Lakkamma Devi Temple Karnataka : अनोखा मंदिर, चप्पल चढ़ाने से मन्नत होती है पूरी

नई दिल्ली। लोग मन्नत पूरी होने पर मंदिरों में भगवान Lakkamma Devi Temple Karnataka को छप्पन भोग लगाते हैं। झंडा चढ़ाते हैं। तरह—तरह की पोशाके मां को चढ़ाई जाती हैं। लेकिन हम आपको देवी मां के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां मां को ये सब चीजें नहीं बल्कि चप्पल की माला चढ़ाई जाती है। जी हां। आप सुनकर जरूर चौक जाएंगे। पर ये सही है। कनार्टक मेें लकम्मा देवी मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहां पर मां को चप्पल की माला चढ़ाई जाती है। आइए जानते मंदिर के इतिहास और इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें।
कलबुर्गी जिले में है मंदिर
देश का यह अजीबो—गरीब लकम्मा देवी का मंदिर Lakkamma Devi Temple Karnataka कर्नाटक के कलबुर्गी जिले की आलंद तहसील के गोला गांव में स्थित है। जिस तरह मंदिरों में चुनरी आदि बांधने की परंपरा होती है। वैसे ही यहां मन्नत मांगते समय पेड़ पर चप्पल बांधी जाती है। जब मन्नत पूरी हो जाती है तो भक्त मंदिर में आकर मां को चप्पल की माला चढ़ाते हैं। ऐसी मान्यता है कि रात में यही चप्पल पहनकर मां भक्त की मन्नत पूरी करने निकलती हैं।
यहां से शुरू हुई है चप्पल की परंपरा
मंदिर में पहले बैलों की बलि दी जाती थी। लेकिन सरकार द्वारा इसे गैरकानूनी करार दिए जाने के बाद रोक लगा दी गई। ऐसा कहा जाता है कि इस परंपरा के बंद होने के बाद मां कोध्रित हो गईं। जिसमें बाद एक ऋषि द्वारा मां के गुस्से को शांत कर चप्पल चढ़ाई गई। तब जाकर देवी मां का क्रोध शांत हुआ। तभी से चप्पल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।
क्या कहते हैं निवासी
स्थानीय लोगों की मानें तो यह मंदिर काफी प्राचीन है। एक बार देवी मां यहां घूमने आईं। उस समय वे पहाड़ पर टहल रही थीं। ऐसे में दुत्तारा गांव के देवता की देवीजी पर पड़ते ही उन्होंने मां का पीछा किया। उन देवता से बचने के लिए मां ने अपना सिर जमीन में कर लिया। उस समय से अभी तक माता की मूर्ति उसी स्थिति में मंदिर में विराजमान है। यह एक ऐसा मंदिर है जहां देवी के पीठ का पूजन होता है।
पेड़ पर टांगते हैं चप्पल
मनोकामना पूरी होने पर यहां मंदिर के बाहर लगे पेड़ पर चप्पल टांगी जाती है। इतना ही नहीं यहां मां को शाकाहार व मांसाहार दोनों प्रकार के भोजनों का भोग लगाया जाता है। लोगों की मानें तो चप्पल चढ़ाने से बुरी शक्तियां हम से दूर रहती हैं। जबकि दूसरी का अहित चाहने वालों पर मां प्रसन्न नहीं होतीं।