हरे कृष्णा!
जन्माष्टमी का पावन त्यौहार भगवान कृष्ण के जन्म का शुभ दिन है। यह हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। देशभर में इस त्यौहार को धूम धाम से मानाने की तैयारियां चल रही हैं। लोगों में कृष्ण जन्मोत्सव मानाने और दही हांड़ी फोड़ने का उत्साह बना हुआ है। इस दिन अनेक लोगों का उपवास होता है, इस बीच वे गीत और श्लोकों का उच्चारण करते हैं और जन्माष्टमी की पूजा के बाद ही सभी अपना उपवास तोड़ते हैं।
तो आइये कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में अधिक जानते हैं। भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भगवान् कृष्ण का जन्म लगभग 5,2000 वर्ष पूर्व मथुरा में हुआ था, इसलिए मथुरा को कृष्णभूमि के नाम से जाना जाता है।
जब जब होई धर्म की हानि,
बारहि असुर अधम अभिमानी।
तब तब धर प्रभु विविध शरीरा,
हरहि दयानिधि सच्जन पीड़ा।
अर्थात: जब जब इस धरती पर धर्म की हानि होगी, तब तब प्रभु अलग अलग रूपों में अवतार लेकर धरती पर जन्म लेंगे।
और क्या आप जन्माष्टमी की सबसे खास बात जानते हैं? वह है स्वादिष्ट पकवान! तो आज हम इस उत्सव को ध्यान में रखते हुए आपके लिए जन्माष्टमी की पूजा विधि के साथ भोग के व्यंजनों की स्वस्थ विधियाँ लेकर आये हैं। आइये जानते हैं:
विषयसूची
1. कृष्ण जन्मोत्सव क्यों मनाया जाता है?
2. जन्माष्टमी पूजा की सामग्री लिस्ट
3. जन्माष्टमी की रात्रि पूजा विधि
4. श्री कृष्ण को लगाए जाने वाले भोग की व्यंजन विधियाँ
5. कृष्ण जन्मोत्सव का महत्व
कृष्ण जन्मोत्सव क्यों मनाया जाता है?
जन्माष्टमी मानाने का मुख्य उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की महत्वपूर्ण घटना का स्मरण करना है। श्रीकृष्ण का जन्म अलौकिक महत्व को दर्शाता है और इस दिन उनके भक्त उनकी दिव्य लीलाओं को याद करते हैं। जन्माष्टमी पर सभी समुदाय के लोग एक साथ मिलकर पूजा करते हैं, कीर्तन गाते हैं, और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं, जिससे सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का अवसर प्राप्त होता है।
जन्माष्टमी पूजा की सामग्री लिस्ट
श्री कृष्ण की पूजा सामग्री की लिस्ट कुछ इस प्रकार है:
- भगवान् की झांकी सजाने के लिए सामग्री
- लड्डू गोपाल की प्रतिमा
- झूला, मोरपंख, फूल माला
- चौकी और उसके ऊपर बिछाने के लिए लाल या पीला कपड़ा
- पूजा सामग्री
- धूप, दीपक, अगरबत्ती, कपूर, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, रोली, इत्र, जल, सिंदूर और चंदन
- सुपारी, पान के पत्ते, तुलसी, कमलगट्टे, तुलसीमाला, केले के पत्ते, फल, फूल आदि
- भोग की सामग्री
- पंचामृत, पंच मेवा, शुद्ध घी, चीनी, दही, दूध, नारियल, कमल के फूल, नैवेद्य या मिष्ठान्न, इलायची, माखन, पंजीरी और मिश्री आदि।
जन्माष्टमी की रात्रि पूजा विधि
हमारे यहाँ खीरा काट कर श्री कृष्ण के जन्म को दर्शाया जाता है उसके बाद भगवान् का अभिषेक कच्चे दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल आदि सामग्रियों से किया जाता है इसके बाद भगवान को सुन्दर वस्त्र पहनाये जाते हैं और आभूषणों से उनका श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद पीले चन्दन और पुष्प चढ़ाये जाते हैं, धुप और घी का दीपक बनाया जाता है, और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान् की आरती की जाती है।
श्री कृष्ण को माखन बहुत प्रिय होता है इसीलिए आज के दिन माखन मिश्री का भोग सबसे महत्वपूर्ण होता, इसी के साथ लड्डू, पंजीरी, खीर और अलग अलग फलों से भोग की थाली तैयार की जाती है।
अंत में, क्षमा प्रार्थना कर पूजा की समाप्ति की जाती है।
श्री कृष्ण को लगाए जाने वाले भोग की व्यंजन विधियाँ
1. माखन मिश्री
सामग्री
- मलाई – 1 कप
- पानी – आवश्यकतानुसार
- मिश्री – स्वादानुसार
- केसर – 2-3 नग
माखन मिश्री बनाने की विधि
- एक बड़े कटोरे में एक कप मलाई लें।
- फिर थोड़ा पानी डालकर 2 मिनट के लिए अच्छे से मथ लें।
- जब मलाई से दूध निकल कर अलग हो जाता है तो मक्खन तैयार हो जाता है।
- फिर आप इस मक्खन में 2-3 बार पानी डालकर निकालें।
- इसके बाद मक्खन और पानी अलग अलग रख दें।
- मक्खन को मिश्री और केसर मिलकर तैयार कर लें।
2. पंचामृत
सामग्री
- ताजा दही – 400 ग्राम (2 कप)
- ठंडा दूध – 100 ग्राम (आधा कप)
- चीनी – 50 ग्राम ( एक चौथाई कप)
- शहद – 1 टेबल स्पून
- मखाने – 10 – 12
- तुलसी की पत्ती – 8-10
पंचामृत बनाने की विधि
- पंचामृत बनाने के लिए ताजा दही लें।
- ताज़े दही को एक बर्तन में डालें और सामग्री अनुसार, दूध, चीनी और शहद डालकर अच्छी तरह मिला ले।
- अगर आपको यह गाढ़ा लगे तो इसमें थोड़ा और दूध मिला लें और अगर पतला लगे तो थोड़ा दही मिला लें।
- अब मखाने को छोटे टुकड़ों में काटिए, साथ ही तुलसी के पत्तों को धोकर इनको भी 2 टुकड़ों में काट लीजिए।
- अब मखाने और तुलसी को डालकर मिला दीजिए।
- अब आपका पंचामृत बनकर तैयार है। इससे आप भोग भी लगा सकते हैं और लड्डू गोपाल का अभिषेक भी कर सकते हैं।
3. धनिया पंजिरी
सामग्री
- धनिया पाउडर – 2 कप
- सूखा नारियल – 1 कप
- किशमिश – 4 बड़े चम्मच
- खरबूजे के बीज – 4 चम्मच
- घी – 8 बड़े चम्मच
- मिश्री – 1 ½ कप
- कमल के बीज – 1 कप
- बादाम – 4 बड़े चम्मच
- पिसी हुई हरी इलायची – 1 बड़ा चम्मच
- आवश्यकता अनुसार गुड़ का पाउडर
पंजिरी बनाने की विधि
- एक कढ़ाई में घी गरम करें और उसमें कमल के बीज और मेवे डालकर सुनहरा होने तक भूनें।
- उसी पैन में फिर से घी गरम करें और उसमें धनिया पाउडर डालें।
- धनिया पाउडर को धीमी आंच पर 8-10 मिनट तक पकाएं। जब पाउडर से एक समृद्ध सुगंध आये, तो स्टोव बंद कर दें।
- धनिया पाउडर को मिक्सिंग बाउल में डालें और उसमें इलायची पाउडर, नारियल, खरबूजे, कमल के बीज, किशमिश और बादाम डालें।
- पूरे मिश्रण में आवश्यक मात्रा में गुड़ का पाउडर मिलाएं।
- मिश्रण को अच्छी तरह मिलाकर एक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें और आप जब चाहे इसे परोस सकते हैं।
4. गुड़ के लड्डू
सामग्री
गुड़ – 500 ग्राम कुटा हुआ
घी – आधी कटोरी
सोंठ पाउडर – 1 चम्मच
नारियल – 2 चम्मच लंबाई में कटे हुए
बादाम – 2 चम्मच कटी हुई
छुहारे – 2 चम्मच बारीक़ कटे हुए
मखाने – 2 चम्मच कटे हुए
चिरौंजी – 1 चम्मच
खसखस – ½ कटोरी
गुड़ के लड्डू बनाने की विधि
1. मोटे तले के पैन या कडाई में घी गरम करें उसमें सभी नट्स बारी बारी से तल कर निकाल लें।
2. अब जो घी बचा है उसमें नारियल और खसखस डालकर गुलाबी होने तक भुने।
3. अब गुड़ डालकर लो फ्लेम में गुड़ को चलाते हुए पिघलाएं।
4.फिर सोंठ डालकर मिलाए और इसके बाद नट्स डाले और अच्छे से मिलाएं।
5. गुड़ को लगातार चालाते रहें। जब गुड़ नट्स के साथ मिल जाये तो इसे किसी थाली में निकाल कर थोडा ठंडा होने दें।
6. अब हाथों में घी लगाकर गोल गोल लड्डू बना लें।
7. पौष्टिक और स्वादिष्ट गुड़ के लड्डू तैयार हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी का उत्सव धार्मिक दृष्टिकोण के साथ साथ सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार एकता, सद्भावना, और धार्मिकता की महत्वपूर्ण भावनाओं को बढ़ावा देता है एवं भारतीय संस्कृति के मूल्यों और परंपराओं को प्रकट करता है और इस दिन के लिए मंदिरों में विशेष सजावट की जाती है। कुछ स्थानों पर जन्माष्टमी में दही-हांडी फोड़ने के लिए मंडलियां भी बनायीं जाती हैं और कई जगहों में कृष्ण लीलाओं की प्रस्तुति भी दिखाई जाती है।
आप सभी को जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ! तो जन्माष्टमी के इस ब्लॉग में बताई गयी सभी सामग्रियों से पूजा की थाल तौयार करें और साल के सबसे अद्भुत त्यौहार का आनद लें। राधे राधे!