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Damoh Dead Body Video Viral: MP में मानवता फिर शर्मसार, पीएम के बाद नहीं मिला शव वाहन, कचरा गाड़ी से घर भेजी गई डेडबॉडी

एमपी के दमोह से मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई हैं, यहां पोस्टमार्टम के बाद युवक का शव कचरा वाहन में ले जाना पड़ा। जिसका वीडियो वायरल होते ही प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।

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Vikram Jain
Damoh Dead Body Video Viral: MP में मानवता फिर शर्मसार, पीएम के बाद नहीं मिला शव वाहन, कचरा गाड़ी से घर भेजी गई डेडबॉडी

हाइलाइट्स

  • दमोह के हटा में मानवता शर्मसार, नहीं मिला शव वाहन।
  • पोस्टमार्टम के बाद कचरा वाहन से भेजा गया शव।
  • वीडियो वायरल, प्रशासनिक व्यवस्था पर फिर उठे सवाल।
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Damoh Dead Body Garbage Vehicle Video Viral: मध्य प्रदेश के दमोह जिले के हटा नगर में प्रशासनिक लापरवाही और संवेदनहीनता की एक और शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। यहां हत्या के बाद सरकारी अस्पताल में युवक के शव का पोस्टमार्टम तो हुआ, लेकिन शव को एम्बुलेंस या शव वाहन की जगह कचरा वाहन में गांव भेजा गया। इस घटना का वीडियो वायरल होते ही बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग और नगर पालिका ने अपनी-अपनी जिम्मेदारी से झाड़ा पल्ला है।

https://twitter.com/BansalNews_/status/1969357942093729801

कचरा वाहन में भेजा गया युवक का शव

दरअसल, हटा क्षेत्र में रहने वाले सरपंच के भाई देवेंद्र लोधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पोस्टमार्टम के बाद जब शव को गांव शिकारपुरा भेजने की बारी आई, तो परिजनों को बताया गया कि शव वाहन उपलब्ध नहीं है। परिजनों का आरोप है कि शव वाहन नहीं मिलने पर उन्हें मजबूरन शव को नगर पालिका के एक कचरा वाहन (टिप्पर) में गांव ले जाना पड़ा। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे प्रशासन पर लापरवाही और अमानवीयता के आरोप लगे हैं।

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नगर पालिका और CMHO के बयान और सवाल

नगर पालिका का कहना है कि उनके पास शव वाहन नहीं है और इसी वजह से टिप्पर से शव भेजा गया। वहीं, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) आरके अठया ने बयान दिया कि शासन से जो शव वाहन दिए गए हैं, वे सिर्फ अस्पताल में हुई मौतों के लिए ही उपयोग किए जा सकते हैं। अब अधिकारी के इस अजीब तर्क से लोग हैरान हैं।

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नपा उपाध्यक्ष बोलीं- 'शव वाहन लिखवा देंगे'

हटा नगर पालिका की उपाध्यक्ष नीलू पाठक ने स्थिति पर सफाई देते हुए कहा कि नगर पालिका के पास फिलहाल शव वाहन उपलब्ध नहीं है। इसी कारणवश मजबूरी में कचरा ढोने वाले टिपर वाहन का इस्तेमाल शव वाहन के रूप में किया गया। उन्होंने दावा किया कि इस वाहन में अब कचरा नहीं ढोया जाता, और जल्द ही इस पर 'शव वाहन' लिखवाया जाएगा, ताकि भ्रम की स्थिति न बने।

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क्या यही है सरकारी संवेदनशीलता?

यह सवाल अब गंभीर होते जा रहा है कि जब हाल ही में शासन ने दमोह जिले को दो नए शव वाहन दिए हैं, तो फिर एक हत्या के बाद मृतक का शव इस तरह से क्यों ले जाया गया? प्रशासनिक उदासीनता ने एक बार फिर सिस्टम की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है।

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