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हाइलाइट्स
लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न
आडवाणी ने 1988 में गृह मंत्री का पद संभाला
अटल-आडवाणी युग में बीजेपी शिखर पर पहुंची
LK Advani Biography: भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा ट्वीट करके की है।
पीएम मोदी ने कहा, ‘लालकृष्ण आडवाणी हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक हैं। भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है।’प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 96 साल के लालकृष्ण आडवाणी की जिंदगी प्रेरणादायक है।
कराची से आए बॉम्बे
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लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची में हुआ था। 14 साल की उम्र में ही वो RSS से जुड़ गए थे। उनके काम को देखकर जल्द ही उन्हें कराची की शाखा का प्रेसिडेंट नियुक्त कर दिया गया।
जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तो उनका परिवार मुंबई आकर बस गया। यहां पर उन्होंने गर्वनमेंट लॉ कॉलेज से कानून में स्नातक किया।
बीजेपी के सबसे लंबे समय तक के राष्ट्रीय अध्यक्ष
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पू्र्व उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) 1986-1990, 1993-1998 व 2004-2005 के समय में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को संभाला।
आडवानी जी 1980 के बाद पार्टी के सबसे लंबे वक्त तक के अध्यक्ष रहे।
भाजपा को शिखर तक पहुंचाने में रही अहम भूमिका
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लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में देश के बड़े हिस्से पर भाजपा की पकड़ मजबूत हुई। इसी का नतीजा था कि भाजपा की अगुवाई वाले NDA गुट 1998 में सत्ता पर काबिज हुआ। 1999 के आम चुनाव में एक बार फिर NDA गुट ने जीत हासिल की।
इस बार आडवाणी को गृह मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वो 2002 से 2005 तक उप-प्रधानमंत्री भी रहें। वो देश के इतिहास के 7वें उप-प्रधानमंत्री बने थे।
सोमनाथ से अयोध्या की यात्रा
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वो वक्त आया जब 1990 में वीपी सिंह सरकार ने सरकार के शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने के लिए मंडल कमिशन की रिपोर्ट लागू करने की घोषणा कर दी।
भारतीय समाज और खासकर हिंदुओं की एकता के लिए संघर्षरत संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इस घोषणा को हिंदू समाज में विभाजन के खतरे के रूप में लिया। इसी आरएसएस ने 26 अगस्त, 1990 को एक बैठक बुलाई।
बैठक में अयोध्या आंदोलन को गति देने की रणनीति पर चर्चा हुई। आरएसएस का विचार था कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण के आंदोलन से हिंदू समाज एकता के सिरे से बंधा रहेगा जिसके मंडल कमिशन की रिपोर्ट लागू होने की घोषणा से तार-तार होने का बड़ा खतरा है।
उधर, आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा ने भी हिंदू एकता की कोशिशों में अपने योगदान को उत्सुक थी। उसे अयोध्या आंदोलन को आरएसएस से मिले समर्थन से दिशा मिल गई। आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथयात्रा निकालने की घोषणा कर दी।
राम मंदिर से राम राज्य की कल्पना

आडवाणी ने 6 अप्रैल, 2004 को भारत उदय यात्रा के क्रम में अयोध्या में थे। तब उप-प्रधानमंत्री रहे आडवाणी ने कहा, 'भाजपा के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग लेना धार्मिकता से प्रेरित नहीं था।
हम तत्कालीन कांग्रेस सरकार के पाखंड और दोहरे मानकों से क्रोधित थे और इस अवसर का उपयोग भारत में धर्मनिरपेक्षता पर एक आवश्यक बहस शुरू करने के लिए किया। मैं मानता हूं कि तथाकथित छद्म धर्मनिरपेक्षता पर हमारे लगातार हमले जरूरी सुधार लाए।
इससे सभी धार्मिक समुदायों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर बराबर का ध्यान देने का रास्ता खुला। इसी तरह, अयोध्या आंदोलन ने जाति के आधार पर हिंदू समाज को टुकड़ों में बांटने की कोशिशों के खिलाफ एक कारगर हथियार साबित किया।
मेरा मानना है कि 1989 और 1996 के बीच भाजपा के असाधारण विकास का श्रेय राम जन्मभूमि आंदोलन के समर्थन को जाता है। हमारे लिए, अयोध्या हमेशा राष्ट्रीय जागृति का एक शक्तिशाली प्रतीक रहेगा। लाखों हिंदुओं की भावनाएं अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर एक भव्य मंदिर के निर्माण से जुड़ी हुई हैं।'
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