Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024: आज यानी 2 अक्टूबर को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्रीजी की जयंती होती है। शास्त्रीजी की पूरी जिंदगी सादगी और ईमानदारी की मिसाल थी। उन्होंने देश को ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया।
निजी कार्य के लिए नहीं करते थे सरकारी कार का इस्तेमाल
लाल बहादुर शास्त्री के बड़े बेटे सुनील शास्त्री ने अपनी किताब ‘लाल बहादुर शास्त्री, मेरे बाबूजी’ में देश के पूर्व प्रधानमंत्री के जीवन से जुड़े कई आत्मीय प्रसंग साझा किए हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है कि उनके पिता सरकारी खर्चे पर मिली कार का प्रयोग नहीं करते थे। एक बार उन्होंने अपने पिता की कार चला ली तो उन्होंने (लाल बहादुर शास्त्री) किलोमीटर का हिसाब कर पैसा सरकारी खाते में जमा करवाया (Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024) था।
साड़ी गिफ्ट में लेने से मना किया
शास्त्रीजी एक बार अपनी पत्नी और परिवार की अन्य महिलाओं के लिए साड़ी खरीदने मिल (कारखाने) गए थे। उस वक्त वो प्रधानमंत्री भी थे। मिल मालिक ने उन्हें कुछ महंगी साड़ी दिखाईं तो उन्होंने कहा कि उनके पास इन्हें खरीदने लायक पैसे नहीं हैं। इसके बाद मिल मालिक ने जब साड़ी गिफ्ट करनी चाही तो उन्होंने इसके लिए सख्ती से इनकार कर (Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024) दिया।
घर से हटवा दिया था सरकारी कूलर
पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्रीजी मन और कर्म से पूरे गांधीवादी थे। एक बार उनके घर पर सरकारी विभाग की तरफ से कूलर लगवाया गया। जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री को इस बारे में पता चला तो उन्होंने परिवार से कहा, ‘इलाहाबाद के पुश्तैनी घर में वॉटर कूलर क्यों लगवाया गया है। कभी धूप में निकलना पड़ सकता है। ऐसे में आदतें बिगड़ जाएंगी।’ उन्होंने तुरंत सरकारी विभाग को फोन कर कूलर हटवा (Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024) दिया।
कुर्ता फट जाने के बाद उसके रुमाल बनवा लेते थे
शास्त्रीजी बहुत कम साधनों में अपना जीवन जीते चलाते थे। वह अपनी पत्नी को फटे हुए कुर्ते दे दिया करते थे। उन्हीं पुराने कुर्तों से उनकी पत्नी रुमाल बनाकर उन्हें प्रयोग के लिए देती (Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024) थीं।
अकाल के दिनों में रखा था एक दिन का व्रत
एक बार देश में भीषण अकाल पड़ा था। उन दिनों में जब देश में भुखमरी की विपत्ति आई तो शास्त्रीजी ने कहा कि देश का हर व्यक्ति एक दिन का उपवास करे तो भुखमरी खत्म हो जाएगी। बताते हैं खुद शास्त्रीजी नियमित व्रत रखा करते थे और परिवार को भी यही आदेश (Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024) था।
शिक्षा में सुधारों के थे बड़े हिमायती
शास्त्रीजी के बेटे सुनील शास्त्री कहते हैं, ‘बाबूजी देश में शिक्षा सुधारों को लेकर बहुत चिंतित रहते थे। अक्सर हम भाई-बहनों से कहते थे कि देश में रोजगार के अवसर बढ़ें इसके लिए बेहतर मूल्यपरक शिक्षा की जरूरत (Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024) है।’
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शास्त्रीजी की टेबल पर रहती थी हमेशा हरी दूब
पिता के संस्मरण पर लिखी किताब में शास्त्रीजी के बेटे सुनील शास्त्री ने बताया, ‘बाबूजी की टेबल पर हमेशा हरी घास रहती थी। एक बार उन्होंने बताया था कि सुंदर फूल लोगों को आकर्षित जरूर करते हैं, लेकिन कुछ दिन में मुरझाकर गिर जाते हैं। वो कहते थे घास (हरी दूब) आधार है जो हमेशा रहती है। मैं लोगों के जीवन में घास की तरह ही एक आधार और खुशी की वजह बनकर रहना चाहता (Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024) हूं।’
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