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Kisse Kahaniyaan: मौत का सौदागर, जिसने दुनिया को दिया तबाही लाने वाला डायनामाइट

Kisse Kahaniyaan: डायनामाइट का इस्तेमाल आपराधिक या आतंकी गतिविधियों में शामिल लोग मानव और मानवता के खिलाफ कर रहे हैं.

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Bansal news
Kisse Kahaniyaan: मौत का सौदागर, जिसने दुनिया को दिया तबाही लाने वाला डायनामाइट

Kisse Kahaniyaan: डायनामाइट का इस्तेमाल आपराधिक या आतंकी गतिविधियों में शामिल लोग मानव और मानवता के खिलाफ कर रहे हैं. आज से ठीक 156 बरस पहले डायनामाइट दुनिया के सामने आया. इसके सहारे अनेक बड़े और अच्छे काम आज भी हो रहे हैं. पूरी दुनिया इसका इस्तेमाल कर रही है. इसकी खोज करने वाले वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के खाते में 350 से ज्यादा पेटेंट हैं, लेकिन सबसे ज्यादा नाम और पैसा उन्हें इसी एक खोज से मिला.

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इसी खोज की वजह से अल्फ्रेड अपने भाई से दूर हो गए, जिसका उन्हें आजीवन पश्चाताप रहा. वह खुद को माफ नहीं कर पाए क्योंकि वे अपने भाई को बहुत प्यार करते थे. नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत के पीछे कहीं न कहीं उनके भाई की मौत भी है.

अल्फ्रेड नोबेल स्वीडन के निवासी थे. उन्होंने रूस और अमेरिका में भी पढ़ाई की. शोध में उनकी रुचि थी. जीवन में अल्फ्रेड ने 355 शोध पेटेंट करवा लिए थे.

क्यों हुआ अपनी खोज पर पछतावा?

रिसर्च करने में उनकी बहुत रूची थी. हुआ कुछ यूं कि डायनामाइट की खोज हो चुकी थी. उत्पादन भी शुरू हो चुका था. तभी एक दिन फैक्ट्री में इसी डायनामाइट से विस्फोट हो गया. यह इतना जबरदस्त था कि पूरी फैक्ट्री तबाह हो गई. सब कुछ जलकर राख हो गया. काम करने वाले श्रमिकों का पता नहीं चला. उनके चीथड़े उड़ गए और इसी में एक थे अल्फ्रेड के भाई, जो हादसे के शिकार हुए. अल्फ्रेड टूट गए. उन्हें अपनी रिसर्च पर बेहद पश्चाताप हुआ फिर वह आजीवन उबर नहीं पाए.

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अल्फ्रेड कहलाए मौत के सौदागर

डायनामाइट की खोज ने अल्फ्रेड को नाम दिया, पैसा दिया, शोहरत दी, लेकिन लोगों ने उन्हें मौत का सौदागर भी कहा. इस उपाधि से वे अंदर तक टूट गए थे. भाई की मौत का गम पहले से था तो वे शांति की तलाश में चल पड़े और दुनिया के सबसे बड़े शांति पुरस्कार की शुरुआत हुई, जिसे लोग नोबेल पुरस्कार के नाम से जानते हैं.

अल्फ्रेड ने क्यों की डायनामाइट की खोज?

अल्फ्रेड की उम्र बेहद कम थी. मन शोध में ही लगता था. इसी बीच वे पेरिस पहुंच गए. वहां उनकी दोस्ती हुई सुबरेरो से जिसने नाइट्रोग्लिसरीन की खोज 1847 में कर ली थी. यह भी विस्फोटक ही था और उस जमाने में इसका इस्तेमाल होता था. डायनामाइट को उसी के आगे का एक चरण कहा जा सकता है. क्योंकि अल्फ्रेड ने डायनामाइट की खोज जब शुरू की या उसे अंतिम रूप दिया तो उनके मन में शायद कोई भी निगेटिव भाव नहीं था. वे उद्योगों को एक टूल देना चाहते थे.

बड़े-बड़े विकास वाले प्रोजेक्ट के कामकाज को आसान बनाना चाहते थे, जो काम छोटी-बड़ी मशीनें महीनों में करती थीं, उसे डायनामाइट के जरिए बेहद कम समय में आज भी अंजाम दिया जा रहा है. जब इसका दुरुपयोग शुरू हुआ तो अल्फ्रेड की सार्वजनिक आलोचना भी हुई.

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