Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के पहाड़ों में कोयला खदानों के अलावा भी यहां बड़ी मात्रा में अन्य खनिज भंडार हैं। जिसके लिए यह प्रदेश जाना जाता है।
प्रदेश के कोरबा के कटघोरा में लिथियम ब्लॉक (Lithium Block) है। जिसका उपयोग बैटरी में किया जाता है। इसी खदान की नीलामी की गई।
इस दौरान कटघोरा लिथियम खदान को मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने हासिल कर लिया है। कटघोरा लिथियम खदान की नीलामी की गई थी।
उम्मीद जताई जा रही है कि कंपनी (Chhattisgarh News) जल्द ही यहां काम शुरू करेगी।
जानकारी के अनुसार कंपनी को यह ब्लॉक 76.05% की नीलामी प्रीमियम पर दिया है। कंपनी को लिथियम ब्लॉक (Lithium Block) को खरीदने में सफलता चौथी नीलामी में मिली है।
जल्द खदान पर काम होगा शुरू
छत्तीसगढ़ में देश की पहली लिथियम खदान है। इसको लेकर दिल्ली में नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (NMET) की 6वीं गवर्निंग बॉडी बैठक हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि इस खदान पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा। बैठक में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रतिनिधि हेल्थ मिनिस्टर श्याम बिहारी जायसवाल पहुंचे थे।
खदान की नीलामी हो चुकी
स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने जानकारी दी कि राज्य सरकार और राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट के बीच सहमति बनी है। दोनों के बीच कोरबा में खदान की शुरुआत करने को लेकर सहमति बनी है। उन्होंने बताया कि खदान की नीलामी पूरी हो चुकी है। इस पर शीघ्र ही काम शुरू हो जाएगा।
यह बैठक केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी की अध्यक्षता में हुई। खनिज दोहन और इस्तेमाल को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। वहीं प्रकृति और पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को लेकर वैकल्पिक व्यवस्थाएं क्या होगी, इसको लेकर भी चर्चा कर तय किया जा रहा है।
अब हम आपको बताते हैं जून 2024 में हुई इस खदान की नीलामी के बारे में-
नीलामी में 21 ब्लॉक रखे थे
नीलामी प्रक्रिया के बाद केंद्रीय खान मंत्रालय ने जानकारी दी कि मैकी साउथ माइनिंग ने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) में कटघोरा लिथियम और दुर्लभ पृथ्वी तत्व (आरईई) ब्लॉक (Katghora Lithium and REE Block) के लिए सबसे ज्यादा बोली लगाकार सामने आई है।
इस संबंध में केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने जानकारी दी कि महत्वपूर्ण खनिजों की नीलामी का चौथा दौर था, जिसमें 21 ब्लॉक बिक्री के लिए रखे गए थे।
इन ब्लॉकों में से 11 अरुणाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक समेत अन्य राज्यों में नए ब्लॉक (Lithium Block) हैं। इस संबंध में खान सचिव वी एल कांता राव ने जानकारी दी कि खान मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि खनिजों से शीघ्र उत्पादन शुरू हो।
लिथियम भंडार 250 हेक्टेयर में फैला
बता दें कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) कटघोरा के गांव गुंचापुर के इलाके के लगभग 250 हेक्टेयर क्षेत्र में लिथियम है। इसकी पुष्टि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के द्वारा की गई है।
केंद्रीय खान मंत्रालय ने 29 नवंबर 2023 को नीलामी की प्रक्रिया शुरू की थी। कामर्शियल माइनिंग के तहत खदानों को केंद्र सरकार नीलामी के माध्यम से निजी कंपनी को देता है।
बड़ी कंपनियों ने लगाई थी बोली
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) के कटघोरा के लिथियम ब्लॉक (Katghora Lithium and REE Block) को खरीदने के लिए देश की बड़ी कंपनियां शामिल थीं। इन कंपनियों में चौथे दौर तक अपनी बोली लगाई।
इन कंपनियों में जिंदल, श्री सीमेंट, ओला, वेदांता, अल्ट्राटेक सीमेंट अडाणी समूह समेत कई बड़ी कंपनियों ने नीलामी में हिस्सा लिया था।
पश्चिम बंगाल की है कंपनी
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) के कटघोरा में लिथियम ब्लॉक की नीलामी में सबसे ज्यादा बोली लगाने वाली मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का मुख्यालय पश्चिम बंगाल में है।
बता दें कि अर्जेंटीना की एक कंपनी ने भी इस बोली में हिस्सा लिया था। लेकिन भारत की ही कंपनी ने लिथियम ब्लॉक को हासिल किया है।
देश की पहली खदान विकसित होगी
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) के कटघोरा के लिथियम आरईई (Rare Earth Elements) ब्लॉक (Katghora Lithium and REE Block) के लिए कंपोजिट लाइसेंस जारी किया गया है। इसमें परीक्षण और खनन दोनों का ही अधिकार दिया गया है।
कटघोरा के साथ ही कश्मीर के रियासी स्थित लिथियम ब्लॉक की भी नीलामी शुरू की थी, लेकिन शुरुआती दौर में इसके लिए बोली लगाने वाले सामने नहीं आए।
इससे इसकी ऑनलाइन नीलामी प्रक्रिया को रोकना पड़ा था। कटघोरा (Katghora) में देश का पहला लिथियम खदान विकसित किया जाएगा।
कटघोरा का लिथियम ब्लॉक देश का पहला खनन प्रोजेक्ट है, जिसके लिए कंपोजिट लाइसेंस जारी किया गया है।
रोजगार के बढ़ेंगे अवसर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) की इस लिथियम खदान के शुरू होने से कोरबा ही नहीं पूरे प्रदेश के लोगों को रोजगार मिलेगा।
इतना ही नहीं इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर होगा और छत्तीसगढ़ और देश में समृद्धि के द्वार खुलेंगे। कटघोरा आधारभूत सुविधाओं से युक्त मैदानी इलाके में स्थित है।
इससे यहां निवेशकों का अधिक रुझान बढ़ा है। लिथियम खनन शुरू होने के बाद यहां हर स्तर पर रोजगार के अवसर खुलेंगे।
इससे यहां के लोगों को रोजगार के साथ ही राज्य के राजस्व में भी करोड़ों की आय होगी।
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बैटरी में होता है लिथियम का इस्तेमाल
जानकारी के अनुसार लिथियम एक रासायनिक पदार्थ है, यह सबसे हल्की धातु मानी जाती है। यह धातु है, लेकिन इसे किसी भी नुकीली या चाकू से भी काट सकते हैं।
लिथियम से बनी बैटरी काफी हल्की होती है। साथ ही आसानी से रिचार्ज भी हो जाती है। इसलिए इसका उपयोग रिचार्जेबल बैटरियों में किया जाता है। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा चीन का दबदबा माना जाता है।
परमाणु हथियार में भी उपयोग
बता दें कि लिथियम के स्तेमाल से बैटरी जल्दी चार्ज होती है। इसके अलावा इसमें REE के विशिष्ट गुण होते हैं, इसके कारण इसका उपयोग स्मार्ट फोन, एचडी डिस्प्ले, इलेक्ट्रिक कार, वायुयान के महत्त्वपूर्ण उपकरण, परमाणु हथियार और अंतरिक्ष कार्यक्रमों में किया जाता है।
बैटरी लगाने वालों को छूट मिलेगी
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) में लिथियम के स्रोत पर अधिकार होने के साथ बड़े स्तर पर बैटरी निर्माण करना आसान होगा।
नीति, नीति आयोग इसके लिए एक बैट्री मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम (Battery Manufacturing Process) भी तैयार किया जा रहा है। देश में बैटरी की गीगाफैक्ट्री यदि कोई लगाना चाहता है तो उसे छूट दी जाएगी।
देश में लिथियम आयन बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक वाहन (electric vehicle) की कीमत में भी कमी आ सकती है। क्योंकि बैटरी की कीमत ही पूरी गाड़ी की कीमत का करीब 30 प्रतिशत है।
लिथियम को व्हाइट सोना भी कहते हैं
पूरी दुनिया में लिथियम की भारी मांग है। इसलिए इसे व्हाइट सोना कहा जाता है। ग्लोबल मार्केट में लिथियम की कीमत भी बहुत मिलती है।
एक टन लिथियम की कीमत लगभग 57.36 लाख रुपए है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में जानकारी मिलती है कि वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग में 500 फीसदी की वृद्धि हो जाएगी।
इस लिहाज से भारत में लिथियम का अपार भंडार मिलना देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है।
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इसके खनन के दुष्प्रभाव भी है
दुर्लभ मृदा तत्त्व अंतरिक्ष और अन्य तकनीकी विकास के लिए जरूरी है, लेकिन लिथियम के खनन के कई दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते हैं।
इसमें पहला प्रभाव प्राकृतिक तटों और उन पर निर्भर पारिस्थितिकी प्रणालियों को नुकसान। दूसरा कई जरूरी और दुर्लभ प्रजातियों के निवास स्थान इस खनन प्रक्रिया में नष्ट हो जाते हैं।
तीसरी तटों के प्राकृतिक तंत्र के नुकसान, इससे मृदाक्षरण जैसी अनेक समस्याएं सामने आती हैं। चौथी दुर्लभ मिट्टी के तत्वों के खनन तथा प्रसंस्करण से बड़ी मात्रा में जल प्रदूषण होता है।
इसके साथ ही Monazite जैसे तत्त्वों में यूरेनियम (0.4%) की उपस्थिति से खतरा और बढ़ जाता है।