लखीमपुर खीरी। लखीमपुर खीरी कांड की तफ्तीश कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने वारदात में दो भाजपा कार्यकर्ताओं समेत चार लोगों की पीट-पीटकर हत्या के मामले में मंगलवार को दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया। अपराध शाखा द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक लखीमपुर खीरी कांड में दो भाजपा कार्यकर्ताओं सहित चार लोगों की पीट-पीटकर हत्या किए जाने के मामले में चार अक्टूबर को सुमित जायसवाल नामक एक व्यक्ति द्वारा अज्ञात उपद्रवियों के खिलाफ दर्ज कराए गए मामले में मंगलवार को गुरविंदर सिंह और विचित्र सिंह नामक व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है।
गुरविंदर लखीमपुर के गोला इलाके के मोकरामऊ अलीगंज का रहने वाला है जबकि विचित्र सिंह इसी जिले के भीरा इलाके का निवासी है। तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी कांड में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में दो मुकदमे दर्ज किए गए थे। एक मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष तथा 15-20 अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था। वहीं, दूसरा मुकदमा अज्ञात लोगों के खिलाफ दो भाजपा कार्यकर्ताओं समेत चार लोगों की पीट-पीटकर हत्या के आरोप में दर्ज किया गया था।
सुमित जायसवाल नामक व्यक्ति ने दूसरे मुकदमे में आरोप लगाया था कि प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच मौजूद कुछ ‘खराब तत्वों’ ने लाठियों और ईंट-पत्थरों से वाहन पर हमला किया जिसकी वजह से चालक हरिओम घायल हो गया और उसने सड़क के किनारे कार रोक दी। इसके बाद पत्रकार रमन कश्यप, कार चालक हरि ओम और भाजपा कार्यकर्ताओं शुभम मिश्रा तथा श्यामसुंदर को प्रदर्शनकारियों ने पीट-पीटकर मार डाला। गौरतलब है कि तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पैतृक गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत के लिए जाने का विरोध कर रहे किसानों पर कथित रूप से मिश्रा के बेटे आशीष के इशारे पर गाड़ी चढ़ाए जाने के बाद भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी।
इस मामले में अब तक आशीष मिश्रा समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें आशीष के अलावा भाजपा सभासद सुमित जायसवाल के साथ-साथ अंकित दास, लतीफ उर्फ काले, शेखर भारती, शिशुपाल, सत्य प्रकाश त्रिपाठी, नंदन सिंह बिष्ट, आशीष पांडे, लवकुश राणा, मोहित त्रिवेदी, रिंकू राणा तथा धर्मेंद्र नामक आरोपी शामिल हैं। इस मामले में बहराइच के निवासी जगजीत सिंह द्वारा दर्ज कराई गई पहली प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि यह वारदात केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा और उनके बेटे की सोची समझी साजिश का नतीजा है।