनका किया गया है समावेश
एप्लाइड फिलॉसफी में जिस सेप्टर को पढ़ाया जाएगा उसके अंतर्गत श्री रामचरितमानस के चैप्टरों में भारतीय संस्कृति के मूल स्त्रोत में आध्यात्मिकता और धर्म, वेंदो, उपनिषदों और पुराणों में चार युग, रामायण और रामचरितमानस के बीच का अंतर, द्विय अस्तित्व का अवतार जैसे विषय शामिल किए गए हैं।
सुधार के बाद जो नया पाठ्यक्रम के लागू किया जाएगा इसके अनुसार, व्यक्तित्व और उनके चरित्र के बारे में पढ़ाया जाएगा। इसके अलावा इसमें इसमें दिव्य गुणों को सहन करने की क्षमता और उच्च व्यक्तित्व के संकेत, श्री रामजी द्वारा पिता के प्रति किए जाने वाली आज्ञाकारित जीवन और भक्ति समेत मानव व्यक्तित्व के उच्चतम गुण जैसे विषयों को भी शामिल किया जाएगा।
इंग्लिश के फाउंडेशन कोर्स में महाभारत की प्रस्तावना
नए कोर्स के तहत अंग्रेजी के फाउंडेशन कोर्स में प्रथम वर्ष के छात्रों को सी राजगोलाचारी की महाभारत की प्रस्तावना का ज्ञान दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार अंग्रेजी, हिंदी, योग और ध्यान के साथ तीसरा फाउंडेशन कोर्स भी प्रस्तावित है। इसके अंतर्गत ओम, ध्यान के साथ—साथ मंत्रों का उच्चारण भी कराया जाना शामिल है।