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Medical College Ast Professor Job
Medical College Ast Professor Job: मध्य प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग पहली बार डॉक्टरों के असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की अधिकतम उम्र सीमा को 40 से बढ़ाकर 50 करने की योजना बना रहा है। वर्तमान में राज्य में चिकित्सा विशेषज्ञों के 3,618 पद हैं, जिनमें से 2,404 पद खाली हैं।
इस बदलाव से सिंगरौली, श्योपुर, मंडला, बुधनी, और राजगढ़ जैसे नए मेडिकल कॉलेजों में भर्ती प्रक्रिया को तेजी मिलेगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग का तर्क है कि डॉक्टरों को एमडी या एमएस की पढ़ाई पूरी करने और बॉन्ड की अवधि पूरी करने में लगभग 40 वर्ष की उम्र तक पहुंच जाते हैं, जिससे वे असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं बन पाते।
इस नए निर्णय का उद्देश्य इन योग्य डॉक्टरों को प्रोफेसर बनने का अवसर देना है। हालांकि, यह नियम ऑटोनॉमस कॉलेजों में लागू नहीं होगा।
कैबिनेट से मंजूरी मिलने का इंतजार
मध्य प्रदेश में डॉक्टरों की असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की आयु सीमा बढ़ाने का नया नियम कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद लागू होगा। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने इस प्रस्ताव को विशेष प्रकरण के रूप में तैयार कर सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा है, जिसे कैबिनेट में भी पेश किया जाएगा।
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अनुमोदन के बाद ही यह नियम प्रभावी होगा। प्रदेश में वर्तमान में 19 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें 13 ऑटोनॉमस और 6 शासकीय कॉलेज शामिल हैं। डॉक्टरों के स्थानांतरण की असमान व्यवस्था के कारण दूरदराज के नए कॉलेजों में योग्य और अनुभवी डॉक्टरों की कमी हो रही थी। इस प्रस्ताव के लागू होने से इन कॉलेजों में डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया में तेजी आएगी और मेडिकल सेवाओं में सुधार होगा।
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ये होगा इससे फायदा (Medical College Ast Professor Job)
मध्य प्रदेश में वर्तमान में डॉक्टरों के असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए अधिकतम आयु सीमा 40 साल है, जबकि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को इसमें 5 साल की छूट मिलती है। हालांकि, इसमें एक प्रमुख विसंगति है—सीनियर रेजिडेंट पद पर नियुक्ति के लिए अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष है, जबकि एक डॉक्टर को मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए कम से कम 1 साल सीनियर रेजिडेंट के पद पर रहना जरूरी होता है। इस कारण से कई डॉक्टर असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के योग्य नहीं हो पाते।
इसे दूर करने के लिए राज्य सरकार उम्र सीमा बढ़ाने की योजना बना रही है। नए नियम लागू होने के बाद मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी पदों को भरना अधिक सरल और सुगम हो जाएगा, जिससे चिकित्सा शिक्षा में सुधार होगा और डॉक्टरों के लिए अवसर बढ़ेंगे।
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