नई दिल्ली। लॉकडाउन के चलते बहुत से लोगों Life style का अधिकतर समय लैपटॉप पर गुजरा है। तो वहीं आजकल बच्चे भी ऑनलाइन क्लासेस के कारण इसका अधिक उपयोग कर रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इसके बायोलोजिकल प्रभाव आपको किस हद तक बीमार कर सकती हैं।
इसका अधिक उपयोग आपको केंसर जैसी घातक Life style बीमारी से ग्रसित कर सकता है। चिकित्सकों की माने तो लंबे समय तक इसका उपयोग घातक बीमारियों को न्यौता दे सकता है।
विकसित ऊतकों को करते हैं प्रभावित
चिकित्सकों के अनुसार कम आवृत्ति वाले चुंबकीय क्षेत्र जैसे कंप्यूटर मॉनीटर और लैपटॉप आदि के कुछ बायोलॉजिकल प्रभाव होते है। जो कि विकसित होते ऊतकों को प्रभावित करती है। परिणाम स्वरूप हमारे शरीर की कैंसर कोशिकाओं को विकसित करने लगता है। साथ ही न्यूरोलॉजिकल क्रिया्प्रणाली में भी परिवर्तन करता है। हालांकि इसकी कोई प्रमाणिकता नहीं है कि कम आवृत्ति वाले चुंबकीय क्षेत्र के विकिरण की वजह से कैंसर होता है।
वैज्ञानिकों को संदेह है कि यह कैंसर से लड़ने वाली टी-लिंफोसाइट की क्षमता को बिगाड़ सकता है। हालांकि डॉक्टरों ने इस बात को खारिज किया है कि ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि रोजमर्रा लैपटॉप इस्तेमाल करने वालों पर इसका बायोलॉजिकल प्रभाव पड़ता है।
ऐसे सुधारे अपनी आदत :
स्क्रीन से आपकी दूरी कम से कम एक बांह की यानी करीब (30 इंच या 75 सेमी.)की होनी चाहिए। मॉनिटर को देखने में दिक्कत आने पर टेक्स्ट साइज बढ़ाएं। इसके अलावा मॉनिटर के किनारों और पीछे से चार फीट की दूरी रखें। जिससे विद्युत चुंबकीय तरंगों का प्रभाव ज्यादा नहीं पड़ेगा।
सतर्क रहे :
लैपटॉप में काम करने के दौरान आपके हाथों को आराम नहीं मिलने के कारण, ज्यादा टाइपिंग करने की वजह से मीडिएन नर्व में रेपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी (आरएसआई) का खतरा बढ़ जाता है। जिससे ‘कारपल टनल सिंड्रोम’ हो सकता है। अत: काम करते समय बीच—बीच में हाथों को स्ट्रेच करते रहें। आखों को हर 20 मिनट में धोते रहें। उन्हें 5 मिनट का आराम दें।
गर्भवती महिलाएं रखें सावधानी :
गर्भवती महिलाएं या गर्भधारण करने के प्रयास में हैं, उन्हें pregnent lady सावधानियां बरतनी चाहिए। कंप्यूटर और लेपटॉप पर कम समय व्यतीत करें। लैपटॉप को गोद में न रखने से बचें।