Dhanteras 2023: जैसा कि, इस साल दियों की जगमग दीवाली 12 नवंबर यानि की रविवार को मनाई जाने वाली है वहीं पर इस मौके पर तैयारियों का दौर जारी है। इसे लेकर ही पांच दिनों चलने वाली दीवाली की शुरूआत धनतेरस से हो जाती है।
धनतेरस के मौके पर भगवान कुबेर की पूजा की जाती है वहीं पर इन्हें धन का देवता भी शास्त्रों में माना गया है। आइए जानते है भगवान कुबेर से जुड़ी खास बातें,
क्यों बंद होती है भगवान कुबेर की एक आंख
आपको बताते चलें, भगवान कुबेर की छायचित्र को देखने पर अक्सर उनकी एक आंख बंद दिखाई देती है इसे एक तौर पर उन्हें एकाक्षीपिंगल कहा जाता है। इसके अलावा भगवान कुबेर को देखते है तो, अक्सर कमल के पत्तों के समान रंग और बड़े पेट वाले बौने के रूप में चित्रित किया जाता है।
कभी-कभी उन्हें एक आदमी की सवारी करते हुए भी चित्रित किया जाता है, कुबेर अपने हाथ में गदा, अनार या धन की थैली रखते हैं. बौद्ध धर्म की प्रतिमाओं में कुबेर को आमतौर पर नेवले के साथ दिखाते हैं। इसके अलावा कुबेर को श्वेतवर्ण का गोल-मटोल शरीर वाला, आठ दांतों का और तीन पैरों वाला देवता माना जाता है।
जानिए क्या है भगवान कुबेर से जुड़ी पौराणिक कथा
यहां पर अगर हम भगवान कुबेर से जुड़ी पौराणिक कथा को सुनाए तो, सोने की लंका बनाने का असली श्रेय कुबेर को था और वे लंका पर राज करते थे लेकिन रावण ने अपने अन्य भाइयों और राक्षसों के साथ मिलकर कुबेर की सेना को हराया और इस लंका पर कब्जा कर लिया. तब कुबेर हिमालय की ओर चले गए और वहां अलका में अपनी राजधानी बनाई।
भगवान कुबेर के एकाक्षीपिंगल होने के पीछे कथा यह कहती है कि, कुबेर ने इसके बाद दूसरे स्थान पर बैठकर घोर तप किया, तब शिव ने कहा-‘तुमने मुझे तपस्या से जीत लिया है. तुम्हारा एक नेत्र पार्वती के तेज से नष्ट हो गया, इसलिए तुम ‘एकाक्षीपिंगल’ कहलाओगे। हालांकि कुबेर के बारे में कहा जाता है कि वह शिव को बहुत प्रिय थे।
बौद्ध औऱ जैन धर्म के है देवता
यहां पर भगवान कुबेर के बारे में और जानकारी देते चलें, इन्हें हिंदू धर्म के देवता मानने के अलावा बौद्ध और जैन धर्म में भी देवता माना जाता है. बौद्ध धर्म में, उन्हें वैश्रवण के नाम से जाना जाता है जबकि जैन धर्म में उन्हें सर्वानुभूति के नाम से जाना जाता है।
भगवान कुबेर के साथ हुआ था पद्मावती का विवाह
यहां पर खबरों की मानें तो, भगवान कुबेर के पौराणिक कथाओं में माता पद्मावती से विवाह का वर्णन भी इसमें उल्लेखित है। इसमेंविश्व के धन के कोषाध्यक्ष के रूप में कुबेर की पूजा करने का विधान है. कुबेर को पद्मावती के साथ विवाह के लिए धन का श्रेय देवता वेंकटेश्वर (विष्णु का एक रूप) को भी दिया जाता है।
इसकी याद में भक्त वेंकटेश्वर की हुंडी (“दान पात्र”) में पैसे दान करने के लिए तिरुपति जाते हैं, ताकि वह इसे कुबेर को वापस कर सकें. इस कारण से उन्हें लक्ष्मी के साथ भी जोड़ा जाता है।
भगवान कुबेर से तीन शक्तिशाली मंत्र
पहला मंत्र : ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये, धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
अष्ट लक्ष्मी कुबेर मंत्र
यह मंत्र मां लक्ष्मी और कुबेर देवता का माना जाता है इस मंत्र का अर्थ जाने तो, कहते हैं जिस व्यक्ति को जीवन में कहा जाता है कि इस मन्त्र के जाप से व्यक्ति के जीवन में ऐश्वर्य, पद, प्रतिष्ठा, सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस मंत्र का जाप सच्चे श्रद्धा भाव के साथ नियमित रूप से शुक्रवार की रात में करनी चाहिए।
दूसरा मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट–लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
धन प्राप्ति के लिए कुबेर मंत्र
इस मंत्र से व्यक्ति को हर तरह के भौतिक सुख प्राप्त होते हैं. इस मंत्र के नियमित जाप से कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता.
तीसरा मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
इन सभी मंत्रों के साथ आप भगवान कुबेर की पूजा कर सकते है। साथ ही पूजा से धनतेरस पर धन को सुरक्षित रखने की कामना रखते है।
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