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Korba Kankeshwar Mandir: इस शिव मंदिर में ये साइबेरियन पक्षी आकर बनाते हैं घोंसला, गाय का दूध गिरने से प्रकट हुए थे स्वयंभू

कोरबा में कनकी में स्थित कनकेश्वर शिव मंदिर में भक्त बड़ी संख्या में पहुंच कर बाबा का आशीर्वाद ले रहे हैं। साइबेरियन पक्षी जुलाई आकर मंदिर परिसर में घोसला बनाते हैं

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Preeti Dwivedi
Korba Kankeshwar Mandir: इस शिव मंदिर में ये साइबेरियन पक्षी आकर बनाते हैं घोंसला, गाय का दूध गिरने से प्रकट हुए थे स्वयंभू

कोरबा से लक्ष्मण महंत की रिपोर्ट

कोरबा। Korba Kankeshwar Mandir: आज सावन के पहले सोमवार पर हर जगह भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। इसी तरह कोरबा के कोरबा-पंतोरा-जांजगीर मार्ग में करतला ब्लॉक के ग्राम कनकी में स्थित कनकेश्वर शिव मंदिर में भक्त बड़ी संख्या में पहुंच कर बाबा का आशीर्वाद ले रहे हैं। स्वयंभू मंदिरों में से एक इस मंदिर से भक्तों की अलग ही आस्था जुड़ी है। इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का बाबा धाम भी कहा जाता है।

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पुरातात्विक महत्व में गिनती है कनकेश्वर धाम की -Korba Kankeshwar Mandir:

पुरातात्विक महत्व के स्वयंभू शिव मंदिर में गिना जाने वाला छत्तीसगढ़ का कनकेश्वर धाम एक अलग पहचान बनाए है। सावन का पहला सोमवार को भोलेनाथ के दर्शन के लिए यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचे।

ऐसी प्रकट हुए कनकेश्वर मंदिर बाबा - Korba Kankeshwar Mandir:

मंदिर के पुजारी पुरुषोत्तम यादव के अनुसार स्वयंभू शिवलिंग के स्थापित होने का संवत अथवा ईसा सन स्पष्ट नहीं है। ऐसा माना जाता है कि बैजू यादव ने शिवलिंग की खोज की थी। मान्यता अनुसार बैजू यादव की पीढ़ी लगातार इस मंदिर की पूजा कर रहे हैं। वर्तमान में 18वीं पीढ़ी वर्तमान इस मंदिर में अपनी सेवाएं दे रही है। उनके वंशज वर्तमान में पूजा कर रहे हैं।

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वंशज व पुजारी पुरुषोत्तम यादव पूजा के अनुसार प्राचीन काल में ये क्षेत्र जंगलों से घिरा था। उनके पूर्वज बैजू यादव चरवाहा थे। उनकी एक गाय अपने बच्चे को दूध पिलाने के बजाय इसी जगह पर दूध गिरा आती थी। ये दृश्य देखकर बैजू को आश्चर्य हुआ और उन्होंने यहां खुदाई कराई। जिसके बाद यहां पर भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग प्रकट हुआ।

मंदिर कनकेश्वर का नाम इसलिए पड़ा कनकी - Korba Kankeshwar Mandir:

मान्यता के अनुसार जब शिवलिंग की जानकारी चरवाहा बैजू को हुई, तभी उन्होंने उक्त स्थल की खुदाई करवाई। पर इस दौरान खोदते समय शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा टूट गया था। लगातार पानी चढ़ावा के कारण टूटे स्थान से पत्थर का क्षरण हो रहा था। यही कारण है कि यहां पर शिवलिंग में चांदी का कवच लगा चढ़ाया गया। पर अभी भी माना जाता है कि शिवलिंग में चावल का टुकड़ा यानि कनकी पड़ा ही रहता था।

यही कारण है कि इस गांव का नाम कनकी पड़ा। यही कारण है कि कनकेश्वर महादेव में भोलेनाथ को चावल चढ़ाने से श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है। श्रद्धालु हसदेव नदी से पानी लेकर जलाभिषेक करते हैं। सावन महीने में कांवरियों का दल मंदिर पहुंचता है।

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शनै: शनै: बढ़ रहा स्वयंभू शिवलिंग का आकार- Korba Kankeshwar Mandir:

मंदिर में स्थित स्वयंभू शिवलिंग (Korba Kankeshwar Mandir) का आकार बढ़ रहा है। आकार बढ़ने के कारण मंदिर में प्रदक्षिणा करने का स्थल कम हो रहा है। एक महिमा यह भी है कि यहां श्रीलंका से आने वाले साइबेरियन पक्षी जुलाई अगस्त माह में आकर मंदिर परिसर के पेड़ों में न केवल अपना घोसला बनाते हैं, बल्कि अंडे देकर प्रजनन भी करते हैं। जब पक्षी बड़े हो जाते हैं तब वापस चले जाते हैं।

पक्षियों का यह झुंड केवल मंदिर परिसर में पाया जाता है। ग्रामीण इसे शुभ मानते हैं। कनकेश्वर धाम (Korba Kankeshwar Mandir Dham) से श्रद्धालुओं की अटूट आस्था जुड़ी हुई है। शिवलिंग (Shivling Darshan) के दर्शन मात्र से उनकी सारी मनोकामना पूरी होती है। सावन के महीने में यहां मेला लगता है। मंदिर के पास वृक्ष में एशियन बिल स्टॉक (Asian Bill Stock) नाम के विदेशी पक्षी का बसेरा भक्तगण को खूब आकर्षित करता है।

कनकेश्वर मंदिर में नवरात्रि में जलता है ज्योति कलश - Korba Kankeshwar Mandir:

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मंदिर में शिवलिंग के अलावा देवी मंदिर भी निर्मित है जहां दोनों नवरात्र में ज्योति कलश प्रज्ज्वलित होता है। न सिर्फ कोरबा बल्कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु मनोकामना लेकर यहां पहुंचते हैं। (Korba Kankeshwar Mandir) भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रबंधन द्वारा समुचित व्यवस्था की जाती है। आज सावन का पहला दिन है इसी तरह हर सोमवार को यहां पर भक्तों का तांता लगेगा।

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