हाइलाइट्स
- लखीमपुर खीरी में अस्पताल में लापरवाही से बच्चे की मौत।
- नवजात का शव झोले में लेकर DM ऑफिस में पहुंचा पिता।
- अस्पताल पर इलाज में लापरवाही और पैसे मांगने का आरोप।
UP Lakhimpur Kheri Private Hospital Negligence: यूपी के लखीमपुर से इंसानियत शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक प्राइवेट अस्पताल में नवजात बच्चे की मौत हो गई जिसके बाद दुखी पिता रोते हुए अपने मासूम बेटे के शव को झोले में रखकर डीएम ऑफिस पहुंच गया। वहां उसने इंसाफ की गुहार लगाते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। पिता ने रोते हुए अधिकारियों से कहा कि मेरे बच्चे को जिंदा कर दो या तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यह घटना सरकारी स्वास्थ्य तंत्र और निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
उत्तर प्रदेश: बेबस पिता नवजात बच्चे का शव झोले में लेकर पहुंचा DM ऑफिस, समय पर इलाज मिलता तो बच सकती थी बच्चे की जान#UttarPradesh #HealthSystem #NewbornDeath #HospitalNegligence #DMOffice #lakhimpurkheri pic.twitter.com/9fyJi7JCfg
— Bansal News Digital (@BansalNews_) August 22, 2025
नवजात बेटे की मौत से टूटा पिता
लखीमपुर खीरी में एक निजी अस्पताल की लापरवाही ने एक मासूम की जिंदगी छीन ली। दर्द से टूटा पिता जब नवजात के शव को झोले में रखकर शुक्रवार दोपहर डीएम कार्यालय पहुंचा, तो वहां मौजूद हर कोई सन्न रह गया। युवक ने रोते हुए मामला बताया और कहा मेरे बेटे को जिंदा कर दो। नहीं लापहवारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। मामले ने तूल पकड़ा, तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. संतोष गुप्ता ने तुरंत मौके पर पहुंचकर जांच शुरू करवाई।
जानें पूरा मामला
दरअसल, लखीमपुर खीरी जिले के थाना भीरा क्षेत्र के नौसर जोगी गांव निवासी विपिन गुप्ता ने अपनी गर्भवती पत्नी रूबी को महेवागंज के गोलदार हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। डिलीवरी के दौरान पत्नी की तबीयत बिगड़ गई। जब हालत गंभीर हुई, तो उसे दूसरे अस्पताल में रेफर किया गया। वहां डॉक्टरों ने बताया कि गलत दवा देने की वजह से गर्भ में ही शिशु की मौत हो गई है।
हॉस्पिटल प्रबंधन पर लगाए गंभीर आरोप
पिता विपिन गुप्ता ने आरोप लगाया कि गोलदार हॉस्पिटल के स्टाफ ने समय पर इलाज नहीं किया, बल्कि लगातार पैसों की मांग करते रहे। यदि सही समय पर इलाज मिल जाता, तो उनका बेटा जिंदा होता। इस लापरवाही से आक्रोशित होकर वह नवजात का शव झोले में रखकर डीएम ऑफिस पहुंच गया और सीएमओ से न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने आरोप लगाया कि इलाज की जगह दोनों डॉक्टर लगातार पैसे की मांग करते रहे ऐसे में बच्चे की जान चली गई। विपिन गुप्ता ने आरोपियों के खिलाफ भ्रूण हत्या और मरीज की जान जोखिम में डालने का केस दर्ज करने की मांग की है।
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एक्शन में आया प्रशासन, जांच के आदेश
घटना की जानकारी मिलते ही सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता, सदर एसडीएम अश्विनी कुमार और शहर कोतवाल हेमंत राय मौके पर पहुंचे और अस्पताल से संबंधित दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी। डीएम ने इस मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। मामले में प्रशासन ने एक्शन लेते हुए अस्पताल को सील कर दिया है।
स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिले में कई फर्जी अस्पताल धड़ल्ले से चल रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई केवल दिखावे तक सीमित है। यह घटना सवाल खड़ा करती है कि कब तक आम जनता ऐसे फर्जी संस्थानों का शिकार बनती रहेगी? आरोप है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी की लचर कार्य शैली की वजह से जिले में फर्जी अस्पतालों में आए दिन मौतें हो रही हैं, लेकिन विभाग हमेशा सिर्फ खानापूर्ति की कार्रवाई करता है।