हाइलाइट्स
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शहडोल सीट पर आदिवासी वोटर की मुख्य भूमिका
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प्रदेश में सबसे ज्यादा नोटा वाली सीट है शहडोल
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7, कांग्रेस को 6 बार बीजेपी को मिली है जीत
Lok Sabha Chunav 2024: आदिवासी सुरक्षित लोकसभा सीट शहडोल में आजादी के पहले राज परिवारों का वर्चस्व रहा है. अब लोकतांत्रिक प्रतिस्पर्धा में भी उसकी झलक देखन को मिलती है. 1977 के बाद से शहडोल सीट पर केवल 3 राज परिवारों का वर्चस्व रहा है. इन्हीं तीन राजपरिवारों ने सत्ता की चाबी अपने पास रखी. लेकिन अब जनता का मूड बदल रहा है. पिछले 2 बार के चुनाव में इस सीट पर प्रदेश में सबसे ज्यादा नोटा का बटन दबाया गया है.अब (Lok Sabha Chunav 2024) में एक बार फिर जनता 19 अप्रैल को फैसला करेगी.
बैगा आदिवासी बहुल सीट है शहडोल
शहडोल सीट के जातीय समीकरण 2011 की जनगणना के अनुसार इस सीट में कुल 24 लाख 10 हजार 250 वोटर हैं. जिसमें से 44.76 आबादी अनुसूचित जनजाति की है. वहीं 9.35 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति के लोगों की है.कुल वोटर्स में 7,54,376 महिला मतदाता और 8,06,945 पुरुष मतदाता हैं. यहां आदिवासी ही निर्णायक वोटर होता है.
बीजेपी ने हिमाद्री सिंह को दूसरी बार दिया टिकट
शहडोल से वर्तमान में हिमाद्री सिंह सांसद हैं. बीजेपी ने (Lok Sabha Chunav 2024) के लिए फिर हिमाद्री सिंह को टिकट दिया है. वे पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता दलपत सिंह परस्ते की बेटी हैं. वहीं उनके पति नरेंद्र मरावी बीजेपी नेता हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वे बीजेपी में शामिल हुईं थी.वहीं 2019 के चुनाव में बीजेपी के टिकट से जीत दर्जकर वे संसद पहुंचीं.
कांग्रेस फुंदेलाला मार्कों को बनाया प्रत्याशी
कांग्रेस ने शहडोल लोकसभा सीट से Lok Sabha Chunav 2024 के लिए फुन्देलाल मार्को को टिकट दिया है. वे शहडोल की पुष्पराजगढ़ सीट से विधायक हैं.इस सीट से वे 3 बार विधायक रहे हैं. 2023 विधानसभा में वे हिमाद्री सिंह के गढ़ से चुनाव जीतने में सफल रहे.आदिवासियों पर मार्को की अच्छी पकड़ है. इसी वजह से कांग्रेस ने उन्हें विधानसभा में चुनाव लड़ाने के बाद अब लोकसभा के लिए भी मैदान में उतार दिया है.
सबसे ज्यादा नोटा वाली सीट शहडोल
शहडोल सीट पर प्रदेश में सबसे ज्यादा नोटा वोट पड़ते हैं. शहडोल के लोगों ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 21 हजार 376 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था. वहीं 2019 में 20 हजार 39 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था.
कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर
शहडोल सीट पर लगातार किसी पार्टी ने राज नहीं किया किंतु एक ही परिवार से जुड़े लोगों ने यहां अलग अलग पार्टियों से जीत दर्ज की है. अबकत के लोकसभा चुनावों में 7 बार कांग्रेस को 6 बार बीजेपी को और निर्दलीय, जनता दल और सोशलिस्ट पार्टी को एक-एक बार सफलता मिली है. वहीं इसबार के लोकसभा चुनाव के लिए भी मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है. शहडोल में बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा सभा ले चुके हैं. वहीं कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी की भी यहां सभा हो चुकी है. अब (Lok Sabha Chunav 2024) में वर्तमान सांसद और वर्तमान विधायक के बीच मुकाबला होने वाला है.
पिछले चुनावों में बराबरी का मुकाबला
शहडोल लोकसभा सीट के इतिहास को देखें तो 1952 से 1957 तक किसान मजदूर पार्टी के रणदमन सिंह सांसद रहे थे. इसके बाद 1957 से 1962 तक कांग्रेस के टिकट से कमल नारायण सिंह सांसद बने.फिर 1962 से 1967 तक सोशलिस्ट पार्टी के बुद्धू सिंह उटिये यहां से सांसद बने. 1967 से 1971 तक कांग्रेस की गिरजा कुमारी सांसद बनीं. 1971 से 1977 तक निर्दलीय प्रत्याशी धन शाह सांसद रहे. 1980 में कांग्रेस के दलबीर सिंह सांसद बने वे 1996 तक इस सीट पर जमे रहे.1996 उपचुनाव में बीजेपी के ज्ञान सिंह ने जीत दर्द की. इसके बाद 1999,2004,2014 में बीजेपी के दलपत सिंह परस्ते सांसद बने. वहीं दलपत सिंह की पत्नी 2009 में यहां से सांसद रहीं. वहीं 2019 में बीजेपी के टिकट पर हिमाद्री सिंह ने जीत दर्ज की.
अजीत जोगी शहडोल से पहुंचे छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम ने शहडोल सीट से किस्मत आजमाई लेकिन यहां की जनता ने उन्हें नकार दिया.अजीत जोगी कांग्रेस के कद्दावर नेता थे. 1999 Lok sabha chunav में उन्होंने यहां किस्मत आजमाई लेकिन वे बीजेपी के दलपत सिंह से चुनाव हार गए. इसके बाद अजीत जोगी ने आखिरकार छत्तीसगढ़ का रुख किया
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हिमाद्री सिंह के पति ने भी इस सीट से लड़ा चुनाव
Lok Sabha Chunav 2024 के लिए बीजेपी प्रत्याशी हिमाद्री सिंह के पति ने नरेंद्र मरावी 2009 में बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे थे. उनके सामने हिमाद्री सिंह की मां और कांग्रेस नेता राजेश नंदिनी चुनावी मैदान में थी. इस चुनाव में नरेंद्र मरावी को हार का सामना करना पड़ा था. बाद में संयोग बना कि नरेंद्र की शादी राजेश नंदिनी की बेटी हिमाद्री से हुई.