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Kuno National Park : चीतों की वापसी में फंसा पेंच !, जमीन वापस मांगने कोर्ट पहुंचा पालपुर राजघराना

Kuno National Park : चीतों की वापसी में फंसा पेंच !, जमीन वापस मांगने कोर्ट पहुंचा पालपुर राजघराना Screw trapped in the return of cheetahs!, the Palpur royal family reached the court seeking land back

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Bansal News
Kuno National Park : चीतों की वापसी में फंसा पेंच !, जमीन वापस मांगने कोर्ट पहुंचा पालपुर राजघराना

भोपाल। नामीबिया से भारत में लाकर बसाए जा रहे  लाए जा रहे आठ चीतों को 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा जाएगा, लेकिन इस बीच एक नई बात निकलकर सामने आ रही है। दरअसल इस मामले में पालपुर राजघराने ने श्योपुर के विजयपुर अतिरिक्त सत्र न्यायालय में ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना से जुड़ी याचिका दायर की है। रियासत के राज परिवार ने अभ्यारण्य के लिए दान की गई जमीन को वापस मांगा है।

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प्राकृतिक रूप से मुफीद नहीं है

राज परिवार के सदस्य गोपाल देव सिंह ने बताया कि उनके दादा ने गिर के शेर बसाने के लिए जमीन दान में दी थी, लेकिन यहां चीते लाए जा रहे हैं, जो कि प्राकृतिक रूप से मुफीद नहीं है। इसलिए राज परिवार ने कोर्ट में अपनी जमीन वापस मांगने की गुहार लगाई है। 19 सितंबर को कोर्ट में पूरे मामले पर सुनवाई होगी। राज परिवार ने मामले में हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने निचली अदालत में मामले की सुनवाई के निर्देश दिए थे।

कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया 

हालांकि अब तक चीतों को कुनों में बसाए जाने की प्रकिृया जारी है। उक्त याचिका के चलते चीतों को अभ्यारण्य में छोड़े जाने की तिथि या कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। बता दें कि चीता एकमात्र बड़ा मांसाहारी पशु है, जो भारत में पूरी तरह विलुप्त हो चुका है। इसकी मुख्य वजह शिकार और रहने का ठिकाना नहीं होने को माना जाता है। माना जाता है कि मध्य प्रदेश के कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने 1947 में देश में अंतिम तीन चीतों का शिकार कर उन्हें मार गिराया था।

चीता शब्द संस्कृत के चित्रक शब्द से आया

साल 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से देश से चीतों के विलुप्त होने की घोषणा की थी। एक समय ऊंचे पर्वतीय इलाकों, तटीय क्षेत्रों और पूर्वोत्तर को छोड़कर पूरे देश में चीतों के गुर्राने की गूंज सुनाई दिया करती थी। जानकारों का कहना है कि चीता शब्द संस्कृत के चित्रक शब्द से आया है, जिसका अर्थ चित्तीदार होता है। भोपाल और गांधीनगर में नवपाषाण युग के गुफा चित्रों में भी चीते नजर आते हैं। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के पूर्व उपाध्यक्ष दिव्य भानु सिंह की लिखी एक पुस्तक “द एंड ऑफ ए ट्रेल-द चीता इन इंडिया” के अनुसार, “1556 से 1605 तक शासन करने वाले मुगल बादशाह अकबर के पास 1,000 चीते थे। इनका इस्तेमाल काले हिरण और चिकारे के शिकार के लिए किया जाता था।”

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