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हाइलाइट्स
- नया साल मना रहे तिब्बती समुदाय के लोग
- तिब्बती कैलेडर के अनुसार फरवरी में मनाते हैं नया साल
- सप्ताह भर उत्सव में डूबे रहते हैं तिब्बती
सरगुजा। Losar Festival: मिनी तिब्बत कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के मैनपाट में यहां के तिब्बती समुदाय के लोग इन दिनों नया साल मना रहे हैं. दरअसल तिब्बती कैलेडर के अनुसार तिब्बती हर साल 10 फरवरी को नया साल (Losar Festival) मनाते हैं और सप्ताह भर उत्सव मनाते हैं. इस मौके पर मैनपाट के सात तिब्बती कैम्प में समुदाय के लोग अलग-अलग तरीके से सेलिब्रेट कर रहे हैं. जिसमें तिब्बत संस्कृति देखने को मिल रही है. समुदाय के लोग डांस, मंदिरों में पूजा और घरों में पार्टी आयोजित कर सेलिब्रेट कर रहे हैं.
देशभर से पहुंचे समुदाय के लोग
तिब्बती समुदाय के लोगों ने बताया कि मैनपाट में सात कैम्प में करीब 15 सौ से अधिक तिब्बती समुदाय के लोग हैं. लोसर पर्व पर देश के अलग-अलग महानगरों में रहने वाले तिब्बती युवक-युवती अपने घरों में पहुंचे हुए हैं. वहीं उनके लोसर पर्व में पर्यटक भी शामिल हो रहे हैं. बता दें कि लोसर पर्व (Losar Festival) पर एक सप्ताह तक अलग-अलग आयोजन किए जाते हैं. इसमें तिब्बती समुदाय के लोग सभी कैम्प में स्थित मंदिरों में पूजा-पाठ करते हैं. देश दुनिया में शांति और सौहार्द का माहौल बना रहे इसके लिए प्रार्थना करते हैं.
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प्रकृति की बेहतरी की कामना
तिब्बती समुदाय के लोग इंसानों के अलावा सभी जीव-जंतुओं के साथ प्रकृति की बेहतरी की कामना करते हैं. इतना ही नहीं सभी तिब्बती कैम्प को आकर्षक तरीके से सजाया गया है. जिसमें तिब्बतियों के झंडे लगाए गए हैं. जिसमें (Losar Festival) शांति और मैनपाट में खुशहाली हो इसके लिए मंत्र भी लिखे गए हैं.
मैनपाट में 1962 से रह रहे तिब्बती
मैनपाट की पहाड़ी पर छोटा तिब्बत बसा है. मैदान और चारों तरफ खुली वादियां और हवा के झोंकों का एहसास यहां पर्यटकों को मंत्र मुग्ध कर देता है. यहां बौद्ध भिक्षुओं के शांत और सौम्य चेहरों के साथ कालीन बुनते तिब्बतियों को देखा जा सकता है. साल 1962 में तिब्बत पर चीनी कब्जे और वहां के धर्मगुरू दलाई लामा सहित लाखों तिब्बतियों के निर्वासन के बाद उस समय भारत की सरकार ने तिब्बतियों को अपने यहां शरण दी थी. तिब्बत के वातावण से मिलते-जुलते मैनपाट में तिब्बती कैंप बसाया गया था. जहां पर तीन पीढ़ियों से तिब्बती शरणार्थी रह रहे हैं.
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