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रिश्वत में दिए रुपए तुरंत मिलेंगे वापस: शिकायतकर्ता को होगा फायदा, सरकार लाएगी ये नई व्‍यवस्‍था

Madhya Pradesh Government Bribe Money Return Policy Update: मध्य प्रदेश में रिश्वतखोरी के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार एक नई व्य वस्था‍ लाने की तैयारी में है

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Aman jain
Madhya Pradesh Bribery Cases Money Return Policy EOW CBI

Madhya Pradesh Bribery Cases

Madhya Pradesh Bribery Cases: मध्‍य प्रदेश में रिश्वतखोरी के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार एक नई व्‍यवस्‍था लाने की तैयारी में है।

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आपको बता दें कि रिश्‍वत के मामलों में लोगों को सबसे अधिक चिंता इस बात की रहती है कि रिश्वत में दी गई रकम फंस जाएगी। करीब 25% मामलों में यह राशि 1 से 5 लाख रुपए तक होती है।

अभी शिकायतकर्ता को यह रकम कोर्ट के फैसले के बाद ही वापस मिलती है, जो अक्सर कई सालों तक लंबित रहती है।

सरकार लाएगी नई व्‍यवस्‍था

आपको बता दें कि अब सरकार ऐसी व्यवस्था बनाने की तैयारी कर रही है, जिसमें रिश्वत मामलों की ट्रैप राशि के लिए एक विशेष निधि स्थापित की जाएगी। इस निधि से शिकायतकर्ता को ट्रैप के तुरंत बाद उसकी राशि लौटा दी जाएगी।

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बाद में जब कोर्ट से मामले का निपटारा होने के बाद यह राशि पुनः विशेष निधि में जमा हो जाएगी। इस व्यवस्था से धन का रोटेशन सुनिश्चित होगा और शिकायतकर्ताओं की चिंता कम होगी।

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शिकायतकर्ता को मिलेगी राहत

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त जयदीप प्रसाद ने जानकारी दी कि रिश्वत मामलों में शिकायतकर्ताओं को राहत देने के लिए सरकार को विशेष निधि का प्रस्ताव भेजा गया है।

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उन्होंने बताया कि कुछ राज्यों में यह व्यवस्था पहले से मौजूद है। प्रारंभिक चरण में इसके लिए लगभग 40 लाख रुपए का फंड स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है।

लोकायुक्त पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि रिश्वत मामलों के निपटारे में औसतन 10 साल लग जाते हैं। इस दौरान जब्त की गई राशि कोर्ट के अधीन रहती है, जिसका कोई उपयोग नहीं किया जा सकता और न ही शिकायतकर्ता को इस राशि पर ब्याज प्राप्त होता है। इस नई व्यवस्था से शिकायतकर्ता को जल्द राहत मिलने की संभावना है।

CBI में नहीं है ऐसी व्‍यवस्‍था

मी‍डिया रिपोर्ट की मानें तो विशेष निधि की व्यवस्था लागू होने से लोग रिश्वतखोरों को पकड़वाने के लिए अधिक तत्परता से आगे आएंगे। प्रदेश में हर साल 500 से 700 अधिकारी-कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाता है, जिसमें रिश्वत की राशि आमतौर पर 10 हजार से लेकर 5 लाख रुपए तक होती है।

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अधिकांश ट्रैप मामले लोकायुक्त पुलिस द्वारा किए जाते हैं, इसलिए फिलहाल यह व्यवस्था वहीं लागू करने की तैयारी है। भविष्य में इसे ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) में भी लागू किया जा सकता है।

यह उल्लेखनीय है कि अभी तक सीबीआई में भी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे मामलों का निपटारा होने तक शिकायतकर्ताओं की राशि फंसी रहती है।

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