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Vande Mataram 150th Anniversary Live Update: ए राजा —“वंदे मातरम पर विभाजन मुसलमानों ने नहीं, बीजेपी ने पैदा किया”

Vande Mataram 150th Anniversary Live Update: बीते पांच दिनों से संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। आज 8 दिसंबर सोमवार को संसद में वंदे मातरम् पर चर्चा हो रही है। जिसमें पीएम मोदी अपना संबोधन दे रहे हैं। 

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Preeti Dwivedi
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Parliament Vande Mataram 150th Anniversary Live Update: बीते पांच दिनों से संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। इसमें से तीन दिन हंगामेदार रहे। आपको बता दें लोकसभा से बिलों को पास कर उन्हें राज्यसभा भेजा गया है। इसी बीच SIR, BLO की मौतों का मुद्दा, इंडिगो संकट और प्रदूषण का मुद्दा संसद में हावी रहा। आज 8 दिसंबर सोमवार को संसद में वंदे मातरम् पर चर्चा हो रही है। जिसमें पीएम मोदी अपना संबोधन दे रहे हैं। 

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पीएम मोदी ने कहा कि वंदेमातरम् में हजारों वर्ष की सांस्कृतिक ऊर्जा भी थी, इसमें आजादी का जज्बा भी था और आजाद भारत का विजन भी था। अंग्रेज समझ चुके थे कि 1857 के बाद भारत में लंबे समय तक टिक पाना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है। जिस प्रकार के सपने लेकर वे आए थे, उन्हें यह साफ दिखने लगा कि जब तक भारत को बांटा नहीं जाएगा, लोगों को आपस में लड़ाया नहीं जाएगा, तब तक यहां राज करना कठिन है. तब अंग्रेज़ों ने ‘बांटो और राज करो’ का रास्ता चुना, और उन्होंने बंगाल को इसकी प्रयोगशाला बनाया। 

  • Dec 08, 2025 16:13 IST

    ए राजा का सरकार पर हमला—“वंदे मातरम पर विभाजन मुसलमानों ने नहीं, बीजेपी ने पैदा किया”

    लोकसभा में वंदे मातरम पर हुई चर्चा के दौरान DMK सांसद ए राजा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणियों का कड़ा विरोध किया। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि वंदे मातरम को लेकर विभाजन किसने पैदा किया? ए राजा ने सीधे आरोप लगाया कि “विभाजन मुसलमानों ने नहीं, बल्कि बीजेपी के राजनीतिक पूर्वजों ने पैदा किया था।”

    ए राजा ने दावा किया कि इतिहास में ऐसे तथ्यों के प्रमाण मौजूद हैं, जिनसे यह समझा जा सकता है कि वंदे मातरम केवल ब्रिटिश शासन के खिलाफ नहीं, बल्कि मुसलमानों के खिलाफ भी निर्देशित माना गया। उन्होंने आगे कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस को लिखे एक पत्र में उल्लेख किया था कि वंदे मातरम के खिलाफ जो विरोध उभरा, उसे कुछ साम्प्रदायिक ताकतों ने जानबूझकर हवा दी थी।

    उन्होंने यह भी जोड़ा कि नेहरू खुद स्वीकार करते थे कि वंदे मातरम पर उठी आपत्तियों में कुछ वास्तविक आधार थे और यह गीत उन लोगों को प्रभावित कर सकता था जिनकी साम्प्रदायिक सोच पहले से झुकी हुई थी।



  • Dec 08, 2025 15:36 IST

    वंदे मातरम् को राजनीतिक नारे से राष्ट्रीय पहचान मिली—गौरव गोगोई

    कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि वायसराय कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन कर भारत को कमजोर करने की कोशिश की गई, लेकिन 1905 के स्वदेशी आंदोलन के बाद वंदे मातरम् पूरे देश में लोकप्रिय हो गया। उन्होंने बताया कि इस दौरान अलग-अलग भाषाओं में इसके अनुवाद हुए, जिससे यह राजनीतिक नारे से आगे बढ़कर राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक बन गया। कांग्रेस ने इसे राष्ट्रीय गीत का दर्जा देकर सम्मान दिया।

    गोगोई ने बताया कि 1905 में बनारस में हुए कांग्रेस अधिवेशन में सरला देवी चौधुरानी ने वंदे मातरम् गीत पेश किया और इसमें महत्वपूर्ण संशोधन भी किया। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने इसे बंगाल के संदर्भ में 7 करोड़ की आबादी के लिए लिखा था, लेकिन सरला देवी ने इसे 30 करोड़ की आबादी जोड़कर पूरे देश के लिए विस्तार दिया, जिससे इस गीत को राष्ट्रीय स्तर पर विशेष तवज्जो मिली।



  • Dec 08, 2025 15:27 IST

    गौरव गोगोई का प्रधानमंत्री पर हमला—“नेहरू पर कितनी भी कोशिश कर लें, दाग नहीं लगा पाएंगे”

    पीएम मोदी के भाषण के बाद कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के संबोधन से दो बातें स्पष्ट होती हैं—पहला, ऐसा प्रतीत हुआ मानो सिर्फ उनके राजनीतिक पूर्वज ही अंग्रेजों से लड़ रहे थे; दूसरा, वे पूरे वंदे मातरम को राजनीतिक रूप से विवादित बनाना चाहते हैं। 

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    गोगोई ने कटाक्ष करते हुए कहा, “आप हर बार नेहरू जी और कांग्रेस पर निशाना साधते हैं, लेकिन जितनी भी कोशिश कर लें, नेहरू जी पर दाग कभी नहीं लगा पाएंगे।” उन्होंने सवाल उठाया, “आप 1937 के कांग्रेस अधिवेशन की बात करते हैं, लेकिन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में आपके राजनीतिक पूर्वज कहां थे?”

    गोगोई ने आगे कहा कि मुस्लिम लीग ने वंदे मातरम के पूर्ण बहिष्कार की मांग की थी, जबकि मौलाना अबुल कलाम आजाद ने स्पष्ट कहा था कि उन्हें वंदे मातरम से कोई आपत्ति नहीं। उन्होंने जोड़ा कि उस समय हिंदू महासभा ने भी वंदे मातरम की आलोचना की थी।



  • Dec 08, 2025 13:34 IST

    Parliament Winter Session: वंदे मातरम् पर नेहरू की चिट्ठी का जिक्र, पीएम मोदी बोले— ‘सिंहासन डोलता दिखा’

    Parliament Winter Session: संसद में पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि लखनऊ में 15 अक्तूबर 1937 को मोहम्मद अली जिन्ना ने वंदे मातरम नारे का विरोध किया था। जिसके बाद कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा। नेहरू जी ने मुस्लिम लीग के बयानों को करारा जवाब नहीं दिया, न ही उनकी निंदा की, बल्कि इसके ठीक उलट किया। उन्होंने वंदे मातरम की ही पड़ताल कर दी। जिन्ना के विरोध के पांच दिन बाद ही 20 अक्तूबर को नेहरू जी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस को चिट्ठी लिखी और जिन्ना की भावना से सहमति जताते हुए लिखा कि वंदे मातरम की आनंदमठ वाली पृष्ठभूमि मुस्लिमों को चिढ़ा सकती है। नेहरू जी ने आगे लिखा कि मैंने वंदे मातरम गीत की पृष्ठभूमि पढ़ी है, मुझे लगता है कि इससे मुस्लिम भड़केंगे। 



  • Dec 08, 2025 13:20 IST

    वंदे मातरम् के 150 वर्ष, पीएम मोदी बोले— गीत के साथ अन्याय क्यों हुआ?

    पीएम मोदी ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कहा, वंदे मातरम् अंग्रेजों को करारा जवाब था, ये नारा आज भी प्रेरणा दे रहा। आजादी के समय महात्मा गांधी को भी यह पसंद था। उन्हें यह गीत नेशनल एंथन के रूप में दिखता था।

    उन्होंने कहा ​कि उनके लिए इस गीत की ताकत बड़ी थी। पिछली सदी में इसके साथ इतना अन्याय क्यों हुआ। वंदे मातरम के साथ विश्वासघात क्यों हुआ। वो कौन सी ताकत थी, जिसकी इच्छा कुछ पुज्य बापू की भावनाओं पर भी भारी पड़ी।

    पीएम ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से 15 अक्टूबर 1936 को वंदे मातरम् के खिलाफ नारा बुलंद किया। कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा। बजाय इसके कि नेहरू मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को करारा जबाब देते, उसकी निंदा करते, लेकिन उल्टा हुआ। उन्होंने वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी।



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