कोरबा में सिटी मजिस्ट्रेट के एक बाबू का गजब का कारनामा सामने आया है। शांति भंग करने वाले आरोपियों को बगैर सुनवाई किए ही जेल भेज दिया गया है। इतना ही नहीं मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति में तहसीलदार से ऑडरशीट के कोरे पन्ने पर हस्ताक्षर ले लिए। संबंधित अधिवक्ता ने इस रवैए पर आपत्ति जताते हुए मामले की शिकायत हाईकोर्ट में करने की बात कही है।
अधिवक्ता ने लगाया आरोप
नियम के तहत धारा 151 यानी शांति भंग करने के आरोपी को सिटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है। मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में सुनवाई होती है। मगर कोरबा में ऐसा कुछ नहीं हुआ। अधिवक्ता का आरोप है कि इस मामले में उनके पक्षकारों की सुनवाई नहीं की गई।
खरपभट्टा का मामला
बाबू ने मनमानी करते हुए तहसीलदार से कोरे पन्ने पर हस्ताक्षर ले लिए जो कि नियम के खिलाफ है। मामला सिविल लाइन थाना इलाके के खपरभट्टा मोहल्ले का है। बीते दिनों दो पक्षों में जमकर मारपीट हुई।
मामला थाने तक जा पहुंचा। पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करते हुए प्रकरण को सिटी मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया। अधिवक्ता ने बाबू पर नियम के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है। वहीं इस मामले में कोर्ट में बाबू ने अपनी अलग दलील दी।