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Lithium Reserves In India:  चीन और ऑस्ट्रेलिया को पछाड़कर भारत बना बादशाह ! जम्मू कश्मीर में मिला लिथियम का भंडार, जानें खबर

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने पहली बार दिल्ली से 650 किमी उत्तर में जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन के लिथियम भंडार का पता लगाया है।

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Bansal News
Lithium Reserves In India:  चीन और ऑस्ट्रेलिया को पछाड़कर भारत बना बादशाह ! जम्मू कश्मीर में मिला लिथियम का भंडार, जानें खबर

Lithium Reserves In India: भारत ने विकसित देशों को पछाड़कर बड़ा कारनामा रचा है जहां पर भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने पहली बार दिल्ली से 650 किमी उत्तर में जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन के लिथियम भंडार का पता लगाया है। जिससे चीन और ऑस्ट्रेलिया को झटका लगेगा।

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जानिए क्या है खनन मंत्रालय का बयान

यहां पर खनन मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार बताते चलें तो, लिथियम और गोल्ड सहित 51 खनिज ब्लॉक राज्य सरकारों को सौंपे गए हैं. इन 51 खनिज ब्लॉकों में से 5 ब्लॉक सोने से संबंधित हैं. अन्य ब्लॉक जम्मू कश्मीर (केंद्र शासित), आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक के 11 राज्यों में फैले हैं जो पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल आदि जैसी वस्तुओं से संबंधित हैं. जीएसआई ने फील्ड सीजन 2018-19 से अब तक के कामों के आधार पर ये ब्लॉक तैयार किए थे। इसके अलावा जानकारी में यह भी मिला है कि, 7897 मिलियन टन के कुल संसाधन वाले कोयला और लिग्नाइट की 17 रिपोर्टें कोयला मंत्रालय के पास है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने रणनीतिक और महत्वपूर्ण खनिजों पर 115 परियोजनाएं और उर्वरक खनिजों पर 16 परियोजनाएं स्थापित की है।

जानिए देश के लिए लिथियम क्यों जरूरी

यहां पर लिथियम के बारे में बताते चलें कि, यह एक प्रकार की ऐसी धातु है जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी को बनाने में किया जाता है. मोदी सरकार देश में पब्लिक और प्राइवेट ट्रांसपोर्ट दोनों क्षेत्र में इलेक्ट्रिक व्हीकल पर फोकस कर रही है। इसके अलावा दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे प्रमुख शहरों को अधिक से अधिक इलेक्ट्रिक व्हीकल पर निर्भर बनाने की योजना है. इसके लिए लिथियम भंडार का होना बहुत जरूरी है। बता दें कि, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) की स्थापना 1851 में रेलवे के लिए कोयले के भंडार का पता लगाने के लिए की गई थी।

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