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Kisse Kahaniyan: क्यों पकिस्तान नाम के रचनाकार को ही पकिस्तान से निकला गया ?

हमारे भारत के लिए सबसे बड़ा नुकसान भारत और पकिस्तान का बटवारा था। इस बटवारे के बाद से ही पकिस्तान भारत को एक शत्रु के रूप में देखता आ रहा है।

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Kisse Kahaniyan: क्यों पकिस्तान नाम के रचनाकार को ही पकिस्तान से निकला गया ?

Kisse Kahaniyan: हमारे भारत के लिए सबसे बड़ा नुकसान भारत और पकिस्तान का बटवारा था। इस बटवारे के बाद से ही पकिस्तान भारत को एक शत्रु के रूप में देखता आ रहा है।

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लेकिन आज हम आपको ऐसे शख्स के बार में बताएंगे। जिसने पकिस्तान के बनने में बड़ा योगदान दिया। लेकिन फिर भी उस व्यक्ति को पकिस्तान से क्यों धक्के मारकर निकाल दिया गया ?

आखिर कौन है चौधरी रहमत अली ?

वर्त्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा में आने वाले ब्रिटिश भारत के पंजाब इलाके के बालाचौर में 16 नवंबर 1897 को जन्म लेने वाले चौधरी रहमत अली क कहानी आपको अचंभित कर देगी।

चौधरी रहमत अली ने नाउ और नेवर नाम बुकलेट से प्रकाशित की थी। जिसमें उन्होंने पंजाब, अफगानिस्तान, कश्मीर, सिंध, बलूचिस्तान को मिलाकर नया राष्ट्र पाकिस्तान बनाने को उचित समझने पर जोर दिया था।

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जिसके बाद से ही ब्रिटिश भारत के हिस्से पंजाब को पकिस्तान के नाम से जाने जाना लगा। चौधरी रहमत अली ही वो शख्स थे।

जिन के दिमाग में साल 1930 के आसपास दक्षिण एशिया में एक अलग मुस्लिम देश बनाने का आइडिया आया था।

आखिर चौधरी रहमत अली को पकिस्तान से क्यों निकला गया ?

चौधरी रहमत अली को दक्षिण एशिया में एक अलग मुस्लिम देश बनाने के विचार के बाद उन्होंने इसे अपने दोस्तों के बीच रखा।

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जिसके बाद साल 1933 में हुए तीसरे राउंड टेबल कांफ्रेंस के दौरान लंदन में ब्रिटिश और भारतीय प्रतिनिधियों के सामने भी चौधरी रहमत अली ने इस विचार को रखने की कोशिश की।

इसके बाद चौधरी रहमत अली ने पाकिस्तान नेशनल मूवमेंट की शुरुआत की। समय के साथ देखते ही देखते यह मूवमेंट आगे निकल गया।

लेकिन इसके बाद मुस्लिम लीग ने इस मूवमेंट का झंडा उठा लिया। यह माना जाने लगा कि पाकिस्तान की मांग मोहम्मद अली जिन्ना ने शुरू की थी।

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सभी लोग जिन्ना को ही पाकिस्तान का संस्थापक मानने लगे। लेकिन सही तौर पर पाकिस्तान शब्द के रचनाकार चौधरी रहमत अली थे।

पाकिस्तान को लेकर अलग सोच के कारण जिन्ना के फैसले के बाद चौधरी रहमत अली की इच्छा पूरी नहीं हुई ।

जिस वजह से चौधरी रहमत अली ने जिन्ना के विरोध में ही मोर्चा खोल दिया. उनके बागी तेवरों के कारण सरकार ने देश से निकाल दिया ।

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