MP News: भोपाल के हिन्दी भवन के महादेवी वर्मा सभागार में शनिवार को व्याख्यान और पुस्तक विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम ‘साहित्य, समाज और लोहिया’ पर केंद्रित था। जिसमें सुप्रसिद्ध समाजवादी चिंतक और राजनेता रघु ठाकुर ने कहा, निर्भय होने और साधारण-जन की पीड़ा को समझने का जो मंत्र देश को महात्मा गांधी ने दिया था, उसी को डॉ. राममनोहर लोहिया ने आगे बढ़ाया और उनके समय के रचनाकारों ने उसे अपने-अपने ढंग से व्यक्त (MP News) किया।
पुस्तक का विमोचन, पोस्टर प्रदर्शन
इस आयोजन में वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल, चिंतक एवं अध्यापक डॉ. इंदीवर, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (MCU) के पूर्व कुलपति दीपक तिवारी ने भी विचार रखे। इस अवसर पर डॉ. शिवा श्रीवास्तव के कविता संग्रह ‘भावना के विविध रंग’, नित्यानंद तिवारी की रचना ‘ महात्मा के जीवन मूल्य ‘ का विमोचन हुआ। डॉ. इंदीवर की आने वाली किताब ‘ भारतीय समाजवाद की त्रयी ‘ का पोस्टर भी प्रदर्शित किया (MP News) गया।
रघु ठाकुर ने कविता संग्रह ‘ भावना के विविध रंग ‘ की सराहना करते हुए कहा, डॉ. शिवा श्रीवास्तव की कविता में मनुष्यता, समता के दर्शन में आस्था और नारी की पीड़ा परिलक्षित होती है। इसी तरह नित्यानंद तिवारी की किताब ‘ महात्मा के जीवन मूल्य ‘ में अहिंसा का संदेश वेदों से निसृत होता दिखाई देता (MP News) है।
‘व्यवहार में लोकतंत्र होगा तो वह भी समाजवाद’
रघु ठाकुर ने लोहिया, साहित्य और समाज के अंतर संबंध पर कहा, साहित्य हो या समाज सभी का काम अच्छाई और अच्छे लोगों का प्रचार करना है। विचार की भिन्नता भले रहे, व्यवहार में लोकतंत्र होगा तो वह भी समाजवाद ही होगा। डॉ. लोहिया सदैव साहित्यकार की आजादी और उसकी निजी चेतना के पक्षधर रहे। उनके अनुयायी डॉ. विजयदेवनारायण साही तो यहां तक कहते थे कि अति साधारण लोगों के हित में लिखते और काम करते हुए जो साहित्यकार दुनिया से जाये उसी को शहीद का दर्जा मिलना (MP News) चाहिए।
रघु ठाकुर ने कहा- गांधी की जीवनी से भोपाल में परिचित हुए
रघु ठाकुर ने कहा, आपातकाल से भी पहले सन 1973 में वे मीसा में भोपाल जेल में बंद थे। तभी श्रेष्ठ साहित्य से उनका परिचय हुआ। डी जी तेन्दुलकर की आठ खंडों में लिखी महात्मा गांधी की जीवनी से यहीं परिचित हुए जिसने जीवन का बदला। आज यदि कोई अपने बच्चे को लोहियावादी या समाजवादी नहीं बनाना चाहता तो उसके पीछे अच्छे साहित्य का ना मिलना भी एक कारण (MP News) है।
साहित्य का काम लोकहित की बात करना- डॉ. इंदीवर
कबीर अकादमी (लखनऊ) के निदेशक डॉ. इंदीवर ने कहा, समाजवादी चरित्र क्या होता है। यह रघु ठाकुर को देखकर कोई जान सकता है। आचार्य मम्मट ने कहा है कि साहित्य का काम लोकहित की बात करना है। लोहिया यही बात कहते थे, लेकिन आज वर्गहित हावी हो गया है। लोहिया के सांस्कृतिक मानस का प्रभाव उनके समय के रचनाकारों पर पड़ा और नवलेखन को प्रोत्साहन (MP News) मिला।
‘लोहिया ने नदियों को सांस्कृतिक प्रवाह कहा’
डॉ. इंदीवर ने कहा, नदियों को साफ करने की बात हो, अन्याय के प्रतिकार के लिए प्रतिबद्ध होने के कारण द्रौपदी को सर्वश्रेष्ठ नारी निरूपित करने की बात हो, लोहिया के सांस्कृतिक मानस को उनके समय के और परवर्ती साहित्यकारों ने स्वीकार किया। लोहिया ने नदियों को सांस्कृतिक प्रवाह (MP News) कहा।
…तब लोहिया ने राजनारायण को अपराजेय सत्याग्रही घोषित किया
डॉ. इंदीवर ने कहा-अज्ञेय, विद्यानिवास मिश्र और केदारनाथ सिंह जैसे रचनाकारों ने इस भाव को अपनाया। विधानसभा से राजनारायण को जबरदस्ती जब बाहर किया जा रहा था और राजनारायण को बाहर करना कठिन हो रहा था, तब इस सत्याग्रह की तुलना लोहिया ने भक्त प्रह्लाद के सत्याग्रह से की और उन्हें आजाद भारत का अपराजेय सत्याग्रही घोषित किया। लोहिया भारतीय वांग्मय से भलीभांति परिचित थे इसीलिए चित्रकूट में रामायण मेला शुरू करने के बारे में सोच सके और राम, कृष्ण, शिव को क्रमशः मर्यादा, उन्मुक्तता और गंभीरता का प्रतिरूप बताया। सिविल नाफरमानी के साहस और अन्य गुणों के कारण समाजवादी ही गांधी जी के सच्चे उत्तराधिकारी हैं और गांधी को समझना ही इस देश को समझना (MP News) है।
लोहिया खुद को कहते थे ‘कुजात गांधीवादी’
वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल ने कहा, संसद में हुई ‘ तीन आना बनाम पंद्रह आना की ऐतिहासिक बहस हो, विश्व- नागरिकता या चौखंबा राज की अवधारणा, सबके मूल में कहीं ना कहीं विंध्य की घोर गरीबी और अन्याय आधारित समाज से जुड़ी कोई ना कोई घटना थी। लोहिया खुद को ‘ कुजात गांधीवादी ‘ कहते थे जो गरीबों के सपनों में विचार बोते थे और उम्मीद जगाते थे कि वो सुबह कभी तो आएगी। आज जब पढ़ने में आता है कि भारत में भुखमरी बढ़ रही है, तब लोहिया के विचार और उनके सपनों का समाज याद आता है। विंध्य के एक चुनाव में लोहिया के द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवार सेठ रामरतन को सीपी तिवारी, जगदीश जोशी और श्रीनिवास तिवारी द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवार भगवानदत्त शास्त्री ने हरा दिया। तब लोहिया ने इस हार को बिना किसी कटुता के स्वीकार किया था। लोहिया का मानस इतना लोकतांत्रिक (MP News) था।
जयराम शुक्ल ने बताया कि विंध्य के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व डॉ. चंद्रिकाप्रसाद चंद्र ने रघु ठाकुर को समाजवाद का जीवंत प्रतिरूप बताया था। लोहिया जिस तरह वैचारिक दृढ़ता और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतिमान थे रघु जी में वही बात नजर आती है।
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विचार बीस सेकंड की रील्स में सीमित- दीपक तिवारी
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दीपक तिवारी ने वर्तमान समाज को सोशल मीडिया के प्रभाव से आक्रांत बताते हुए कहा, आज वोट भी उसे मिल रहे हैं जो सोशल मीडिया पर खर्च कर रहा है। विचार बीस सेकंड की रील्स में सीमित हो रहे हैं। लोगों ने पढ़ना बंद कर दिया है। यह स्थिति समाज और लोकतंत्र के लिए घातक (MP News) है।
अभिमंच न्यास द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम समता ट्रस्ट के सहयोग से सम्पन्न हुआ। जिसका संचालन नित्यानंद तिवारी ने और धन्यवाद ज्ञापन समता ट्रस्ट के अध्यक्ष मदन जैन ने व्यक्त किया।
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