Kisse Kahaniyaan: उस दिन फ्रांस की राजधानी पेरिस में रोज की तरह जन-जीवन सामान्य था. चारों ओर चहल-पहल थी. बाजार गुलजार थे. तभी शहर के अलग-अलग इलाकों से एक के बाद एक विस्फोटों और गोलीबारी की सूचना आने लगी. देखते ही देखते पेरिस में भगदड़ मच गई. हर आदमी सुरक्षित स्थान की तलाश में था. पुलिस एक्टिव हुई क्योंकि कुछ ही देर में उसे यह पता चल चुका था कि यह आतंकी हमला है. घटनास्थल के मुआयने की रिपोर्ट मिलते ही फ्रांस सरकार ने इमरजेंसी घोषित कर दी.
अलग-अलग घातक हमलों में 130 से ज्यादा जानें गईं तथा 350 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इन्हें घेरकर गोलियां मारी गई थीं तो विस्फोटकों से भी उड़ाया गया था. बातेंक्ला थियेटर और कंसर्ट हाल का हमला सबसे घातक था. दो रेस्तरां और एक स्टेडियम को भी आतंकियों ने निशाना बनाया था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद फ्रांस पर यह सबसे घातक हमला माना गया.
IS के आतंकियों को सुनाई कई सजा
इस मामले में फ्रांस की अदालत ने इस्लामिक स्टेट से जुड़े 20 आतंकियों को सजा सुनाई. इस हमले का नेतृत्व अब्दे सलाम ने किया था. उसे आजीवन कारावास की सजा हुई है. इसकी गिरफ़्तारी जांच एजेंसियों ने एक कड़ी से दूसरी कड़ी को जोड़ते हुए हादसे के चार महीने बाद किया था. बाकी आरोपियों को दो साल से लेकर आजीवन कारावास के सजा हुई है.
करीब नौ महीने तक चली सुनवाई
आधुनिक फ्रांस के इतिहास में यह सबसे लंबी सुनवाई चली है. करीब नौ महीने तक लगातार सुनवाई के बाद यह मामला फैसले तक पहुंचा है. इस मामले में सुनवाई साल 2021 में शुरू हुई और फैसला साल 2022, जून में आया. सुनवाई शुरू होने के समय मुख्य अभियुक्त सलाम ने जहां खुद को इस्लामिक स्टेट फाइटर बताया तो सजा के समय उसकी आंखों में आंसू थे. खुद को बेगुनाह बता रहा था.
कई देश के लोग हुए शिकार
इस घातक हमले में आत्मघाती दस्ते भी इस्तेमाल किए गए थे. मुख्य आरोपी ने अपनी आत्मघाती बेल्ट निकाल कर फेंक दी थी. हमले को अंजाम देने के बाद वह ब्रूसेल्स भाग गया था. इससे पहले जनवरी में भी आतंकी हमले में आमजन एवं पुलिस के 17 लोग मारे गए थे.
बहोत देश के नागरिक मारे गए
इस हमले में केवल फ्रांस के लोग नहीं मारे गए थे. 19 अन्य देशों के नागरिक भी इस आतंकी हमले के शिकार हुए थे, इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, रूस जैसे देश भी शामिल थे.
दहल गया था फ्रांस
हमला उस समय हुआ था जब 30 नवंबर से 11 दिसंबर तक फ्रांस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन तय था. फ्रांस की सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही एलर्ट थीं. उनके पास तुर्की, इराक, इजरायल से इस तरह के हमले के इनपुट मिले थे. फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा था कि इस हमले में फ्रांस में रह रहे लोगों ने मदद की थी. जो आतंकी मरे थे उनके पास से सीरियाई और मिस्र के पासपोर्ट मिले थे. हालांकि मिस्र ने अपने नागरिक को पीड़ित बताया था. उसका नाम अलीद रज्जाक था.
आत्मघाती हमले
जांच के बाद पता चला कि कुल तीन टोलियों ने इस हमले को अंजाम दिया था. इनमें से कई आत्मघाती भी थे. इनमें से तीन ने स्टेट डी फ्रांस के पास खुद को उड़ा लिया था. इनमें से सीरिया के पासपोर्ट वाला तुर्की के रास्ते शरणार्थी के रूप में आया था. सभी आतंकी इस्लामिक स्टेट, बोको हरम, आईएसआईएस के लिए पहले लड़ चुके थे.
मुंबई हमले से मिलता जुलता था हमला
सुरक्षा एजेंसियों ने पाया कि यह हमला साल 2008 में भारत के मुंबई शहर में हुए आतंकी हमले से मिलता जुलता था. दोनों हमलों में कई समानताएं देखने को मिलीं. बस एक फर्क यह देखा गया कि फ्रांस में पकड़े जाने की आशंका होते ही आतंकियों ने खुद को उड़ा लिया लेकिन मुंबई में वे लगातार हमलावर रहे.
आईएस ने ली जिम्मेदारी
आईएस ने हमले के तुरंत बाद इसकी जिम्मेदारी ले ली और फ्रांस की ओर से मुस्लिम समुदाय के प्रति घृणा और फ्रांस के नेतृत्व में नाटो सेना की ओर से आईएस के ठिकानों में हुए हमलों का बदला लेना बताया.
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