Purnia Lok Sabha Seat: देश का बिहार राज्य अपनी राजनीति के कारण हमेशा चर्चा का केंद्र बना रहता है। बिहार की पूर्णिया लोकसभा (Purnia Lok Sabha Seat) सीट कई मायनों में खास है। कभी 4 साल तक बिना सांसद के रहने की वजह से चर्चा में रही पूर्णिया सीट एक बार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सुर्खियां बटोर रही है।
इस सीट से तीन बार सांसद रह चुके राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के कारण यह सीट चर्चा में बनी है। दरअसल, पूर्णिया से महागठबंधन से टिकट की चाह में पप्पू यादव ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया। लेकिन पप्पू यादव के साथ खेला हो गया।
क्या पप्पू यादव की बगावत महागठबंधन पर पड़ेगी भारी
बता दें कि यह सीट RJD के पास चली गई और पार्टी ने बीमा भारती को उम्मीदवार चुन लिया। लेकिन पप्पू यादव ने भी हार नहीं मानी और उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी (Independent Candidate)के तौर पर इस सीट से नामांकन भर दिया।
उन्होंने इस सीट से मुकाबले को बेहद दिलचस्प बना दिया। ऐसे में सवाल उठा कि क्या पप्पू यादव द्वारा की गई यह बगावत INDIA महागठबंधन पर भारी पड़ेंगे।
चुनावी प्रचार में क्या कह गए तेजस्वी
‘आप लोग किसी धोखे में नहीं आइए। यह चुनाव किसी एक व्यक्ति का चुनाव नहीं है। यह NDA और INDIA गठबंधन की लड़ाई है। या तो INDIA को चुनिए, बीमा भारती को वोट करिए और अगर INDIA को नहीं चुन सकते, बीमा भारती को वोट नहीं दे सकते तो फिर NDA को चुन लीजिए। साफ बात है।’
तेजस्वी यादव का ये बयान सुनकर शायद आपको भी पहली बार में यकीन न हो, लेकिन पूर्णिया से महागठबंधन की प्रत्याशी बीमा भारती के लिए चुनावी प्रचार में तेजस्वी वाकई ये कह रहे हैं कि या तो बीमा भारती को वोट दीजिए, नहीं तो संतोष कुशवाहा को वोट दे दीजिए। यानी तेजस्वी NDA प्रत्याशी के लिए भी वोट मांग रहे है।
राजनीति में समय इंसान से ज्यादा बलवान होता है
जाहिर है, तेजस्वी यादव किसी भी सूरत में पप्पू यादव को पूर्णिया से जीत दर्ज नहीं करने देना चाहते। दिलचस्प ये है कि तेजस्वी मंच से जब ये बात कह रहे थे, सभा में मौजूद कार्यकर्ता पप्पू यादव जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। तेजस्वी के NDA को वोट देने की बात से वहां मौजूद लोग नाराज दिखे।
क्या नाक की लड़ाई में बाजी ले जाएगी NDA
NDA को उम्मीद है कि विपक्ष की इस आपसी लड़ाई का फायदा उन्हें चुनाव में मिलेगा और स्थानीय JDU सांसद संतोष कुशवाहा के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी (Anti-Incumbency) होने के बावजूद वो तीसरी बार सांसद चुने जाएंगे।
संतोष कुशवाहा का कहना है कि पूरे बिहार में NDA की एकतरफा लहर चल रही है। पूर्णिया लोकसभा में पिछली बार के मुकाबले NDA बहुत बड़े अंतर से चुनाव जीतेगी, क्योंकि जनता ने विकास के लिए वोट देने का मन बना लिया है।
पप्पू यादव पर सबकी निगाहें
निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में लड़ रहे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव यहां न सिर्फ बड़े दलीय प्रत्याशियों को कड़ी चुनौती पेश कर रहे, बल्कि देशभर के मीडिया की सुर्खी बने हैं।
कभी ट्रैक्टर चलाते, कभी बुलेट दौड़ाते तो कभी प्रचार के दौरान दाल भात और चुरा दही खाते उनकी तस्वीरें चर्चा पाती हैं। हालांकि चर्चा से इतर और चुनावी महासमर में बाजी मारना दूसरी बात है।
वह भी तब जब प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार का चेहरा जो भी हो, पार मोदी से ही पाना है। उस पर भी राम मंदिर का ज्वार।
पूर्णिया का चुनावी समीकरण
पूर्णिया सीट के समीकरणों की बात करें तो यहां यादव और मुस्लिम फैक्टर के साथ ही दलित और OBC की कुशवाहा जैसी जातियां निर्णायक भूमिका निभाती हैं। सवर्ण मतदाताओं (upper caste voters) की तादाद भी अच्छी खासी है।
RJD को यह उम्मीद है कि बीमा भारती को उतारने से उसके बेस वोटर मुस्लिम-यादव के साथ ही दलित मतदाताओं का साथ भी पार्टी को मिल सकता है और ऐसा हुआ तो जीतने की संभावनाएं भी बढ़ सकती हैं ।