हाईलाइट्स:
- मध्य प्रदेश सरकार फिर लेगी 6 हजार करोड़ का लोन
- बजट सत्र के दौरान दूसरी बार लोन
- 18 फरवरी को भी 6 हजार करोड़ का कर्ज
Debt On Madhya Pradesh (MP) Government: मध्य प्रदेश सरकार एक बार फिर 6 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने जा रही है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति और सरकारी खर्चों को लेकर सियासत गरमा गई है। 19 मार्च को रंग पंचमी के दिन सरकार यह कर्ज बाजार से उठाएगी। यह लोन तीन अलग-अलग किश्तों में लिया जाएगा, जिनकी अवधि 7, 21 और 25 साल होगी।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार बजट सत्र के दौरान दूसरी बार कर्ज लेने जा रही है। इससे पहले 12 मार्च को 6 हजार करोड़ रुपये और 4 मार्च को भी इतनी ही राशि का कर्ज लिया जा चुका है।
मार्च 2025 में तीसरी बार लिया कर्ज
- 4 मार्च: 6,000 करोड़ रुपए (14, 20 और 23 साल की अवधि के लिए)
- 12 मार्च: 4,000 करोड़ रुपए (6 और 22 साल की अवधि के लिए)
- 19 मार्च: 6,000 करोड़ रुपए (7, 21 और 24 साल की अवधि के लिए)
यह लगातार तीसरी बार हो रहा है जब सरकार ने 15 दिनों के अंदर ही भारी कर्ज लिया है।
कब-कब लिया गया कर्ज?
मध्य प्रदेश सरकार ने हाल के वर्षों में लगातार कर्ज (Debt on MP) लिया है। 2024 में अब तक लिए गए कर्ज की सूची इस प्रकार है:
- 23 जनवरी 2024 – 2500 करोड़ रुपये
- 6 फरवरी 2024 – 3000 करोड़ रुपये
- 27 फरवरी 2024 – दो बार में 5000-5000 करोड़ रुपये
- 26 मार्च 2024 – 5000 करोड़ रुपये
- 6 अगस्त 2024 – 5000 करोड़ रुपये (दो किश्तों में)
- 27 अगस्त 2024 – 5000 करोड़ रुपये (14 और 21 साल के लिए)
- 24 सितंबर 2024 – 2500-2500 करोड़ रुपये (12 और 19 साल के लिए)
- 8 अक्टूबर 2024 – 5000 करोड़ रुपये (11 और 19 साल के लिए)
- 26 नवंबर 2024 – स्टॉक गिरवी रखकर 5000 करोड़ रुपये
- 19 दिसंबर 2024 – 5000 करोड़ रुपये
- 1 जनवरी 2025 – 5000 करोड़ रुपये
कुल कर्ज 4.80 लाख करोड़ रुपये के पार
मार्च 2024 तक मध्य प्रदेश सरकार पर कुल कर्ज 3.7 लाख करोड़ रुपये था, लेकिन हाल के महीनों में लगातार कर्ज लेने से यह आंकड़ा 4.80 लाख करोड़ रुपये को पार कर चुका है। यह राशि राज्य के वार्षिक बजट के बराबर पहुंच चुकी है, जिससे सरकार की वित्तीय स्थिति को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
राज्य सरकार के बार-बार कर्ज लेने (Debt on MP) पर विपक्ष ने कड़ा रुख अपनाया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “मध्य प्रदेश ऐसा राज्य बन गया है, जहां पैदा होते ही हर बच्चा 60,000 रुपये का कर्जदार होता है। सवाल यह उठता है कि सरकार आखिर यह कर्ज किस लिए ले रही है? यह पैसा जनहित की योजनाओं में लगने के बजाय मंत्रियों के बंगलों और अन्य गैर-जरूरी खर्चों पर इस्तेमाल किया जा रहा है।”
कर्ज के बढ़ते बोझ पर सवाल
विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार बढ़ते कर्ज का असर राज्य की आर्थिक स्थिरता पर पड़ेगा। अगर कर्ज का सही उपयोग नहीं किया गया तो भविष्य में सरकार को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है।
मध्य प्रदेश सरकार के इस फैसले पर राजनीतिक बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। अब देखना होगा कि सरकार इस कर्ज का इस्तेमाल कैसे करती है और यह राज्य की अर्थव्यवस्था को किस दिशा में ले जाता है।
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