रूद्रप्रयाग। केदारनाथ यात्रा मार्ग के आधार शिविर गौरीकुंड में लगातार बारिश के बीच बुधवार सुबह एक झोंपड़ी के भूस्खलन के मलबे की चपेट में आने से उसमें सो रहे एक परिवार के दो बच्चों की मृत्यु हो गयी तथा एक अन्य घायल हो गया। गौरीकुंड में पांच दिन के भीतर भूस्खलन की यह दूसरी घटना है। रुद्रप्रयाग के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि गौरीकुंड गांव में हेलीपैड के समीप स्थित झोंपड़ी ऊपर पहाड़ी से हुए भूस्खलन की चपेट में आ गयी जिससे उसके मलबे में परिवार के चार सदस्य दब गए।
उन्होंने बताया कि जानकी नामक महिला को मलबे से सुरक्षित बाहर निकाला गया जबकि उसके तीनों बच्चे मलबे में दब गए। सूचना मिलने पर राहत एवं बचाव दल मौके पर पहुंचे और बच्चों को बाहर निकालकर गौरीकुंड के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल में डॉक्टरों ने दो बच्चों को मृत घोषित कर दिया जबकि एक अन्य बालिका हादसे में घायल हो गयी।
हादसे में बच गयी बालिका की पहचान आठ वर्षीय स्वीटी के रूप में हुई है जबकि उसकी छोटी बहन पांच वर्षीय पिंकी तथा एक अन्य बच्चा मृतकों में शामिल हैं। झोंपडी में रहने वाला परिवार नेपाली था। बच्चों का पिता सत्यराज मजदूरी करता है तथा हादसे के वक्त वह अपने गांव नेपाल गया हुआ था। गौरीकुंड गांव में स्थित घटनास्थल की दूरी उस स्थान से एक किलोमीटर से भी कम है जहां पांच दिन पहले हुए भूस्खलन में तीन व्यक्तियों की मौत हो गयी थी और 20 अन्य लापता हो गए थे।
भूस्खलन का शिकार हुआ नेपाली परिवार
रात्रि 12 बजे गौरीकुंड गांव में हेलीपैड से आगे गांव के नीचे एक नेपाली परिवार के ऊपर के खेत मलबा आ गिरा। भूस्खलन की चपेट में आने के कारण तीन बच्चे दब गए। सूचना पर रात्रि को ही राहत बचाव टीम मौके पर पहुंचकर एक बच्ची को दो लड़कों को मलबे से बाहर निकाला। बच्चों को चिकित्सालय गौरीकुंड पहुंचाया गया है।
इस घटना में तीन ही बच्चों के दबने की सूचना थी, जिसमें बड़ी लड़की स्वीटी 8 वर्ष, छोटी लड़की पिंकी 5 वर्ष तथा एक छोटा बच्चा जो मलबे में दबे थे। तीनों को अस्पताल पहुंचाया गया, जिसमें स्वीटी ठीक है। 5 साल की पिंकी और छोटे बच्चे की मौत हो गई है। इन्हें चिकित्सक द्वारा मृत घोषित कर दिया गया।
पिता गया है नेपाल
बच्चों के पिता सत्यराज अपने गांव नेपाल गए हुए हैं, जबकि माता जानकी बच्चों के साथ ही डेरे में सो रही थी। जानकी मलबा आने के बाद डेरे से बाहर सकुशल निकल आई थी, जबकि बच्चे मलबे में दबे रह गए थे। बच्चों की मौत से मां सदमे में है।
3 अगस्त को भी हुआ था भूस्खलन
गौरतलब है कि केदारनाथ यात्रा मार्ग के महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुंड में 3 अगस्त को भी भूस्खलन हुआ था। 3 अगस्त की रात भारी मूसलाधार बारिश के बाद आए भूस्खलन की चपेट में आकर 3 लोगों की मौत हो गई जबकि 20 लोग लापता हैं। इस भूस्खलन में लापता हुए 20 लोगों का अभी तक पता नहीं चल पाया है।
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