भोपाल। मुख्यमंत्री की पहल Maa Tujhe Pranam पर प्रदेश में “माँ तुझे प्रणाम” योजना के अतंर्गत 196 लाड़ली लक्ष्मी बालिकाओं को अंतर्राष्ट्रीय सीमा वाघा-हुसैनीवाला (पंजाब) का भ्रमण किया गया। सीएम ने अमृत दादर एक्सप्रेस से हरी झंडी के साथ सभी का रवाना किया। आपको बता दें प्रदेश में वर्ष 2013 से शुरू हुई थी। इस योजना में पहली बार प्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी बालिकाएँ वाघा बार्डर जा रही हैं। योजना में वाघा बार्डर जाने वाली लाड़ली लक्ष्मियों में भोपाल संभाग से 20, इंदौर संभाग से 31, ग्वालियर से 15, उज्जैन से 26, नर्मदापुरम से 11, शहडोल से 15, रीवा से 12, चम्बल से 9, सागर से 26 और जबलपुर संभाग से 31 लाड़ली लक्ष्मियाँ शामिल हैं।
योजना में अब तक लगभग 12 हजार 672 युवाओं को लेह-लद्दाख, कारगिल-द्रास, आर.एस.पुरा, वाघा-हुसैनीवाला, तानोत माता का मंदिर, लोगेंवाल, कोच्चि, बीकानेर, बाड़मेर, नाथूराम-दर्रा, पेट्रापोल, तुरा, जयगाँव, अडंमान निकोबार एवं कन्या कुमारी की अनुभव यात्रा कराई गई है। खेल एवं युवा कल्याण विभाग की इस योजना की चयनित बालिकाओं को गृह निवास यात्रा का किराया, दैनिक भत्ता, आवास, भोजन, स्थानीय यातायात व्यवस्था, रेल आरक्षण व्यवस्था, ट्रेक सूट, टी-शर्ट और किट बेग उपलब्ध कराए जाते हैं।
आज दो योजनाओं का संगम है।
- एक जो हमारे हृदय से निकली है लाड़ली लक्ष्मी योजना और दूसरी “माँ तुझे प्रणाम” जो भारत माता के प्रति देशभक्ति की भाव पैदा करने के लिए प्रारंभ की है।
- यह योजना बीच में बंद कर दी गई थी। लेकिन आज लाड़ली लक्ष्मी बेटियां “माँ तुझे प्रणाम” योजना के अंतर्गत बाघा बॉर्डर पर जा रहीं हैं। बाकी स्थान भी देखेंगे।
- योजना का उद्देश्य है कि हमारे देश के वीर जवान कितनी कठिनाइयों में रहकर अपने देश की सुरक्षा करते हैं। वो नौजवान आँखों से देखें बर्फीले पहाड़ों पर,रेगिस्तान में -40 डिग्री सेंटीग्रेट में भी जब तापमान होता है और 50 डिग्री पार कर जाता है। जब राजस्थान के कुछ इलाकों में तो उन परिस्थितियों में भी जान हथेली पर रखकर देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हैं।
- हर एक को देखना चाहिए कि किन परिस्थितियों में हमारे जवान देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हैं। इसलिए अपने गांव की माटी लेके सीमा पे जाके जवानों को तिलक करते है उनके साथ बैठकर डिस्कशन होता है।
सीएम की मुख्य बातें —
ये नोट कर लेना बेटियों! हम जैसा सोचते हैं और करते हैं वैसा बन जाते हैं।
मैं खुद छोटे से गाँव में पैदा हुआ, मेरे पिताजी चाहते थे मैं डॉक्टर बनूँ। हम पढ़ने लिखने में भी अच्छे थे। अच्छे नंबर लाते थे। लेकिन, मेरे मन में जिद थी कि, डॉक्टर बहुत इंपोर्टेंट हैं लेकिन शिवराज कुछ और बड़ा कर। बड़ा करते करते मैं मुख्यमंत्री बना और लाड़ली लक्ष्मी योजना बना दी!
ये बड़ा काम है या नहीं..??
- मन में ये भाव पैदा हुआ है कि हम यहाँ बैठे कम से कम वहाँ जाके देखे तो कि हमारे सैनिक, हमारी सेना, वीर जवान किन परिस्थितियों में हमारे देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं। इसलिए हमने तय किया “माँ तुझे प्रणाम” क्योंकि उनके कारण (माँ मतलब भारत माता) सुरक्षित है। तो हम सीमा पर जाकर प्रणाम करेंगे माँ को।
- अपने गांव की माटी ले जा के वहाँ के सैनिकों का तिलक करेंगे। और जब आप आएँगे। तो वहाँ की माटी का तिलक लगा के आएँगे। यह देश भक्ति का भाव भरने का अद्भुत कार्यक्रम है।
जो भरा नहीं हैं भाव से, बहती जिसमें रस धार नहीं।
वो हृदय नहीं हैं पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
- हम भारत माता के प्रति, सभी के मन में श्रद्धा, भक्ति और सेवा का भाव पैदा करने की कोशिश करेंगे। जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
- अपना कार्य पूरी निष्ठा और समर्पण से करने का अर्थ है कि आप देश की सेवा कर रहे हैं। 8 मई को लाडली लक्ष्मी दिवस है। 2 तारीख की शादियां बहुत थी जिसके कारण हमने 8 तारीख का तय किया। यह कार्यक्रम शाम 6:30 पर आयोजित किया जायेगा।
वर्चुअल माध्यम से जुड़ेंगी बेटियां —
- पूरे प्रदेश की लाडली लक्ष्मी बेटियां वर्चुअल माध्यम से जुड़ेंगी।
- अपनी बेटियों को देख कर मेरा रोम रोम पुलकित हो जाता है। जीवन धन्य, सफल और सार्थक लगता है।
- इन्हीं बेटियों को मैंने गोद में खिलाया था और लाडली लक्ष्मी का सर्टिफिकेट दिया था। अब वो बेटियां बड़ी हो गई हैं।
- बेटियों को देख कर मन आनंद और प्रसन्नता से भर जाता है मैं तो, बेटियों में हमेशा देवी देखता हूं।